Thursday, January 21, 2016

इंदौर में दौड़ रही है अवैध एम्बुलेंस

इंदौर. विनोद शर्मा ।
अवैध मैजिक और वेन के साथ इंदौर की सड़कों पर अब अवैध एम्बुलेंसें दौड़ती नजर आ रही है। बिना स्ट्रेचर, बिना आॅक्सीजन और बिना किसी मेडिकल किट के महज नीली बत्ती एवं हूटर भर लगाकर सरकारी-गैर सरकारी अस्पतालों के सामने खड़ी की गई एम्बुलेंस आॅपरेटरों के लिए कमाई का जरिया बन चुकी है। इंदौर से देवास, धार, अलिराजपुर, भोपाल, ग्वालियर जैसे शहर तक मरीज ले जाने के नाम पर खुलेआम सौदेबाजी और दलाली हो रही है। प्राइवेट टैक्सियों की तरह मनमाना पैसा वसूला जा रहा है। अवैध एम्बुलेंस को लेकर न स्वास्थ्य विभाग सख्त है और न ही आरटीओ के पास कोई रणनीति है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़े शहरों में एम्बुलेंस की स्थिति को लेकर सर्वे करवाया था। इस दौरान अनेक सरकारी और निजी अस्पतालों की एम्बुलेंस निर्धारित मापदंडों पर खरी नहीं उतर पाई। अस्पतालों के बाहर खड़ी नजर आने वाली निजी एम्बुलेंस की हालत तो इससे भी ज्यादा खराब है। अधिकांश एम्बुुलेंस कंडम हो चुकी हैं। उनमें ईलाज व सुरक्षा संबंधित इंतजाम सिर्फ नाम के हैं। बावजूद वे सड़कों पर दौड़ रही हैं। इससे मरीज की जान को ज्यादा खतरा रहता है जबकि मापदंड के अनुसार एम्बुलेंस में लाइट सर्पोटिंग सिस्टम, वेंटीलेटर, एक कम्पाउण्डर व दो कर्मचारी, फर्स्ट-एड-बॉक्स, डिलेवरी कीट, फोल्डिंग स्ट्रेक्चर, अग्निशमन यंत्र, जीपीएस सिस्टम सहित अन्य सुविधाएं एम्बुलेंस में होनी चाहिए। जिससे रेफर्ड मरीजों को अन्य अस्पतालों में ले जाने-ले आने की सुविधा हो।
टेÑवल्स गाड़ियों से ज्यादा किराया
टूर्स एंड ट्रेवल्स की गाड़ियों से ज्यादा वसूला जा रहा है एम्बुलेंस का किराया। जबकि टूर्स एंड ट्रेवल्स की गाड़ियों में ऐसी और म्यूजिक सिस्टम लगा होता जबकि एम्बुलेंस में कुछ नहीं।
एम्बुलेंस टूर्स एंड टेÑवल्स
मारूति वेन 7-8 7-8
ट्रेवलर 16-17 13-16
ईको 10-11 7-8
टवेरा 10-13 9-10
दलाली कहां कितनी...
- किसी अस्पताल से मारूती वेन एम्बुलेंस में मरीज को खंडवा ले जाना है तो 2500 से 2700 रुपए लेते हैं। अस्पताल में वार्ड बॉय, रिसेप्शन, सिक्योरिटी वाले ‘जिसने पार्टी को नंबर दिया है’, को 300-700 रुपए तक दलाली देना पड़ती है।
- दलाली सभी अस्पतालों में ली जाती है। दलाली का पैसा निकालने के लिए एम्बुलेंस का किराया भी ज्यादा वसूला जाता है। एमवायएच में दलाली सबसे ज्यादा होती है।
- एलपीजी-सीएनजी लगी मारूति वेन से खंडवा आने-जाने का खर्च करीब 1000 रुपए आता है। पेट्रोल गाड़ी है तो 1400 रुपए का पेट्रोल। 1500 रुपए के डीजल में टवेरा जैसी गाड़ी खंडवा जाकर आ जाती है जो पैसा लेती है 4000 रुपए। इसमें 300-400 रुपए ड्राइवर को देते हैं।
- यानी छोटी गाड़ी पर मालिक को हर ट्रिप पर 800 रुपए बचते हैं जबकि बड़ी गाड़ी पर 2000 रुपए तक की बचत होती है।
- कम दूरी, ज्यादा किराया- उदाहरण के तौर पर मारूति वेन से बड़वाह जाना है तो 1500 रुपए किराया चुकाना पड़ता है जबकि खंडवा के लिए 2500 रुपए। इंदौर से बड़वाह 64 किलोमीटर। इंदौर से खंडवा 132 किलोमीटर दूर।
तीन तरह की होती है एम्बुलेंस...
एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस : जीवन के लिए घातक हर तरह की मेडिकल इमरजेंसी से संबंधित उपचार सुविधा इन एम्बुलेंस में उपलब्ध रहना चाहिए। अंत:स्वासनली इंटुबेशन, दवाएं, सलाइन, कार्डियक मॉनिटरिंग और इलेक्ट्रीकल थेरेपी के साथ क्वाइलिफाइड आॅपरेटर हो। इस पर 10 सेंटीमीटर की साइज में ‘एम्बुलेंस’ कांच पर लिखा (रिवर्स रिडिंग) हो। एम्बुलेंस के दोनों ओर 8 सेंटीमीटर साइज में नीले रंग के स्टार बने हों।
सहुलियत ::: वेंटिलेशन एअरवे इक्यूपमेंट, मॉनिटर, इन्फ्यूजन, इमोबिलिजेशन (सर्वाइकल बेल्ट जैसे), स्ट्रेचर, संचार साधन, इंज्यूरी प्रिवेंशन इक्यूमेंट।
बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस : इनमें मरीजों को प्राथमिक और बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होना चाहिए। इसकी छत पर भी हरे रंग से स्टार बना हो कमसकम 60 सेंटीमीटर का। इसके अलावा एम्बुलेंस के साथ जो स्टार बने हों वह भी हरे रंग के हों।
सहुलियत ::: कमसकम दो स्ट्रेचर, सक्शन डिवाइस, बेग-मास्क वेंटिलेशन यूनिट, आॅक्सीजन यूनिट
पेशेंट ट्रांसपोर्ट एम्बुलेंस :  इन वाहनों का इस्तेमाल सिर्फ शेड्यूल्ड विजिट के रूप में होना चाहिए। जैसे रूटीन फिजिकल एक्जामिनेशन, एक्स-रे या लेबोरेटरी टेस्ट या पेशेंड को अस्पताल से अन्य अस्पताल या घर पहुंचाने के लिए किया जाना चाहिए। ऐसे वाहनों पर एम्बुलेंस नहीं पेशेंट ट्रांसपोर्ट एम्बुलेंस लिखा जाता है। 8 सेंटीमीटर साइज में। स्टार नहीं होते।
सहुलियत : पुनर्जीवन किट, फर्स्ट एड बॉक्स, एम्बु बेग, आॅक्सीजन सिलेंडर एंड ऐसेसरीज।
हर एम्बुलेंस की अलग कहानी...
पेशेंट स्पेश एएलएस बीएलएस पीटीए
न्यूनतम लैंथ 2700 2700 1600
न्यूनतम विड्थ 1500 1500 940
न्यूनतम हाइट 1500 1500 1000
(साइज मिलीमीटर में)
सबसे जरूरी...
- एम्बुलेंस का पंजीयन स्वास्थ्य विभाग से कराना होगा।
- पंजीयन सिर्फ पंजीयन तिथि से पांच साल तक के लिए होगा।
- इस दौरान स्वास्थ्य विभाग और परिवहन विभाग को नियमिति इंस्पेशन करना होगा।
- फिटनेस टेस्ट भी नियमित हो।
- जांच के दौरान सभी उपकरण चालू अवस्था में मिले। अन्यथा पंजीयन रद्द।





