इंदौर. विनोद शर्मा ।
अवैध मैजिक और वेन के साथ इंदौर की सड़कों पर अब अवैध एम्बुलेंसें दौड़ती नजर आ रही है। बिना स्ट्रेचर, बिना आॅक्सीजन और बिना किसी मेडिकल किट के महज नीली बत्ती एवं हूटर भर लगाकर सरकारी-गैर सरकारी अस्पतालों के सामने खड़ी की गई एम्बुलेंस आॅपरेटरों के लिए कमाई का जरिया बन चुकी है। इंदौर से देवास, धार, अलिराजपुर, भोपाल, ग्वालियर जैसे शहर तक मरीज ले जाने के नाम पर खुलेआम सौदेबाजी और दलाली हो रही है। प्राइवेट टैक्सियों की तरह मनमाना पैसा वसूला जा रहा है। अवैध एम्बुलेंस को लेकर न स्वास्थ्य विभाग सख्त है और न ही आरटीओ के पास कोई रणनीति है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़े शहरों में एम्बुलेंस की स्थिति को लेकर सर्वे करवाया था। इस दौरान अनेक सरकारी और निजी अस्पतालों की एम्बुलेंस निर्धारित मापदंडों पर खरी नहीं उतर पाई। अस्पतालों के बाहर खड़ी नजर आने वाली निजी एम्बुलेंस की हालत तो इससे भी ज्यादा खराब है। अधिकांश एम्बुुलेंस कंडम हो चुकी हैं। उनमें ईलाज व सुरक्षा संबंधित इंतजाम सिर्फ नाम के हैं। बावजूद वे सड़कों पर दौड़ रही हैं। इससे मरीज की जान को ज्यादा खतरा रहता है जबकि मापदंड के अनुसार एम्बुलेंस में लाइट सर्पोटिंग सिस्टम, वेंटीलेटर, एक कम्पाउण्डर व दो कर्मचारी, फर्स्ट-एड-बॉक्स, डिलेवरी कीट, फोल्डिंग स्ट्रेक्चर, अग्निशमन यंत्र, जीपीएस सिस्टम सहित अन्य सुविधाएं एम्बुलेंस में होनी चाहिए। जिससे रेफर्ड मरीजों को अन्य अस्पतालों में ले जाने-ले आने की सुविधा हो।
टेÑवल्स गाड़ियों से ज्यादा किराया
टूर्स एंड ट्रेवल्स की गाड़ियों से ज्यादा वसूला जा रहा है एम्बुलेंस का किराया। जबकि टूर्स एंड ट्रेवल्स की गाड़ियों में ऐसी और म्यूजिक सिस्टम लगा होता जबकि एम्बुलेंस में कुछ नहीं।
एम्बुलेंस टूर्स एंड टेÑवल्स
मारूति वेन 7-8 7-8
ट्रेवलर 16-17 13-16
ईको 10-11 7-8
टवेरा 10-13 9-10
दलाली कहां कितनी...
- किसी अस्पताल से मारूती वेन एम्बुलेंस में मरीज को खंडवा ले जाना है तो 2500 से 2700 रुपए लेते हैं। अस्पताल में वार्ड बॉय, रिसेप्शन, सिक्योरिटी वाले ‘जिसने पार्टी को नंबर दिया है’, को 300-700 रुपए तक दलाली देना पड़ती है।
- दलाली सभी अस्पतालों में ली जाती है। दलाली का पैसा निकालने के लिए एम्बुलेंस का किराया भी ज्यादा वसूला जाता है। एमवायएच में दलाली सबसे ज्यादा होती है।
- एलपीजी-सीएनजी लगी मारूति वेन से खंडवा आने-जाने का खर्च करीब 1000 रुपए आता है। पेट्रोल गाड़ी है तो 1400 रुपए का पेट्रोल। 1500 रुपए के डीजल में टवेरा जैसी गाड़ी खंडवा जाकर आ जाती है जो पैसा लेती है 4000 रुपए। इसमें 300-400 रुपए ड्राइवर को देते हैं।
- यानी छोटी गाड़ी पर मालिक को हर ट्रिप पर 800 रुपए बचते हैं जबकि बड़ी गाड़ी पर 2000 रुपए तक की बचत होती है।
- कम दूरी, ज्यादा किराया- उदाहरण के तौर पर मारूति वेन से बड़वाह जाना है तो 1500 रुपए किराया चुकाना पड़ता है जबकि खंडवा के लिए 2500 रुपए। इंदौर से बड़वाह 64 किलोमीटर। इंदौर से खंडवा 132 किलोमीटर दूर।
तीन तरह की होती है एम्बुलेंस...
एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस : जीवन के लिए घातक हर तरह की मेडिकल इमरजेंसी से संबंधित उपचार सुविधा इन एम्बुलेंस में उपलब्ध रहना चाहिए। अंत:स्वासनली इंटुबेशन, दवाएं, सलाइन, कार्डियक मॉनिटरिंग और इलेक्ट्रीकल थेरेपी के साथ क्वाइलिफाइड आॅपरेटर हो। इस पर 10 सेंटीमीटर की साइज में ‘एम्बुलेंस’ कांच पर लिखा (रिवर्स रिडिंग) हो। एम्बुलेंस के दोनों ओर 8 सेंटीमीटर साइज में नीले रंग के स्टार बने हों।
सहुलियत ::: वेंटिलेशन एअरवे इक्यूपमेंट, मॉनिटर, इन्फ्यूजन, इमोबिलिजेशन (सर्वाइकल बेल्ट जैसे), स्ट्रेचर, संचार साधन, इंज्यूरी प्रिवेंशन इक्यूमेंट।
बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस : इनमें मरीजों को प्राथमिक और बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होना चाहिए। इसकी छत पर भी हरे रंग से स्टार बना हो कमसकम 60 सेंटीमीटर का। इसके अलावा एम्बुलेंस के साथ जो स्टार बने हों वह भी हरे रंग के हों।
सहुलियत ::: कमसकम दो स्ट्रेचर, सक्शन डिवाइस, बेग-मास्क वेंटिलेशन यूनिट, आॅक्सीजन यूनिट
पेशेंट ट्रांसपोर्ट एम्बुलेंस : इन वाहनों का इस्तेमाल सिर्फ शेड्यूल्ड विजिट के रूप में होना चाहिए। जैसे रूटीन फिजिकल एक्जामिनेशन, एक्स-रे या लेबोरेटरी टेस्ट या पेशेंड को अस्पताल से अन्य अस्पताल या घर पहुंचाने के लिए किया जाना चाहिए। ऐसे वाहनों पर एम्बुलेंस नहीं पेशेंट ट्रांसपोर्ट एम्बुलेंस लिखा जाता है। 8 सेंटीमीटर साइज में। स्टार नहीं होते।
सहुलियत : पुनर्जीवन किट, फर्स्ट एड बॉक्स, एम्बु बेग, आॅक्सीजन सिलेंडर एंड ऐसेसरीज।
हर एम्बुलेंस की अलग कहानी...
पेशेंट स्पेश एएलएस बीएलएस पीटीए
न्यूनतम लैंथ 2700 2700 1600
न्यूनतम विड्थ 1500 1500 940
न्यूनतम हाइट 1500 1500 1000
(साइज मिलीमीटर में)
सबसे जरूरी...
