
इंदौर, विनोद शर्मा ।
आवास एवं पर्यावरण मंत्री, आवास मंत्री और राजस्व मंत्री के साथ कलेक्टर सहित 11 लोगों को एक व्यक्ति ने डिमांड ऑफ जस्टिस का नोटिस दिया है। नोटिस राऊ में प्रस्तावित पुलक सिटी की एप्रोच रोड की वैधता और उसकी मंजूरी पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए दिया गया है। कॉलोनी बीते मंगलवार पुष्प रतन पैराडाइज में हुई तोडफ़ोड़ के बाद से विवादों में उलझे अजमेरा बंधुओ और उनके सहयोगियों की है। उन्होंने तमाम आरोपों को सिरे से नकारते हुए स्पष्ट कर दिया कि कॉलोनी और उसकी एप्रोच रोड सौ प्रतिशत वैध है।
नोटिस देकर न्याय की मांग 103 साकार टेरेस-न्यू पलासिया निवासी अनुराग पिता शानप्रकाश इनानी ने की है। नोटिस में इनानी ने स्पष्ट कर दिया कि पुलक सिटी को मुख्य मार्ग से जोडऩे वाली एप्रोच रोड पूरी तरह गैरकानूनी है। रोड ग्राम राऊ स्थित खसरा नं. 1058 (रकबा-2.371 हेक्टेयर), 1059 (रकबा-1.542 हेक्टेयर) और 1062 (रकबा-0.943 हेक्टेयर) से निकाली गई है। ये जमीन किसानों की है। सीलिंग से प्रभावित इस जमीन के मालिकाना हक को किसान और प्रशासन के साथ किसान और इनानी बंधुओं के बीच पहले से विवाद चल रहा है।
राजस्व रेकॉर्ड में सरकारी
पुलक सिटी और किसानों की जमीन के बीच 415 मीटर लंबी और 28 मीटर चौड़ी जमीन की चिंदी है। खसरा नं. 1061 (रकबा-0.741 हेक्टेयर) स्थित ये जमीन राजस्व रेकॉर्ड में सरकारी है। प्राधिकरण ने यहां स्कीम-165 का जिक्र कर रखा है। हमारी जमीन के बाद एक जमीन ओर है जहां एप्रोच रोड जाती है, यहां हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी प्रस्तावित है।
किस-किस को नोटिस
राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा, आवास एवं पर्यावरण मंत्री जयंत मलैया, आवास मंत्री नरोत्तम मिश्रा, प्रमुख सचिव राजस्व, प्रमुख सचिव आवास, प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण, कलेक्टर इंदौर, सीईओ इंदौर विकास प्राधिकरण, चीफ इंजीनियर मप्र हाउसिंग बोर्ड और उप पंजीयक पंजीयन कार्यालय के साथ क्षेत्रीय विधायक।
चंपू का चमत्कार
अजमेरा बंधुओं द्वारा 22 अक्टूबर को दिए गए विज्ञापनों की मानें तो 19 अक्टूबर 2010 को जिला प्रशासन ने डायर्वशन (29/अ-2/10-11) मंजूरी दी। 20 अक्टूबर 2010 यानी अगले ही दिन जिला प्रशासन के अधिकारियों ने डेवलमेंट की मंजूरी (49/2010) भी दे दी। 21 अक्टूबर 2010 को अजमेरा बंधुओं ने अखबारों के लिए विज्ञापन भी जारी कर दिए जिसमें 12 मीटर चौड़ी निर्माणाधीन एप्रोच रोड के साथ निर्माणाधीन क्लब हाउस सहित दूसरे निर्माणाधीन कार्यों का फोटो सहित जिक्र भी कर दिया। जिला प्रशासन के अधिकारियों के सुस्त रवैये के बीच ये चमत्कार चंपू और उसकी चौकड़ी ही कर सकती थी।
सवाल जिनमें उलझे अजमेरा बंधु
- डायवर्शन के दूसरे दिन विज्ञापनों में जिन निर्माणाधीन कामों का जिक्र किया गया, उन्हें एक दिन में उस स्थिति में नहीं लाया जा सकता जितना फोटो में बताया गया था। यानी काम पहले शुरू हुआ, डायवर्शन और डेवलपमेंट की मंजूरी बाद में ली गई।
- यदि अजमेरा बंधु कहते हैं कि विज्ञापन में दिए गए फोटो पुलक सिटी के नहीं बल्कि दूसरी साइट के हैं तो ये लोगों के साथ धोखा किया गया।
- यदि वे कहते हैं कि शहर में चल रही क्रशर मशीनों और बड़ी मशीनरी का उपयोग करके उन्होंने एक दिन में इतना काम कर दिखाया तो वे उन कंपनियों का नाम बताएं या विकास की जल्दबाजी का कारण बताएं।
- वे खसरा नं. 1058, 1059 और 1062 की सीलिंग से प्रभावित जमीन भी नहीं खरीद सकते।
जिम्मेदारों का गैरजिम्मेदाराना कारनामा
- किसी भी कॉलोनी का ले-आउट मंजूर करने से पहले आईडीए-नजूल-हाउसिंग बोर्ड-सीलिंग जैसे विभागों की एनओसी देखी जाती है जो टीएंडसीपी के अधिकारियों ने नहीं देखी।
- आईडीए ने न एनओसी दी। न आपत्ति ली।
- डायवर्शन-डेवलपमेंट मंजूरी से पहले आरआई मौका रिपोर्ट देता है लेकिन पुलक सिटी की मौका रिपोर्ट में आरआई रवि सरैया पहले से शुरू हो चुका निर्माण हजम कर गए।
- यदि आरआई की रिपोर्ट में पहले से शुरू हो चुके निर्माण का जिक्र था तो एसडीएम मनोज पुष्प ने डायवर्शन-डेवलपमेंट मंजूरी कैसे दे दी?