टैक्सी व निजी गाड़ियों को बना दिया एम्बुलेंस


- इंदौर में कार्रवाई का वादा, मंदसौर-नीमच-शाजापुर सालभर से जारी है आॅपरेशन एम्बुलेंस
इंदौर. विनोद शर्मा ।
एमपी09टीए6065 (टवेरा)...। मालिक कृष्ण मीणा...। पंजीयन हुआ  20 जून 2011 को...। पंजीयन श्रेणी टैक्सी, उपयोग एम्बुलेंस के रूप में। टैक्सी परमिट लेकर महज 500 रुपए की बत्ती और 300 रुपए का हुटर लगाकर ऐसी एक-दो, दस नहीं बल्कि दर्जनों गाड़ियों को एम्बुलेंस बनाकर शहर की सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। न टोल टैक्स देने की जरूरत। न पुलिस या आरटीओ की रोकाराकी का तनाव।
टूर्स एंड ट्रेवल्स के क्षेत्र में बढ़े कॉम्पिटिशन और सरकारी महकमों में मुश्किल हुए गाड़ी अटैचमेंट  के बीच तथाकथित समाजसेवियों ने एम्बुलेंस सेवा को धंधा बना लिया है। क्योंकि बैठक व्यवस्था में फेरबदल और बत्ती, हुटर, स्टीकर लगाकर गाड़ी को एम्बुलेंस बनाना सरल है। न ज्यादा कॉम्पिटिशन। न ही ज्यादा भावताव। पूर्णत: मनमानी।
यह कैसी आस्था...
आस्था चिकित्सा संस्थान, हवा बंगला के पास सबसे ज्यादा एम्बुलेंस हैं। हालांकि आस्था के नाम पंजीबद्ध सिर्फ दो एम्बुलेंस (एमपी09एसी1588 और एमपी09एसी0551) ही हैं। बाकी हेमंत राठौर (एमपी09एसी4637 और एमपी50टी0350) राजकुमार जैन (एमपी09एस 6791, एमपी09एमए 3848 और एमपी09एसी 1589) के साथ ही भरत जैन की टाटा वेंच्युअर (एम04सीएच1279) भी जो प्राइवेट कार है लेकिन उसे एम्बुलेंस बना दिया गया है।
एम्बुलेंस जिनका पंजीयन ही नहीं...
गाड़ी मालिक क्लास
एमपी09एफए4708 कैलाश बहुरिया प्राइवेट ओमनी
एमपी04सीएच1279 भरत जैन कार
एमपी09टीए6065 कृष्णा मीणा टैक्सी
बूढी हो गई एम्बुलेंस...
नियमानुसार किसी भी नए वाहन को एम्बुलेंस के रूप में सिर्फ 5 साल के लिए पंजीबद्ध किया जाता है लेकिन इंदौर की सड़कों पर 15-20 साल पुरानी कंडम एम्बुलेंस भी दौड़ रही है।
‘एम्बुलेंस’ पंजीयन वर्ष उम्र
एमपी09एमए3549 02-08-2003 13 वर्ष
एमपी09एसी1589 04-02-2002 14 वर्ष
एमपी09एसी4637 17-09-2007 8 वर्ष
एमपी13टीए0632 03-08-2007 8 वर्ष
एमपी09एबी0990 25-06-2007 8 वर्ष
ट्रांसफर हो गई एम्बुलेंस...
नियमानुसार जिस गाड़ी को एम्बुलेंस के रूप में पात्रता मिली है उसका ट्रांसफर नहीं हो सकता है। इसका बड़ा उदाहरण एम09एमए3549 नंबर की एम्बुलेंस है जो 2 अगस्त 2003 को सुयश हॉस्पिटल ने खरीदी थी। 6 अगस्त 2003 को पंंजीयन हुआ। इस एम्बुलेंस को 2012 में विनोद पिता रमेश राठौर ने खरीदा।
बर्दाश्त नहीं होगी नहीं नकली एम्बुलेंस...
एम्बुलेंस के मामले में मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जो एम्बुलेंस सही रजिस्टर्ड नहीं है या मापदंड पर खरी नहीं उतरती है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।
डॉ. एस.पोरवाल, सीएचएमओ
नियमों के विपरित कोई एम्बुलेंस इंदौर की सड़कों पर नहीं दौड़ेगी। दबंग दुनिया ने एम्बुलेंस को लेकर जो तथ्य उजागर किए हैं उनके आधार पर कार्रवाई करेंगे।
एम.के.सिंह, आरटीओ
यहां पहले हो चुकी है कार्रवाई
- मई 2015 में रायपुर में सर्च हुई और 16 अवैध एम्बुलेंस पकड़ी गई।
- 5 सितंबर 2015 को मंदसौर में स्वास्थ्य विभाग और आरटीओ की टीम ने संयुक्त कार्रवाई की और 4 एम्बुलेंस पकड़ी। 30 चालान बनाए। 3-3 हजार दंड वसूला।
- सितंबर महीने में आरटीओ ने शाजापुर में कार्रवाई की। आधा दर्जन एम्बुलेंस पर कार्रवाई की। आरटीओ ज्ञानेंद्र वैश्य ने कहा था कि शासन द्वारा एम्बुलेंस संचालन को लेकर तय किए गए मापदंड संबंधी निर्देश प्राप्त हुए हैं। निरीक्षण के दौरान जिले में संचालित होने वाली जो एम्बुलेंस निर्धारित मापदंड पूरा करेगी, उसे ही उपयुक्तता प्रमाण पत्र दिया जाएगा।


नर्मदा-गंभीर संगम का श्रीगणेश

- बड़वाह के पास पंपिंग स्टेशन और लाइन बिछाने का काम शुरू
- फरवरी 2018 है डेडलाइन
 इंदौर-उज्जैन के 158 गांवो की 50 हजार हेक्टेयर जमीन तर करेगा 15 क्यूसेक पानी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सर्वे और डिजाइन की कागजी कवायदों के बाद 2157 करोड़ रुपए की नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना का मैदानी काम शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत बड़वाह के पास पंप हाउस-1 के निर्माण से हो चुकी है। कुछ स्थानों पर पाइप लाइन डालने का काम भी चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंक के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पानी आएगा और 50 हजार हेक्टेयर जमीन को नई जान मिलेगी।
नर्मदा-शिप्रा लिंक का कॉन्ट्रेक्ट फरवरी 2015 में दिया था। काम 3 साल में (फरवरी 2018 तक) पूरा करना है। अनुबंध के अनुसार कंपनी ने फरवरी से दिसंबर के बीच उस पूरे क्षेत्र का सर्वे किया जहां लाइन डाली जाना है। पंप हाउस बनना है। इसके बाद डिजाइन बनाई गई। सरकार की मंजूरी के बाद कंपनी ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) की हरी झंडी मिलते ही बिना शिलान्यास की औपचारिकता का इंतजार के काम शुरू कर दिया।  बड़वाह के पास पंपिंग स्टेशन (पीएस-1) का काम शुरू हो चुका है। जैसे नर्मदा-शिप्रा लिंक में सिसलिया वॉटर रिजर्वर बना है वैसा इस प्रोजेक्ट में नहीं बनेगा।  नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना के तहत ओंकारेश्वर केनाल की राइट साइड (किलोमीटर 9.775) से डायरेक्टर पानी लिफ्ट होगा।  बड़वाह से 3200 एमएम की एमएस पाइप मेन लाइन 34 किलोमीटर (16 किलोमीटर वन क्षेत्र और 18 किलोमीटर निजी-सरकारी जमीन) की आम्बाचंदन गांव तक डाली जाना है। एक तरफ पाइपों मोंडलिंग सिमरोल में शुरू हो चुकी है तो दूसरी तरफ बड़वाह के पास पाइप लाइन बिछाई जाने लगी है।
ऐसा होगा प्रोजेक्ट
- 3200 एमएम डाया कि लाइन डलेगी ओंकारेश्वर से आम्बाचंदन के बीच 34 किलोमीटर में।
- यहां से भागोदा तक 40 किलोमीटर 3200 एमएम पाइप लाइन डलेगी। यहां से दो अलग-अलग लाइन होगी। नदी के दोनों ओर। एक 75 किलोमीटर लंबी। दूसरी 57.5 किलोमीटर लंबी।
- इससे इंदौर-उज्जैन जिले की 6 तहसील और 158 गांवों की 50 हजार हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होगी। आम्बाचंदन से यशवंत सागर के बीच इस पानी का औद्योगिक और घरेलू उपयोग होगा।
- वन क्षेत्र की 13.60 हेक्टेयर जमीन पर पाइप और बिजली लाइन डलेगी। पंप हाउस बनेगा। पाइपलाइन 1 मीटर की गहराई में डल रही है।
कितनी क्षमता है नहर की
जिस नहर से पानी लिफ्ट किया जाना है उसकी क्षमता 85 क्यूमिक है। इसमें 36 क्यूमिक पानी ओएसपी फ्लो केनाल में छोड़ा जाता है जबकि 15 क्यूमेक पानी ओएसपी लिफ्ट केनाल में। बचा 34 क्यूमिक पानी इसमें से 15 क्यूमेक पानी नर्मदा-मालवा-गंभीर लिंक प्रोजेक्ट को मिलेगा।
फायदा यहां...
तहसील गांव की संख्या
सांवेर 28
देपालपुर 53
उज्जैन 20
घटिया 33
बड़नगर 17
खाचरोद 7
(इन तहसीलों में पेयजल की व्यवस्था भी प्रोजेक्ट के माध्यम से होगी। इन गांवों की 50 हजार हेक्टेयर जमीन को पाइप्ड प्रोजेक्ट से सिंचित किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पानी पहुंचे।)