- एम्बुलेंस का पंजीयन स्वास्थ्य विभाग से कराना होगा।
- पंजीयन सिर्फ पंजीयन तिथि से पांच साल तक के लिए होगा।
- इस दौरान स्वास्थ्य विभाग और परिवहन विभाग को नियमिति इंस्पेशन करना होगा।
- फिटनेस टेस्ट भी नियमित हो।
- जांच के दौरान सभी उपकरण चालू अवस्था में मिले। अन्यथा पंजीयन रद्द।
अवैध मैजिक और वेन के साथ इंदौर की सड़कों पर अब अवैध एम्बुलेंसें दौड़ती नजर आ रही है। बिना स्ट्रेचर, बिना आॅक्सीजन और बिना किसी मेडिकल किट के महज नीली बत्ती एवं हूटर भर लगाकर सरकारी-गैर सरकारी अस्पतालों के सामने खड़ी की गई एम्बुलेंस आॅपरेटरों के लिए कमाई का जरिया बन चुकी है। इंदौर से देवास, धार, अलिराजपुर, भोपाल, ग्वालियर जैसे शहर तक मरीज ले जाने के नाम पर खुलेआम सौदेबाजी और दलाली हो रही है। प्राइवेट टैक्सियों की तरह मनमाना पैसा वसूला जा रहा है। अवैध एम्बुलेंस को लेकर न स्वास्थ्य विभाग सख्त है और न ही आरटीओ के पास कोई रणनीति है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़े शहरों में एम्बुलेंस की स्थिति को लेकर सर्वे करवाया था। इस दौरान अनेक सरकारी और निजी अस्पतालों की एम्बुलेंस निर्धारित मापदंडों पर खरी नहीं उतर पाई। अस्पतालों के बाहर खड़ी नजर आने वाली निजी एम्बुलेंस की हालत तो इससे भी ज्यादा खराब है। अधिकांश एम्बुुलेंस कंडम हो चुकी हैं। उनमें ईलाज व सुरक्षा संबंधित इंतजाम सिर्फ नाम के हैं। बावजूद वे सड़कों पर दौड़ रही हैं। इससे मरीज की जान को ज्यादा खतरा रहता है जबकि मापदंड के अनुसार एम्बुलेंस में लाइट सर्पोटिंग सिस्टम, वेंटीलेटर, एक कम्पाउण्डर व दो कर्मचारी, फर्स्ट-एड-बॉक्स, डिलेवरी कीट, फोल्डिंग स्ट्रेक्चर, अग्निशमन यंत्र, जीपीएस सिस्टम सहित अन्य सुविधाएं एम्बुलेंस में होनी चाहिए। जिससे रेफर्ड मरीजों को अन्य अस्पतालों में ले जाने-ले आने की सुविधा हो।
टेÑवल्स गाड़ियों से ज्यादा किराया
टूर्स एंड ट्रेवल्स की गाड़ियों से ज्यादा वसूला जा रहा है एम्बुलेंस का किराया। जबकि टूर्स एंड ट्रेवल्स की गाड़ियों में ऐसी और म्यूजिक सिस्टम लगा होता जबकि एम्बुलेंस में कुछ नहीं।
एम्बुलेंस टूर्स एंड टेÑवल्स
मारूति वेन 7-8 7-8
ट्रेवलर 16-17 13-16
ईको 10-11 7-8
टवेरा 10-13 9-10
दलाली कहां कितनी...
- किसी अस्पताल से मारूती वेन एम्बुलेंस में मरीज को खंडवा ले जाना है तो 2500 से 2700 रुपए लेते हैं। अस्पताल में वार्ड बॉय, रिसेप्शन, सिक्योरिटी वाले ‘जिसने पार्टी को नंबर दिया है’, को 300-700 रुपए तक दलाली देना पड़ती है।
- दलाली सभी अस्पतालों में ली जाती है। दलाली का पैसा निकालने के लिए एम्बुलेंस का किराया भी ज्यादा वसूला जाता है। एमवायएच में दलाली सबसे ज्यादा होती है।
- एलपीजी-सीएनजी लगी मारूति वेन से खंडवा आने-जाने का खर्च करीब 1000 रुपए आता है। पेट्रोल गाड़ी है तो 1400 रुपए का पेट्रोल। 1500 रुपए के डीजल में टवेरा जैसी गाड़ी खंडवा जाकर आ जाती है जो पैसा लेती है 4000 रुपए। इसमें 300-400 रुपए ड्राइवर को देते हैं।
- यानी छोटी गाड़ी पर मालिक को हर ट्रिप पर 800 रुपए बचते हैं जबकि बड़ी गाड़ी पर 2000 रुपए तक की बचत होती है।
- कम दूरी, ज्यादा किराया- उदाहरण के तौर पर मारूति वेन से बड़वाह जाना है तो 1500 रुपए किराया चुकाना पड़ता है जबकि खंडवा के लिए 2500 रुपए। इंदौर से बड़वाह 64 किलोमीटर। इंदौर से खंडवा 132 किलोमीटर दूर।
तीन तरह की होती है एम्बुलेंस...
एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस : जीवन के लिए घातक हर तरह की मेडिकल इमरजेंसी से संबंधित उपचार सुविधा इन एम्बुलेंस में उपलब्ध रहना चाहिए। अंत:स्वासनली इंटुबेशन, दवाएं, सलाइन, कार्डियक मॉनिटरिंग और इलेक्ट्रीकल थेरेपी के साथ क्वाइलिफाइड आॅपरेटर हो। इस पर 10 सेंटीमीटर की साइज में ‘एम्बुलेंस’ कांच पर लिखा (रिवर्स रिडिंग) हो। एम्बुलेंस के दोनों ओर 8 सेंटीमीटर साइज में नीले रंग के स्टार बने हों।
सहुलियत ::: वेंटिलेशन एअरवे इक्यूपमेंट, मॉनिटर, इन्फ्यूजन, इमोबिलिजेशन (सर्वाइकल बेल्ट जैसे), स्ट्रेचर, संचार साधन, इंज्यूरी प्रिवेंशन इक्यूमेंट।
बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस : इनमें मरीजों को प्राथमिक और बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होना चाहिए। इसकी छत पर भी हरे रंग से स्टार बना हो कमसकम 60 सेंटीमीटर का। इसके अलावा एम्बुलेंस के साथ जो स्टार बने हों वह भी हरे रंग के हों।
सहुलियत ::: कमसकम दो स्ट्रेचर, सक्शन डिवाइस, बेग-मास्क वेंटिलेशन यूनिट, आॅक्सीजन यूनिट
पेशेंट ट्रांसपोर्ट एम्बुलेंस : इन वाहनों का इस्तेमाल सिर्फ शेड्यूल्ड विजिट के रूप में होना चाहिए। जैसे रूटीन फिजिकल एक्जामिनेशन, एक्स-रे या लेबोरेटरी टेस्ट या पेशेंड को अस्पताल से अन्य अस्पताल या घर पहुंचाने के लिए किया जाना चाहिए। ऐसे वाहनों पर एम्बुलेंस नहीं पेशेंट ट्रांसपोर्ट एम्बुलेंस लिखा जाता है। 8 सेंटीमीटर साइज में। स्टार नहीं होते।
सहुलियत : पुनर्जीवन किट, फर्स्ट एड बॉक्स, एम्बु बेग, आॅक्सीजन सिलेंडर एंड ऐसेसरीज।
हर एम्बुलेंस की अलग कहानी...
पेशेंट स्पेश एएलएस बीएलएस पीटीए
न्यूनतम लैंथ 2700 2700 1600
न्यूनतम विड्थ 1500 1500 940
न्यूनतम हाइट 1500 1500 1000
(साइज मिलीमीटर में)
सबसे जरूरी...
- एम्बुलेंस का पंजीयन स्वास्थ्य विभाग से कराना होगा।
- पंजीयन सिर्फ पंजीयन तिथि से पांच साल तक के लिए होगा।
- इस दौरान स्वास्थ्य विभाग और परिवहन विभाग को नियमिति इंस्पेशन करना होगा।
- फिटनेस टेस्ट भी नियमित हो।
- जांच के दौरान सभी उपकरण चालू अवस्था में मिले। अन्यथा पंजीयन रद्द।