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मेरी मौका रिपोर्ट नहीं लगती। एसडीएम साहब का मामला था।
रवि सरैया, आरआई
कोर्ट में विचाराधीन मामला है तो सीलिंग की एनओसी नहीं दे सकते हैं।
अशोक खेड़े, बाबू-सीलिंग
न मुझे टाउनशिप का नाम याद है न मंजूरी या निर्माणाधीन कार्यों से संबंधित कुछ अन्य जानकारी।
मनोज पुष्प, एसडीएम
प्राधिकरण ने स्कीम-165 प्लान की है। जमीन अभी किसानों के पास है। यदि कोई जमीन सरकारी है तो उस पर निर्माण न हो, ये देखना जिला प्रशासन का काम है। वैसे हमने किसी को कोई एनओसी नहीं दी।
चंद्रमौली शुक्ला, सीईओ-प्राधिकरण
क्या कहते हैं जिम्मेदार
क्या है शिकायत?
जिस जमीन पर एप्रोच रोड बनी है वह कॉलोनी की नहीं बल्कि किसी अन्य की है।
किनकी है?
किसानों की।
आपने शिकायत क्यों की?
किसानों से मैंने अनुबंध कर रखा है।
एप्रोच रोड और किसकी जमीन से जाती है?
खसरा नं. 1061 से जो सरकारी जमीन है, जो प्राधिकरण की प्रस्तावित स्कीम का हिस्सा है।
अजमेरा बंधु कहते हैं आपके तथ्य झूठे हैं? जहां आप आईडीए की प्रस्तावित स्कीम बता रहे हैं वहां 30 मीटर चौड़ी रोड प्रस्तावित है?
मैंने कागज के टुकड़े पर शिकायत नहीं की, बल्कि लीगल नोटिस दिया है। मैं अपने तथ्यों के साथ कॉलोनाइजर को कोर्ट में चुनौती दूंगा। वहां मैं गलत हुआ तो कोर्ट मुझे दंड देगी। ये गलत हुए तो इन्हें।
अनुराग इनानी, शिकायतकर्ता
शिकायत भी फर्जी, शिकायतकर्ता भी
एप्रोच रोड प्राधिकरण और सीलिंग की जमीन पर है?
जिस किसान से पुलक सिटी की जमीन खरीदी। उसका इस जमीन से 70 बरस से आना-जाना था। 1986 से दस्तावेजों में भी सड़क ही है।
प्राधिकरण की स्कीम पर कैसे सड़क बना दी?
वहां प्राधिकरण की कोई स्कीम है ही नहीं। चिंदी असल में मुंडी और राऊ के बीच का कांकड़ है। मास्टर प्लान में यहां प्रस्तावित 30 मीटर चौड़ी रोड है।
ये रोड कहां से कहां तक जाती है?
रोड सिलीकॉन सिटी के पास से बायपास तक जाती है। मेरी कॉलोनी के मंजूर ले-आउट में इसका जिक्र भी है।
बाकी सीलिंग वाली जमीन?
जिन खसरों का जिक्र किया गया है वहां हमारी एप्रोच रोड जाती ही नहीं है। यह मनगढ़ंत कहानियां हैं।
डायवर्शन-डेवलपमेंट के दूसरे ही दिन कैसे बन गई सड़कें?
हमने विज्ञापन में प्रस्तावित लिखा था। निर्माणाधीन पिं्रट डिजाइनर की गलती। अभी तक कोई काम नहीं किया।
यानी आपकी फर्जी शिकायतें की जा रही है?
बिल्कुल, आप चाहो तो दस्तावेज भी देख लो। ऐसी शिकायतें पहले भी कई हो चुकी हैं।
कोई आपकी फर्जी शिकायत क्यों करेगा?
इनानी बंधु मुझे ब्लैकमेल करने आए थे, मैं सही हूं। उनकी बात नहीं सुनी। इसीलिए वे शिकायत कर रहे हैं।
रितेश अजमेरा, पुलक सिटी