नर्मदा-गंभीर संगम का श्रीगणेश

- बड़वाह के पास पंपिंग स्टेशन और लाइन बिछाने का काम शुरू
- फरवरी 2018 है डेडलाइन
 इंदौर-उज्जैन के 158 गांवो की 50 हजार हेक्टेयर जमीन तर करेगा 15 क्यूसेक पानी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सर्वे और डिजाइन की कागजी कवायदों के बाद 2157 करोड़ रुपए की नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना का मैदानी काम शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत बड़वाह के पास पंप हाउस-1 के निर्माण से हो चुकी है। कुछ स्थानों पर पाइप लाइन डालने का काम भी चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंक के मुकाबले तीन गुना ज्यादा पानी आएगा और 50 हजार हेक्टेयर जमीन को नई जान मिलेगी।
नर्मदा-शिप्रा लिंक का कॉन्ट्रेक्ट फरवरी 2015 में दिया था। काम 3 साल में (फरवरी 2018 तक) पूरा करना है। अनुबंध के अनुसार कंपनी ने फरवरी से दिसंबर के बीच उस पूरे क्षेत्र का सर्वे किया जहां लाइन डाली जाना है। पंप हाउस बनना है। इसके बाद डिजाइन बनाई गई। सरकार की मंजूरी के बाद कंपनी ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) की हरी झंडी मिलते ही बिना शिलान्यास की औपचारिकता का इंतजार के काम शुरू कर दिया।  बड़वाह के पास पंपिंग स्टेशन (पीएस-1) का काम शुरू हो चुका है। जैसे नर्मदा-शिप्रा लिंक में सिसलिया वॉटर रिजर्वर बना है वैसा इस प्रोजेक्ट में नहीं बनेगा।  नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना के तहत ओंकारेश्वर केनाल की राइट साइड (किलोमीटर 9.775) से डायरेक्टर पानी लिफ्ट होगा।  बड़वाह से 3200 एमएम की एमएस पाइप मेन लाइन 34 किलोमीटर (16 किलोमीटर वन क्षेत्र और 18 किलोमीटर निजी-सरकारी जमीन) की आम्बाचंदन गांव तक डाली जाना है। एक तरफ पाइपों मोंडलिंग सिमरोल में शुरू हो चुकी है तो दूसरी तरफ बड़वाह के पास पाइप लाइन बिछाई जाने लगी है।
ऐसा होगा प्रोजेक्ट
- 3200 एमएम डाया कि लाइन डलेगी ओंकारेश्वर से आम्बाचंदन के बीच 34 किलोमीटर में।
- यहां से भागोदा तक 40 किलोमीटर 3200 एमएम पाइप लाइन डलेगी। यहां से दो अलग-अलग लाइन होगी। नदी के दोनों ओर। एक 75 किलोमीटर लंबी। दूसरी 57.5 किलोमीटर लंबी।
- इससे इंदौर-उज्जैन जिले की 6 तहसील और 158 गांवों की 50 हजार हेक्टेयर जमीन में सिंचाई होगी। आम्बाचंदन से यशवंत सागर के बीच इस पानी का औद्योगिक और घरेलू उपयोग होगा।
- वन क्षेत्र की 13.60 हेक्टेयर जमीन पर पाइप और बिजली लाइन डलेगी। पंप हाउस बनेगा। पाइपलाइन 1 मीटर की गहराई में डल रही है।
कितनी क्षमता है नहर की
जिस नहर से पानी लिफ्ट किया जाना है उसकी क्षमता 85 क्यूमिक है। इसमें 36 क्यूमिक पानी ओएसपी फ्लो केनाल में छोड़ा जाता है जबकि 15 क्यूमेक पानी ओएसपी लिफ्ट केनाल में। बचा 34 क्यूमिक पानी इसमें से 15 क्यूमेक पानी नर्मदा-मालवा-गंभीर लिंक प्रोजेक्ट को मिलेगा।
फायदा यहां...
तहसील गांव की संख्या
सांवेर 28
देपालपुर 53
उज्जैन 20
घटिया 33
बड़नगर 17
खाचरोद 7
(इन तहसीलों में पेयजल की व्यवस्था भी प्रोजेक्ट के माध्यम से होगी। इन गांवों की 50 हजार हेक्टेयर जमीन को पाइप्ड प्रोजेक्ट से सिंचित किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पानी पहुंचे।)

शराब कारोबारी शिवहरे समूह पर आयकर का ऐतिहासिक छापा

- मप्र सहित कई राज्यों के दर्जनों शहर में 55 ठिकानों पर कार्रवाई
- इंदौर में शिवहरे और भाटिया के 13 ठिकानों पर दबिश
- 200 अधिकारियों ने की कार्रवाई
- बड़ी संख्या में काली कमाई और जमीनी निवेश के दस्तावेजी प्रमाण बरामद
- 100 करोड़ से अधिक की काली कमाई का अनुमान
- नजदीक से लेकर दूर तक के रिश्तेदार भी नपे
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
इंजीनियरिंग एज्युकेशन से लेकर शराब तक का कारोबार करने वाले शिवहरे ग्रुप के  इंदौर, ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर सहित दर्जनभर शहरों में 55 ठिकानों पर इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग ने गुरुवार को छापेमार कार्रवाई की। इंदौर में ही शिवहरे और उनके भागीदारों के घर के साथ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों सहित कुल 13 स्थानों पर दबिश दी गई। बड़ी गोपनीयता के साथ शुरू हुई इस कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में प्रॉपर्टी के दस्तावेज बरामद किए गए। ठिकानों की संख्या के लिहाज से इसे आयकर मप्र की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि  मप्र, यूपी और झारखंड में आयकर विभाग ने शिवहरे समूह और उनसे जुड़े कारोबारियों के यहां एक साथ छापा मारा है। विभाग ने इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, शिवपुरी, कोलारस, जबलपुर, सागर, बैतूल, सतना, झांसी, जमशेदपुर और धनबाद में कार्रवाई की है। शुरूआती आंकलन में टीम अनुमान लगा रही है ग्रुप ने करीब 100 करोड़ की टैक्स चोरी की है। हालांकि वास्तविक टैक्स चोरी की रकम का पता कार्रवाई पूरी होने के बाद ही चल सकेगा। कार्रवाई को तकरीबन 200 अधिकारियों की टीम ने अंजाम दिया। स्थानीय स्तर से लेकर भोपाल तक इस ग्रुप की रसूखदारों से लंबी सांठगांठ है। इसमें कई नेताओं के अलावा आबकारी और राज्य शासन के बड़े-बड़े अधिकारियों के नाम शामिल हैं। ग्रुप से सतत लेनदेन रखने वाले इस समूह पर हुई कार्रवाई ने इनकी नींद भी उड़ा दी है।
इंदौर में 13 स्थानों पर कार्रवाई...
इंदौर के शराब करोबारी रामस्वरूप शिवहरे के स्कीम-54 स्थित निवास, 501 शेखर प्लेनेट स्थित रमेशचंद्र राय, 306 एबी स्कीम 74 स्थित हरमिंदर सिंह उर्फ पिंटू भाटिया, 502 शेखर रेसीडेंसी स्थित मुकेश शिवहरे, 76 विजयनगर स्थित सुमित मंडोक  के घर कार्रवाई हुई। इसके साथ ही शिवहरे और भाटिया द्वारा संयुक्त रूप से संचालित बायपास पर मालवा ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूट(एमआईटी) कॉलेज, मंगलसिटी स्थित पब लेवल थ्री, बायपास पर एक फेक्टरी और मक्सी शाजापुर स्थित रेंगट बियर एंड वाइन कंपनी के साथ ही भारती डेवकॉन प्रा.लि. और भारती बिल्डकॉन प्रा.लि. के ठिकानों पर भी कार्रवाई हुई। ग्रुप की दर्जनभर कंपनियां हैं। कंपनी इंदौर-देवास फोरलेन पर शिप्रा स्थित टोल प्लाजा का संचालन भी कर चुकी है। ग्रुप की कोलकाता में भी एक कंपनी है।
पूरे परिवार पर कार्रवाई...
इंदौर में रामस्वरूप शिवहरे, मुकेश शिवहरे, पुनम शिवहरे, गोपाल शिवहरे, भारती शिवहरे, जबलुपर में रणजीत शिवहरे के अलावा आयकर विभाग की टीम ने शिवपुरी जिले के कोलारस में कांग्रेस नगरपंचायत अध्यक्ष और शराब कारोबारी रविन्द्र शिवहरे के यहां भी छापेमारी की कार्रवाई की गई है। रविंद्र रणजीत के मौसेरे भाई हैं। जबलपुर स्थित आशीष शिवहरे के गोरखपुर स्थित घर पर भी रेड मारी।  इसके अलावा जबलपुर टीम ने शराब कारोबारी सतना में लक्ष्मीनारायण शिवहरे एंड संस के लक्ष्मी नारायण शिवहरे और उनके भाईयों के ठिकानों के साथ शहर में उदय शिवहरे, संजय शिवहरे के ठिकानों पर कार्रवाई की। इसी फर्म के सतना, बांदा, बैतूल, रतलाम, ग्वालियर स्थित आवासों, दफ्तरों एवं ग्रुप की दुकानों पर भी कार्रवाई हुई। विंग ने भरहुत नगर में ही राजकुमार शिवहरे और कुलदीप सिंह के घर भी छापा मारा।
‘‘शिवहरे पर कार्रवाई कैसे हो गई’’
शराब सिंडीकेट में अलग रसूख के साथ ही कई मंत्रियों और मुख्यमंत्री तक सीधी पेठ रखने वाले शिवहरे गु्रप पर हुई कार्रवाई ने शराब से लेकर रीयल एस्टेट तक में दखल रखने वालों को चौका दिया। कई तो शुरूआत में छापे की खबर को सिर्फ अफवाह बताते रहे लेकिन पुष्टि के बाद उनके चेहरे भी खिले नजर आए। संबंधित कारोबारियों के मुताबिक बीते कुछ सालों में इस ग्रुप ने इंदौर और जबलपुर के अलावा अन्य शहरों में भी जमीन जायदाद सहित अन्य धंधों में भी काफी पूंजी निवेश की है।

अफसरों ने पकड़ी राय की झूठी बेहौशी

-शिवहरे समूह पर दूसरे दिन भी जारी रही छापेमारी
- कार्रवाई के दौरान 3 करोड़ नकद, 2.5 करोड़ की ज्वैलरी मिली
- 20 लॉकर मिले, 15 सील, दस्तावेजों की जांच शुरू
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
शराब कारोबारी शिवहरे और उनकी सहयोगी फर्मों के खिलाफ जारी इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग की दूसरे दिन की कार्रवाई के दौरान रामस्वरूप शिवहरे के नजदीकी रमेशचंद्र राय ने बेहौशी का बहाना अफसरों के सामने चल नहीं पाया। कुछ मिनट में ही उनकी हकीकत सामने आ गई। इसके बाद आयकर अफसरोंं ने उन्हें जमकर फटकार लगाई।
  ग्वालियर के शराब कारोबारी लक्ष्मीनारायण एवं रामस्वरुप शिवहरे और उनके बिजनेस पार्टनर्स के यहां आईटी विभाग की रेड दूसरे दिन भी लगातार जारी है।  55 ठिकानों में से इंदौर और ग्वालियर में ही कुल 34 स्थान थे जहां कार्रवाई हुई। इंदौर में पूछताछ के दौरान रामस्वरूप शिवहरे और हरमिंदरसिंह उर्फ पिंटू भाटिया के सूत्रधार रमेशचंद्र राय बेहोश हो गए। हार्ट की प्रॉब्लम बताई गई। अधिकारियों ने बॉम्बे हॉस्पिटल से डॉक्टर बुलाए। जांच के बाद डॉक्टरों ने हार्ट की प्रॉब्लम सिरे से नकार दी और कहा कि राय स्वस्थ्य है यदि बेहोश हुए भी होंगे तो सिर्फ गेस्ट्रिक प्रॉब्लम से। यह सुनते ही जहां राय सन्न हो गए वहीं आयकर अफसरों ने उन्हें फटकारा।
दो दिनों में करीब 3 करोड़ नकद और ढ़ाई करोड़ की ज्वैलरी जब्त की गई। 20 लॉकर मिले हैं। इनमें से 15 सील किए गए। झारखंड में 50 लाख नकद और एक लॉकर मिला है। इसके अलावा झांसी-ललितपुर में भी केश और 4 लॉकर मिले। 3 सील कर दिए गए। शुक्रवार को कुछ ठिकानों पर कार्रवाई खत्म हुई। ठिकानों की संख्या कम होते ही विंग ने जब्त दस्तावेजों की जांच तेज कर दी है।
इंदौर में मिले 35 लाख...
जांच के दौरान इंदौर में 35 लाख रुपए नकद मिले हैं। कुछ ज्वैलरी मिली है। 4 लॉकर सीज किए गए हैं। इसके अलावा कुछ राजनीतिक लोगों से संबंध भी सामने आए हैं। डबल इंट्री सिस्टम पकड़ में आया है। इसमें ओरिजनल इंट्री भी विंग के हाथ लगी है।
राय इन कंपनियों में है डायरेक्टर...
1- कस्तुरी बिल्टअप प्रा.लि., 2- राधे बिस्किट प्रा.लि., 3- पेसिफिक अल्कोबेव प्रा.लि., 4- रेगेंट बीयर एंड वाइन प्रा.लि., 5-अम्ब्रोसिया प्लासिटक प्रोडक्ट प्रा.लि., 6-ब्लैकबेरी इन्फ्रा बिल्ड प्रा.लि., 7- एलेनमल्टी टेडिंग प्रा.लि., 8- जय बाबा फाइनेंस लिमिटेड, 9- मां रतनगढ़ डेवलपर्स प्रा.लि. और डीएनआर बिल्डर्स प्रा.लि.।

शिवहरे की शराब उतारेगी ‘आबकारी’ का नशा

- आयकर की कार्रवाई ने खोला जुगल‘बंदी’ का खेल
- नीचे से ऊपर तक के अधिकारियों के नाम
इंदौर. विनोद शर्मा ।
आयकर ने छापेमार कार्रवाई शराब कारोबारी शिवहरे समूह पर की लेकिन सबसे ज्यादा सदमे में है आबकारी विभाग और पुलिस महकमा। कार्रवाई के दौरान कई ऐसे दस्तावेजी प्रमाण आयकर अधिकारियों के हाथ लगे हैं जो शराब किंग और सरकारी अधिकारियों के ‘प्रगाढ़’ संबंध की पुष्टि करते हैं। इन दस्तावेजों के साथ रिपोर्ट लोकायुक्त को सौंपी जाएगी। यदि ऐसा हुआ पूरे आबकारी विभाग को शिवहरे की शराब महंगी पड़ेगी।
शिवहरे जितना बड़ा समूह है दस्तावेजों के मामले में उतना ही कच्चा और अगंभीर। कंपनी अपने कारोबार की डबल इंट्री रखी है। एक में वो जानकारी जो विभागों को दी जाती है और दूसरी में वो जानकारी जिसमें सभी काला-पीला रहता है। कार्रवाई के दौरान इनकम टैक्स को दोनों इंट्री मिल चुकी है। दूसरे दर्जे की असल इंट्री ने अधिकारियों को चौका दिया। उसमें आबकारी विभाग के एक-एक कर्मचारी-अधिकारी का नाम है। किसी की वार्षिक बंदी है। किसी की मासिक बंदी। बंदीदारों में पुलिस महकमे के अधिकारी भी हैं जो उन थानों पर पदस्थ हैं जहां से शराब की वैध-अवैध गाड़ियां निकलती है।
बताया जा रहा है की कार्रवाई के दौरान इनकम टैक्स जो रिपोर्ट बनाकर लोकायुक्त को सौंपेगा उसमें आबकारी विभाग के 90 फीसदी कर्मचारी-अधिकारियों के नाम का जिक्र है। लिहाजा लोकायुक्त के लिए भी इनके खिलाफ कार्रवाई चुनौती से कम नहीं होगी। चूंकि शिवहरे समूह का कारोबार इंदौर, ग्वालियर, शाजापुर, भोपाल, सतना, जबलपुर, बैतूल जैसे कई शहरों में फैला है इसीलिए सूची में वहां के अफसरों के नाम भी है।
राजनीतिक रसूखदार और नगर निगम के अफसर भी...
शिवहरे के बंदीदारों में राजनीतिक रसूखदारों के साथ ही नगर निगम, इंदौर के अफसरों के नाम भी हैं जिन्होंने विजयनगर में वाइनशॉप बनवाने में अहम भूमिका निभाई। या जो समय-समय पर शिवहरे के साथ नजर आते हैं। नगर निगम की टीम शिवहरे-भाटिया को रीयल एस्टेट कारोबार में खुले दिल से साथ देती है।
कभी सोचा नहीं था कार्रवाई होगी
अधिकारियों ने बताया कि शिवहरे समूह ने कारोबार को जितना अव्यवस्थित रूप से फैला रखा है उसे देखकर लगता है कि वह पूरी तरह आश्वस्त था कि कोई उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता।

शिवहरे समूह पर आयकर का छापा;;;; 100 कमाकर 70 बांटना पड़ता है...

- आबकारी-पुलिस के साथ नेताओं को भी जाता है पैसा
- 55 ठिकानों में से आधा दर्जन पर पीओ, बाकी पर कार्रवाई संपन्न 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
अधिकतर कारोबार नकद होता है। सरकार शराब से खजाना भरना चाहती है और सिस्टम अपनी जेब। यदि सारा खर्च काटकर हम 100 रुपए कमाते भी हैं तो 70 रुपए बांटना पड़ते हैं। किसे नहीं दें। आबकारी-पुलिस तो माई-बाप है ही नेता  को नाराज नहीं कर सकते। अब उतनी कमाई नहीं, जितनी पहले थी। इंदौर में समूह की दो दर्जन दुकाने हैं। देशी-विदेशी शराब की। आधा दर्जन शराब और डिस्टलरी कंपनियों से ताल्लुक है। ये खुलासा आयकर अधिकारियों द्वारा की गई पूछताछ के दौरान शिवहरे परिवार ने किया। शनिवार सुबह तक 55 में से करीब 50 ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई संपन्न हो चुकी थी जबकि आधा दर्जन ठिकानों पर प्रोबेटरी आॅर्डर (पीओ) लगाकर कार्रवाई को अल्प विराम दे दिया गया। दूसरा चरण सोमवार से शुरू होगा।
आमतौर पर इनकम टैक्स की सर्च 3-4-5 दिन तक चलती है लेकिन यहां तीसरे दिन कार्रवाई का दौर थम गया। इसके पीछे अधिकारियों ने बताया कि सर्च के दौरान जहां दस्तावेज और काली कमाई से जुड़े दस्तावेजी तथ्य तलाशना पड़ते हैं जो कि एक-एक करके सामने आते हैं इसीलिए वहां समय लगता है। यहां उलटा था, कभी कार्रवाई हो नहीं सकती इस बात से पूरी तरह आश्वस्त शिवहरे परिवार ने शराब का कारोबार और काली कमाई के प्रमाण फैला रखे थे। जो कार्रवाई के पहले-दूसरे दिन जब्त कर लिए गए। दस्तावेज पुख्ता हैं इसीलिए अनावश्यक समय लगाने का सवाल ही उठता। इसीलिए कार्रवाई वाइंडअप की। अब दस्तावेजों के साथ सवाल डिपार्टमेंट के होंगे और सफाई व जवाब शिवहरे समूह के।
आधा दर्जन जगह पीओ...
आधा दर्जन स्पॉट ऐसे हैं जहां कुछ कारणों से दस्तावेजों और कम्प्यूटर की जांच होना बाकी है वहां पीओ लगा दिया गया है। यदि किसी स्थान पर पूरी तरह जांच नहीं हो पाती है और जहां दस्तावेज जब्त करके वहीं सील कर दिए जाते हैं वहां प्रोबेटरी आॅर्डर (प्रतिबंधात्मक आदेश) जारी कर दिया जाता है। कोई न परिसर में जा सकता है। न ही किसी दस्तावेज से छेड़छाड़ कर सकता है।
20 लॉकर सील...
कुल 20 लॉकर मिले हैं जिन्हें सील कर दिया गया है। 4 लॉकर इंदौर में सील हुए हैं। सील लॉकर की जांच अगले सप्ताह तक शुरू होगी। बड़े स्तर पर एक्साइज टैक्स चोरी और  शराब की बल्क में अवैध बिक्री के भी दस्तावेज मिले हैं।
थोड़ा इंतजार...
शिवहरे समूह की काली कमाई और टैक्स चोरी का आंकड़ा कितना है? इसके जवाब में विंग का कहना है कि चूंकि 55 ठिकानें थे। चार राज्य हैं। कई शहर। इसीलिए वहां उन सब स्थानों पर जब्त दस्तावेजों की जांच करके आंकड़े एक्जाई करेंगे। तभी पता चलेगा कितना काला धन है और कितना टैक्स चोरी किया।
जांच के लिए हैदराबाद जाएंगे मोबाइल
कई ठिकानों पर मोबाइल और मोबाइल का डाटा जब्त किया गया है। इनमें लेन-देन के ब्योरे मिले हैं। यह मोबाइल भोपाल मुख्यालय भेजा जाएगा। विभागीय जानकारों के अनुसार, मोबाइल में कारोबार के बाबत कई लोगों से बात होती रही है। उसे फोरेंसिक जांच के लिए हैदराबाद भेजा जाएगा। बातचीत के सारे रिकॉर्ड निकालने की कोशिश होगी। इससे पता चलेगा कि किन लोगों से क्या बात हुई? क्या-क्या मैसेज आए? और कितने का लेन-देन हुआ है?

पूरे बायपास के दोनों ओर बनेगी सर्विस रोड

- 32 किलोमीटर लंबे रोड पर 102.43 करोड़ की 30.10 किलोमीटर सर्विस मंजूर
- आईडीटीएल और लिया कंसलटेंट को लिखा पत्र, दी तैयारियों की हिदायत
- अभी आधे हिस्से में है सर्विस रोड
इंदौर. विनोद शर्मा ।
निर्माणाधीन इंदौर-देवास सिक्सलेन प्रोजेक्ट के तहत 32 किलोमीटर लंबे बायपास (राऊ सर्कल से सेंट्रल पॉइन्ट मांगलिया) पर दोनों तरफ पूरी सर्विस रोड बनेगी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की मांग के बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया (एनएचएआई) ने सर्विस रोड का खांका खींच दिया है। सर्विस रोड को मैदानी शक्ल देने की अनुमानित लागत 102.43 करोड़ आंकी गई है। इस सड़क के बनने से न सिर्फ बायपास पर सफर सुरक्षित होगा बल्कि आसपास की कॉलोनियों के लोगों को चौराहों तक पहुंचने में आसानी होगी।
एनएचएआई ने प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी आईडीटीएल और कंसलटेंट कंपनी लिया एसोसिएट्स साउथ एशिया प्रा.लि. को पत्र लिखकर सर्विस रोड की संभावनाएं जांचने के निदे्रश दिए हैं। पत्र में एनएचएआई ने 28 मई 2015 को लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती महाजन द्वारा ली गई बैठक और बैठक में की गई सर्विस रोड की मांग की भी जानकारी दी।  एनएच ने कहा है कि बायपास के दोनों तरफ फूल लैंग्थ सर्विस रोड बनना है। निर्माण डिजाइन बिल्ट फाइनेंस आॅपरेट एंड ट्रांसफर (डीबीएफओटी) के तहत आईडीटीएल से हुए अनुबंध के तहत ही होंगे। जो अतिरिक्त लागत आएगी, उसकी रिकवरी के लिए टोल वसूली की समयसीमा बढ़ा दी जाएगी।
ऐसी होगी सर्विस रोड...
अभी बायपास पर 50 फीसदी हिस्से में सर्विस रोड है। चेंज आॅफ वर्क स्कॉप (सीडब्ल्यूएस) के तहत दोनों तरफ 30.10 किलोमीटर लंबा सर्विस रोड बनेगा। इस दौरान सर्विस रोड के साथ पुल-पुलिया और कलवर्ट भी बढ़ेगी। इसीलिए इस प्रोजेक्ट की लागत 102.48 करोड़ आंकी गई है। सर्विस रोड की चौड़ाई 5 मीटर होगी।
क्या-क्या बनेगा...
माइनर ब्रिज 7
बॉक्स कलवर्ट 2
स्लैब कलवर्ट 7
सिंगल रो पाइप कलवर्ट 11
डबल रो पाइप कलवर्ट 4
ट्रिपल रो पाइप कलर्वट 1
190 बिजली के खम्बे शिफ्ट होंगे
फुल लैंग्थ सर्विस रोड जिस जमीन पर बनना है वहां 190 बिजली के खम्बे लगे हैं। ये सभी हाइटेंशन लाइन (1100 और 3200 केवी) के हैं तो काफी कुछ जम्बो लाइन के जो बायपास की कॉलोनियों को रोशन करने के लिए बिछाई गई है। सर्विस रोड बनाने के लिए इनकी शिफ्टिंग जरूरी है।  34.16 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित कर सड़क बनेगी।
यहां से यहां तक नहीं है सर्विस रोड...
- राऊ जंक्शन से कैलोदकर्ताल : 7 किलोमीटर
- मिर्जापुर से मुुंडला नायता : 2.3 किलोमीटर
- मुंडला नायता से स्वामीनारायण मंदिर : 0.8 किलोमीटर
-  नेमावर रोड से बिचौली मर्दाना : 1.2 किलोमीटर
- ओमेक्स-1 से विस्तारा : 1 किलोमीटर
- इन्फोसिटी से अरंडिया : 1 किलोमीटर
क्यों जरूरी...
- बायपास के दोनों ओर कॉलोनियां हैं जहां सर्विस रोड नहीं है वहां लोग रॉन्ग साइड आते-जाते हैं। जिससे हादसे की संभावना बनी रहती है।
- सर्विस रोड न होने से कई जगह ट्रक मेन रोड पर खड़े हो जाते हैं।
- चौराहा रहित बायपास पर वाहनों की गति को इधर-उधर से जुड़ने वाले लोग प्रभावित करते हैं।
फायदे क्या...
- सर्विस रोड बनने से रॉन्ग साइड चलने की मजबूरी खत्म हो जाएगी।
- मेनरोड का दबाव डाइवर्ट होगा। जाम की संभावना कम होगी।
- मेन रोड और सर्विस रोड दोनों पर जोखिम कम होगा।



अफसरों की अंधेरगर्दी

‘सरकार’ को दे दी शिकायतकर्ताओं को सीधा करने की सुपारी
- सरकारी जमीन पर जिसकी कॉलोनी का किया खुलासा, उसी की शिकायत पर पुलिस-प्रशासन ने कर दिया जीना मुश्किल
इंदौर. विनोद शर्मा । 
असरावद खुर्द की सरकारी जमीन पर कॉलोनी काटने वाले भू-माफिया गुंडों से शिकायतकर्ताओं पर जो दबाव नहीं बनवा पाए, अब उसकी जिम्मेदारी जरखरीद अफसरों को सौंप दी गई है। न नियम, देखा न कायदा, अफसर भी निकल पड़े शिकायतकर्ताओं को सबक सीखाने। जातिसूचक शब्दों की झूठी शिकायत पर एक तरफ पुलिस ने पूर्व सरपंच पर शिकंजा कसा तो दूसरी तरफ कब्जों के खिलाफ कमर कसकर बैठे मौजूदा सरपंच को सरकारी जमीन से गुमटी हटाने के मामले में धारा 40 का नोटिस थमाकर प्रशासनिक अधिकारियों ने पद से हटाने की तैयारी शुरू कर दी।
सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर चर्चा में आया असरावद खुर्द सरकारी सपोर्ट से भू-माफियाओं की जागिर बनता जा रहा है। मौजूदा सरपंच भोजराज चौधरी और पूर्व सरपंच सीताराम चौधरी व अन्य शिकायकर्ताओं की शिकायत पर दबंग दुुनिया ने कब्जों का खुलासा किया। कलेक्टर पी.नरहरि के आदेश पर एसडीएम श्रृंगार श्रीवास्तव, तहसीलदार राजकुमार हलधर और पटवारी आर.एस.पवार ने जांच की। जांच के दौरान सरकारी जमीन (सर्वे नं. सर्वे नं. 19/2, 19/3, 37/1/1, 37/1/3, 37/2, 171/1, 171/1/1, 171/1/2, 171/1/3, 171/1/4 और 172/1) पर चार साल में अवैध कॉलोनियां कट चुकी है। यहां तकरीबन 170 मकान बन चुके हैं। तकरीबन 50 का निर्माण जारी है। कब्जों की वीडियोग्राफी हो चुकी है। आधुनिक मशीन से जमीन का सीमांकन भी हो चुका है। हालांकि अब तक कार्रवाई शुरू नहीं हुई।
भू-माफियाओं की धमकी पर पुलिस मौन...
पूर्व सरपंच पिंकी राजौरिया के पति पप्पू राजौरिया, देवर दिनेश राजौरिया, समधी महेश भीमाजी, विनोद मोरे, अमरचंद, सिकंदर व अन्य ने कॉलोनी काटी है। इसका खुलासा सतत प्रकाशित समाचारों में किया। 14 दिसंबर को पप्पू राजौरिया और विनोद मोरे ने रिपोर्टर को तीन अलग-अलग फोन से धमकी दी जिसकी शिकायत डीआईजी संतोष सिंह और सीएसपी आजादनगर को की। रिकॉर्डिंग की सीडी भी दी लेकिन महीनेभर में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब भी सीएसपी कार्यालय में फोन करके पूछा एक ही जवाब मिला, मेडम अभी छूट्टी पर हैं, लौटेंगी तब कार्रवाई होगी। शिकायत में उल्लेखित था कि पप्पू और उसके साथियोें ने शिकायतकर्ता और उसका साथ देने वाले हर शख्स को सबक सीखाने की बात कही है। इसीलिए भू-माफियाओं ने गुंडों का सहारा नहीं अफसरों की ही मदद ली।
जहां मिला पैसा, वहां काम हुआ ऐसा
सरकारी जमीन कब्जा मुक्त कराने की कल्पना करने वाले शिकायतकर्ताओं और उनके सहयोगियों को सरकार की तरफ से सराहना या प्रोत्साहन नहीं मिला। उलटा, पप्पू राजौरिया की झूठी शिकायत पर पहले आदिमजाति कल्याण थाने की पुलिस ने पूर्व सरपंच सीताराम चौधरी को पकड़ा। जैसे-तैसे अधिकारी कन्वेंस हुए और चौधरी को छोड़ा। इसके बाद 30 दिसंबर को तेजाजीनगर पुलिस ने पप्पू की शिकायत पर चौधरी को पकड़ा, फोन जब्त कर लिया। पूरा परिवार परेशान होता रहा। शुभचिंतकों की दखल के बाद चौधरी को देर रात छोड़ा गया।
भू-माफिया और अफसरों की मिलीभगत का दूसरा शिकार हुए मौजूदा सरपंच भौजराज चौधरी। 4 जनवरी 2016 को एसडीएम श्रृंगार श्रीवास्तव ने कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए मप्र पंचायती राज स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 40 के तहत चौधरी को सरपंच पद से हटाने की चेतावनी तक दे दी। चौधरी का कसूर यह है कि उसने सरकारी जमीन पर किसी महिला को गुमटी लगाने से मना कर दिया। इसी महिला की शिकायत पर एसडीएम ने कार्रवाई की और यहां तक कहा कि जब गुमटी हटा रहे हो तो सरकारी जमीन पर बने या बन रहे मकान क्यों नहीं हटाए।
क्यों सवालों के घेरे में ‘सरकार’
- 2009 से 2015 के बीच असरावद की सरपंच पिंकी राजौरिया रही। उनके पति और उनके देवर व समधी ने कई परिवारों को सरकारी जमीन पर प्लॉट बेचे। नौटरी की। दर्जनों शिकायतें हुई लेकिन एसडीएम कार्यालय ने कोई नोटिस नहीं दिया। क्यों?
- अवैध कॉलोनी यदि राजौरिया परिवार की नहीं थी तो उन्होंने प्रशासन पर कब्जों पर कार्रवाई के लिए दबाव क्यों नहीं बनाया? प्रशासन ने पिंकी को धारा 40 का नोटिस क्यों नहीं दिया?
- एमआर-10 पर सीलिंग की जमीन पर कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ प्रशासन ने एफआईआर कराई है। आधा दर्जन कॉलोनाइजरों की गिरफ्तारी की। फिर असरावद में कब्जेदारों पर रहमोकरम क्यों?
- पूर्व सरपंच और मौजूदा सरपंच के खिलाफ हुई शिकायतों की जांच किए बिना कैसे उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई? जबकि वे आदतन अपराधी नहीं है, सरकारी जमीन के चिंतक हैं।

36 अफसरों को शराब कंपनियां दे रही है 70 करोड़ का पैकेज

पाने वालों में कलेक्टर और आबकारी आयुक्त तक 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
देशी-विदेशी शराब बनाने वाली एक कंपनी (ब्रेवरीज और डिस्टलरी) अधिकारियों को सालाना 3.5 करोड़ रुपए की ‘तनख्वाह’ बांट रही है। इनमें सहायक जिला आबकारी अधिकारी (एडीईओ) से लेकर आबकारी आयुक्त (ईसी) और क्षेत्र के थाना प्रभारी से लेकर संबंधित जिले के कलेक्टर तक शामिल हैं। मप्र में दो दर्जन ब्रेवरीज और डिस्टलरी कंपनियां हैं। प्रदेश के तीन दर्जन भ्रष्ट अफसरों को सालाना 70  करोड़ का पैकेज मिल रहा है ताकि वे अपने फर्ज के साथ बेइमानी करते रहें।
इसका खुलासा इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग द्वारा शराब किंग शिवहरे समूह के खिलाफ की गई छापेमार कार्रवाई के दौरान हुआ। आधा दर्जन ब्रेवरीज और डिस्टलरी में समूह की दखल है। कार्रवाई के दौरान कुछ अहम लेजर डॉक्यमेंट और उनकी कॉपी हाथ लगी है जिनमें इस बात का पूरा हिसाब है कि किस अफसर को कितना पैसा गया। सूची के अनुसार इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, खरगोन, धार, राजगढ़, रायसेन, मुरैना, छतरपुर, शाजापुर के 36 फर्स्ट-सेकंड क्लास के अफसरों के नाम शामिल हैं।
ये है समूह की ब्रेवरीज और डिस्टलरी
रेजेंट बियर एंड वाइन प्रा.लि. मप्र
पेसिफिक अल्को बेव प्रा.लि. झारखंड
मालवा वाइन इंडिया लि. मप्र
मालवा ब्रेव एंड अल्कोहल(इंडिया) प्रा.लि. मप्र
पिनेकल ब्रेवरिज एंड डिस्टलरी इंडिया प्रा.लि. मप्र
अग्रवाल डिस्टलरी प्रा.लि. मप्र
भोपाल ब्रेवरीज एंड डिस्टलरी मप्र
ग्रेट गेलन लि. मप्र
चीयर्स ब्रेवरीज प्रा.लि. मप्र
(इन कंपनियों में लक्ष्मीनारायण शिवहरे, मनीश राय, रमेशचंद्र राय, सुनीत मंडहोक, हरमिंदरसिंह भाटिया, वैशाली शिवहरे, गोपाल सिंह डायरेक्टर हैं। ये सभी रिजेंट बियर एंड वाइन लि. में डायरेक्टर हैं।)
कैसे बाहर आया लेजर...
एक कंपनी में चार-छह लोग पार्टनर हैं। एक पूरा काम संभालता है, अफसरों को साधने की जिम्मेंदारी भी उसी की है। वह अफसरों को जितना पैसा देता है उसकी नाम और पद के साथ दी गई राशि के साथ इंट्री करता है ताकि अपने पार्टनर को सही-सही हिसाब दे सके। अलग-अलग ठिकानों पर से ऐसे दस्तावेज मिले हैं।
किसे कितना पैसा/माह
आबकारी आयुक्त 1 लाख
एडिशनल/डिप्टी कमिश्नर 50 हजार
डिविजनल कमिशनर 50 हजार
डिस्ट्रिक्ट एक्साइज आॅफिसर 50 हजार
अ.डिस्ट्रिक्ट एक्साइज आॅफिसर 50 हजार
कलेक्टर 25 हजार
एसपी 25 हजार
थाना/मैदानी स्टाफ 15 हजार
ब्रेवरीज
ब्रेवरीज जिला क्षमता
लिलासंस बे्रवरीज भोपाल 1.0
एमपी बियर प्रोडक्ट प्रा.लि. इंदौर 2.25
ेसोम डिस्टलरी एंड ब्रेवरीज रायसेन 9.92
तिरुपति अल्को ब्रेव प्रा.लि. मुरैना 9.5
जेगपिन ब्रेवरीज लि. छतरपुर 1.0
रिजेंट बियर एंड वाइन लि. शाजापुर 3.0
माउंट ब्रेवरीज लि. इंदौर 5.0
डिस्टलरी
ंअग्रवाल डिस्टलरी प्रा.लि. खरगोन
असोसिएटेड अल्कोहल खरगोन
कोक्स इंडिया लि. छतरपुर
ग्वालियर अल्कोब्रू प्रा.लि. ग्वालियर
ग्रेट गेलन लि. धार
ओएसिस डिस्टलरी लि. धार
सोम डिस्टलरी प्रा.लि. रायसेन
विंध्याचल डिस्टलरी प्रा.लि. राजगढ़


शराब से ग्लास-बोतल तक छाये शिवहरे

देवास में करीब भारीभरकम निवेश से बनाई हाईलाईन ग्लास र्वक्स प्रा. लि.
लोकल को ब्रांडेड शराब बना रही है ‘बोतल’
इंदौर. विनोद शर्मा । 
जिस शिवहरे समूह के खिलाफ आयकर ने छापेमार कार्रवाई की है उसका शराब से लेकर ग्लास और बोतलों तक पर कब्जा है। ये बोतलें लोकल शराब को ब्रांडेड बनाने के काम भी आती है ताकि मोटा माल कमाया जा सके। इसीलिए समूह ने नागदा (देवास बायपास पर) में ग्लास बोटलिंग फैक्टरी डाली है। इस फैक्टरी में शिवहरे समूह के सर्वेसर्वा लक्ष्मीनारायण शिवहरे हैं।
शराब कारोबारी लक्ष्मीनारायण शिवहरे ने शराब के वैध-अवैध धंधे से हुई कमाई का बड़ा हिस्सा ग्लास कारोबारी राजनारायण गुप्ता के साथ देवास की ग्लास कंपनी (हाईलाईन ग्लास र्वक्स प्रा. लि.) में निवेश किया है। इस कंपनी में अत्याधुनिक मशीनें स्थापित की गई ताकि देशी-विदेशी शराब के साथ ही ब्रांडेड शराब की बोतलें भी बनाई जा सके। शिवहरे समूह की दखल सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र स्थित एक बोटलिंग कंपनी में भी है। यहां भी ब्रांडेड शराब की बोतलें बनाई जाती है। बाद में इनमें सामान्य शराब मिलाकर ब्रांडेड शराब बनाई जाती है।
ऐसी है हाईलाईन ग्लास र्वक्स
देवास शहर से लगे गांव नागदा की सर्वे नं. 414, 415/1/1, 415/1/2, 415/1/3, 415/1/4,  415/2, 416, 417/1, 417/2, 418/1/1, 418/1/2, 418/1/3, 418/1/4,  418/2, 419/1/1, 419/1/2 और 419/2 की 3.643 हेक्टेयर जमीन सहित आठ एकड़ पर बनी हाईलाईन ग्लास र्वक्स प्रा. लि. है। 2009 में स्थापित हुई कंपनी में फार्मास्यूटिकल्स, लीकर और डेयरी प्रोडक्ट के लिए बोतलें बनाई जाती है। कंपनी ग्लास कारोबारी गुप्ता और शराब किंग शिवहरे परिवार संयुक्त रूप से संचालित कर रहा है। यहां आॅटोमेटिक ग्लास फॉर्मिंग मशीन स्थापित है। ज्यादातर 100 एमएल की बोतल बनाई जाती है। प्रोजेक्ट कुल आठ एकड़ जमीन पर है। मेन्युफेक्चरिंग केपेसिटी 150 टन/डे है इसका जिक्र नवंबर 2012 की एक रिपोर्ट में है। प्रोजेक्ट कॉस्ट 55.62 करोड़ है। 40.5 करोड़ की बैंक फेसिलिटी इकरा ने उपलब्ध कराई है।
कंपनीे ये बनाती है...
ग्लास बोटल (शराब, दवा और दूध की बोटलें)
ड्रिंकिंग ग्लास (सभी तरह के)
ग्लास क्रॉकरी
कंपनी के डायरेक्टर...
नाम पता
लक्ष्मीनारायण शिवहरे ग्वालियर
रवींद्र शिवहरे ग्वालियर
संध्या शिवहरे ग्वालियर
हरिओम शिवहरे ग्वालियर
कमला शिवहरे ग्वालियर
राजनारायण गुप्ता फिरोजाबाद
मनोज कुमार गुप्ता फिरोजाबाद 

पीओएस राशन के नाम पर दिखा रही है ठेंगा

पूरी तरह अमल से पहले सुधार और समझाइश जरूरी
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
राशन वितरण प्रणाली व्यवस्था को हाईटेक करने के मकसद से राशन दुकानों पर लगई गई आधुनिक मशीनें शासन और विभागों के साथ अब उपभोक्ताओं को भी ठेंगा दिखा रही है। मशीन ने वितरण प्रणाली को सुधारने के बजाए उलझा कर रख दिया। एक आदमी के राशन की इंट्री पहले 2 मिनट में हो जाती थी, 8-10 मिनट लग रहे हैं। 4जी के जमाने में 2जी से चल रहे सर्वर के अटकने से 10 दिनों में दुकानों से राशन नहीं बंट पाया है। हर दिन दुकान पर कतार नजर आ रही है सो अलग।
राशन के लिए शासन और खाद्य आपूर्ति विभाग ने आधुनिक पाइंट आॅफ सेल (पीओएस) मशीनें दुकानों पर उपलब्ध करवाई।  इसमें समग्र आईडी नंबर डालने के बाद संबंधित व्यक्ति के अंगूठे का निशान लिया जाता है। लेकिन कई उपभोक्ताओं के आधार नंबर लिंक नहीं होने से फिंगर प्रिंट मैच नहीं हो पा रहे हैं। जबकि इसमें उपभोक्ता और उसके पारिवारिक सदस्य की आईडी और नाम सही दर्ज होना चाहिए। उपभोक्ताओं की मशीनी शिनाख्ती या पर्ची निकलने में हो रही देर से एक राशनकार्ड पर राशन देने में 10-12 मिनट लग रहे हैं। पाबंदी के कारण दुकानदार चाहकर भी रजिस्टर में इंट्री करके राशन नहीं दे पा रहे हैं।
अकाउंट नहीं तो राशन नहीं...
सुप्रीमकोर्ट ने राशन वितरण में आधार की अनिवार्यता रोकी तो सरकार ने बैंक अकाउंट की अनिवार्यता लाद दी। गेैस की तरह सरकार भले राशन पर नकद सब्सिडी न दे लेकिन राशन वितरण के लिए राशनकार्डधारकों के बैंक अकाउंट जरूरी कर दिए गए हैं। 1 अपै्रल से जिन जिलों में उपभोक्ताओं को नकद सब्सिडी मिलेगी उनमें भी इंदौर को नाम नहीं है, फिर राशन से वंचित रखने का क्या मतलब।
सेल्समेन या सहायक ही खोल पाएगा मशीन
मशीन रोज ओपन करना पड़ती है। यह सेल्समैन या फिर उसके सहायक के थम्ब इम्प्रेशन से ही खुलती है। सेल्समैन या उस्रे सहायक की अनुपस्थिति में कोई अधिकृत होने के बावजूद राशन नहीं बांट पा रहा है। एक सेल्समैन ने बताया कि वह तीन बार थम्ब इम्प्रेशन अपडेट करवा चुका है लेकिन मशीन उसके थम्ब को एक्सेप्ट ही नहीं कर रही है।
राशन देने के बाद भी स्टॉक वहीं का वही
मशीन की बड़ी समस्या यह है कि इसमें स्टॉक अपडेट नहीं होता। उदाहरण के तौर पर एक उपभोक्ता को राशन देने के बाद जब मशीन से पर्ची निकाली जाती है तो उस पर उपभोक्ताओं को दिए गए राशन की क्वांटिटी तो होती है लेकिन वह सेल्समैन के स्टॉक से डिडक्ट नहीं होती।
यह भी होना चाहिए...
- जब तक मशीन संतोषजनक काम नहीं करती तब तक मेन्युअल वितरण भी हो।
- सप्ताह में एक बार सेल्समैन से स्टॉक डिटेल ली जाए।
- थम्ब इम्प्रेशन अटकने की स्थिति में रजिस्टर पर साइन कराई जा सके ताकि लोग भटके न।
 नेटवर्क बना परेशानी
पीओएस मशीन को आॅपरेट करने के लिए विभाग ने निजी दूरसंचार कंपनी से टाईअप किया है। कंपनी भी 2 जी नेटवर्क उपलब्ध करा रही है जबकि अब 3जी और 4जी का दौर है। 2जी के मुकाबले इनकी स्पीड ज्यादा है इससे उपभोक्ताओं को सहुलियत भी ज्यादा मिलती।
मेंटेनेंस भी नहीं...
मशीनें ठीक से काम नहीं कर रही। मेंटेनेंस का जिम्मा जिस डीएसके डिजिटल कंपनी को दिया गया है, वह मशीनों में आए दिन आ रही समस्याओं का निराकरण नहीं कर पा रही है। हर दिन दर्जनों शिकायतें आ रही है। पाइंट आॅफ सेल (पीओएस) न तो ठीक से काम कर रही और न ही उपभोक्ताओं के फिंगर प्रिंट रिड कर रही है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि मशीनें आधार कार्ड से भी लिंक नहीं हो पा रही है।

शराब कारोबारी अफसरों को बांट रहे हैं सालाना 260 करोड़

आबकारी को  ‘फ्रीडम टैक्स’
 और पुलिस को ‘पार्किंग टैक्स’
इंदौर. विनोद शर्मा ।
आयकर की छापेमार कार्रवाई में शराब कारोबारी शिवहरे समूह से ज्यादा मप्र आबकारी विभाग एक्सपोज हो गया। शिवहरे के ठिकानों से आयकर को मिले दस्तावेजों और शराब कारोबार से जुड़े सूत्रों की मानें तो सिर्फ इंदौर में ही आबकारी विभाग के अधिकारी सालाना 20 करोड़ से ज्यादा की रिश्वत लेते हैं।  यदि 5 करोड़/जिले के औसत से बात करें तो प्रदेश में सालाना 260 करोड़ बांटना पड़ते हैं। बंटवारा आबकारी विभाग में इंस्पेक्टर से लेकर ऊपरी आकाओं तक का होता है। पुलिस और नेताओं की फीस अलग।
पेट्रोलियम प्रोडक्ट के बाद शराब है जो सरकार को ज्यादा राजस्व देती है। आबकारी विभाग, पुलिस और नेताओं की जैब भी यही भरती है। न दे तो मप्र आबकारी एक्ट में इतनी धाराएं हैं कि उनका पालन करने में व्यापारी बुजुर्ग हो जाए लेकिन शराब का व्यापार न कर पाए। फिर मामला दुकानों पर टंगे आबकारी सूचना के बोर्ड का हो या फिर बोर्ड पर लिखे अक्षरों की साइज का। इसी एक्ट से शराब दुकानों पर अधिकारियों की जमावट होती है। इंदौर में पब और क्लब संस्कृति ने फीस बढ़ाई है।
600 करोड़ की ड्यूटी, 20 करोड़ की रिश्वत
इंदौर जिले में शराब की 171 इनमें 90 अंग्रेजी और 81 देशी शराब की हैं। 2015-16 में जिले की इन दुकानों ने तकरीबन 600 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी चुकाई। अनुमानित कारोबार है करीब 1100 करोड़ का, एक नंबर में। 3.28 करोड़/दिन। एक दुकान से औसत 80-90 हजार रुपए का बंटवारा होता है जो कुल 18.50 से 19 करोड़ होता है।
मप्र में कुल 3694 दुकाने हैं। देशी 2634 और 1060 विदेशी। इन दुकानों से औसत 60 हजार रुपए के हिसाब से हर महीने 18.47 करोड़ की रिश्वत बंटती है। सालाना यह आंकड़ा 265 करोड़ तक पहुंचता है।
किसको किस काम के कितने...
- आबकारी सर्कल बनाकर काम करता है। भोई मोहल्ला, काछी मोहल्ला, बंबई बाजार, मलवा मिल अ मालवा मिल ब, पलासिया, ग्रामीण में एक-दो, सांवेर, देपालपुर सर्कल हैं। हर सर्कल के लिए मैदानी अमला तय है।
- एक दुकान से हर महीने इंस्पेक्टर 10-12 हजार रुपए और एडीओ व उससे ऊपर वाले को 15 से 20 हजार रुपए तक मिलते हैं। ताकि दुकान घंटे-आधे घंटे जल्दी खुले, घंटे-आधे घंटे देर तक चालू रहे। देर रात तक कारोबार हो। लाइसेंसी दुकानों के माल की बिक्री (एरिया) चाय-पान की दुकानों पर हो सके।
- पुलिस 5-10 हजार तक क्षेत्र के थाना प्रभारी को ताकि पुलिस की अनावश्यक दखल न हो। विवाद-झगड़े में मदद मिले। दुकानों के सामने अवैधानिक पार्किंग होती रहे।
लाइसेंस...
- बार लाइसेंस 3.50 लाख में बनता है जबकि क्लब-पब लाइसेंस 7.30 लाख में। नियम से ये लाइसेंस 3-3 महीने तक नहीं बन पाते जबकि लाख-दो लाख रुपए दो तो 15-20 दिन में लाइसेंस मिल जाता है।
- बार वालों से ज्यादा पैसा मिलता है। क्योंकि बार वाले संबंधित दुकानों से पूरा कोटा नहीं लेते। दो नंबर की शराब खरीदकर बेचते हैं। इसीलिए उन्हें मुनाफा ज्यादा होता है।
-जिले में इंस्पेक्टर, एडीओ और डीओ बैठते हैं। हर दुकान पर इनकी दखल और फीस ज्यादा है। उड़नदस्ते का आॅफिस अलग है। उसकी फीस कम है।
 शराब में सक्षम है सबसे पिछड़े जिले...
अलीराजपुर, झाबुआ और धार को इंदौर-उज्जैन संभाग के पिछड़े जिलों में होती है लेकिन प्रतिबंध के बावजूद गुजरात में गैरकानूनी रूप से हो रही शराब की बिक्री ने इन जिलों की पूछपरख इंदौर जैसे प्रदेश के महानगर से ज्यादा कर दी है। सबसे ज्यादा दुकानें इंदौर जिले में हैं। इन जिलों में दुकानों का अनुपात भले कम हो लेकिन रिश्वत का रेशो बहुत ज्यादा है। हालात यह हैं कि कभी सजा समझी जाने वाली इन जिलों की जिम्मेदारी लेने के लिए अब अधिकारी कुछ भी करने को तैयार हैं।
विधायकों की दखल से बिक रही है शराब...
खरगोन, धार, झाबुआ, अलीराजपुर और खंडवा में विधायक शराब दुकान चलवाने के पैसे ले रहे हैं। धंधा करना है तो उन्हें पैस देना ही है। जितना वजनदार विधायक, उतना ज्यादा पैसा। सबसे ज्यादा खराब स्थिति धार में है। बुरहानपुर और नेपानगर में कुछ पत्रकार भी हैं जो गाड़ियों के फोटो खींचते हैं और बाद में बड़ा पैसा लेते हैं।
देशी घटी, विदेशी बढ़ी..
2010-11 2012-13 2014-15
देशी शराब 2770 2751 2634
विदेशी 916 934 1060
शराब कंजम्शन..
2010-11 2012-13 2014-15
देशी 828.59 926.33 1103.69
विदेशी 1078.12 1383.45 1439.77
(लाख प्रुफ लीटर)