
Saturday, September 25, 2010
Thursday, September 23, 2010
ये बीड़ी बड़ी दिलदार (कविता)

एक जगह बहुत भीड़ लगी थी
एक आदमी चिल्ला रहा था
कुछ बेचा जा रहा था
आवाज कुछ इस तरह आई
शरीर में स्फुर्ति न होने से परेशान हो भाई
थकान से टूटता है बदन
काम करने में नहीं लगता है मन
खुद से ही झुंझलाए हो
या किसी से लड़कर आए हो
तो हमारे पास है ये दवा
सभी परेशानियां कर देती है हवा
मैंने भीड़ को हटाया
सही जगह पर आया
मैंने कहा इतनी कीमती चीज
कहीं मंहगी तो नहीं है
वो बोला आपने भी ये क्या बात कही है
इतने सारे गुण सिर्फ दो रुपए में लीजिए
भाई साब दिलदार बीड़ी पीजिए
Tuesday, September 21, 2010
वर्ष 2013 से 24 घंटे बिजली
40 हजार मेगावॉट उत्पादन के लिये 28 निजी कंपनियों से एमओयू
August 28, 2010
मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2013 से 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य शासन ने इस लक्ष्य की पूर्ति के लिये करीब 40 हजार मेगावॉट ताप विद्युत उत्पादन के लिये लगभग 28 निजी कम्पनियों से करारनामे किये हैं। प्रदेश में बिजली उत्पादन प्रयासों को ठोस रूप देने तथा निजी क्षेत्र के निवेशकों को आकर्षित करने के लिये मध्यप्रदेश इन्वेस्टमेंट इन जनरेशन प्रोजेक्ट पालिसी 2010 भी बनाई गई है।
वर्ष 2013 तक 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य
निजी कंपनियों से 40 हजार मेगावॉट की ताप विद्युत परियोजनाओं के लिये एमओयू
निजी कंपनियों द्वारा कार्य प्रारंभ
1200 मेगावॉट की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना का कार्य शुरू
परियोजना पर इस वर्ष 292 करोड़ रुपये राशि का प्रावधान
निजी कंपनियों के माध्यम से प्रदेश की उत्पादन क्षमता बढ़ाये जाने के लिये किये गये प्रयासों में निजी क्षेत्र की कंपनियों मैसर्स बीना पॉवर सप्लाय कंपनी, बीना, मैसर्स एस्सार पॉवर, बैढन, जिला सिंगरौली, मैसर्स चितरंगी जिला सिंगरौली, मैसर्स जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स, निगरी जिला सिंगरौली एवं मैसर्स बीएलए पॉवर जिला नरसिंहपुर द्वारा कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी द्वारा 1200 मेगावॉट की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना का कार्य प्रारंभ हो गया है। इस परियोजना पर वर्तमान वित्तीय वर्ष में 292 करोड़ रुपये राशि के खर्चों का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार सतपुड़ा ताप विद्युतगृह सारणी में 500 मेगावॉट की विस्तार इकाईयों का कार्य भी शुरू हो गया है। एन.टी.पी.सी. की सीपत इकाई से मध्यप्रदेश को 242 मेगावॉट विद्युत प्राप्त होगी। इसी प्रकार एन.टी.पी.सी. की मौदा इकाई से 150 मेगावॉट का शेयर भी मध्यप्रदेश को प्राप्त होगा।
पश्चिम बंगाल स्थित दामोदर वैली कार्पोरेशन से 300 मेगावॉट विद्युत प्राप्ति के लिये अनुबंध किया गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से महेश्वर जल विद्युत परियोजना का कार्य पुन: शुरू हो गया है। इससे आगामी दिसम्बर तक 400 मेगावॉट विद्युत प्राप्त होना संभावित है। विद्युत अधिनियम 2003 के अंतर्गत विद्युत प्राप्ति के लिये दीर्घावधि के अनुबंध किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस संबंध में 1200 मेगावॉट का रिलायंस तथा 150 मेगावॉट का एस्सार से अनुबंध किये जाने के प्रयास भी जारी हैं। इसके साथ ही 1600 मेगावॉट विद्युत क्षमता की ताप विद्युत परियोजना की स्थापना खण्डवा जिले में करने के लिये मैसर्स बीएचईएल के साथ मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी का संयुक्त उपक्रम अनुबंध हस्ताक्षरित किया गया है। नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन द्वारा 2640 मेगावॉट गाडरवारा जिला नरसिंहपुर में स्थापित करने के लिये गत माह नवम्बर में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे। इस ताप परियोजना से 80 प्रतिशत विद्युत मध्यप्रदेश राज्य को आवंटित करने के लिये भारत सरकार से आग्रह किया गया है।
नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन द्वारा खरगौन जिले में 1320 मेगावॉट की ताप विद्युत परियोजना स्थापित की जा रही है। परियोजना के लिये 1750 एकड़ भूमि एवं 55 क्यूसेक जल के संबंध में राज्य शासन द्वारा सैद्धांतिक सहमति भी प्रदान की गई है। साथ ही नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन द्वारा छतरपुर जिले में चार हजार मेगावॉट ताप विद्युत परियोजना हाथ में ली गई है। परियोजना के लिये 150 क्यूसेक जल एवं 2249.88 एकड़ भूमि की उपलब्धता के संबंध में राज्य शासन द्वारा सैद्धांतिक सहमति गत माह मार्च में दी गई है। इसके अलावा राज्य शासन द्वारा 1600 मेगावॉट क्षमता की चंदिया ताप विद्युत परियोजना, जिला कटनी में तथा बाणसागर परियोजना जिला शहडोल में 1600 मेगावॉट स्थापित करने के संबंध में प्रशासकीय अनुमोदन प्रदान किया गया है। एम.पी. पॉवर ट्रेडिंग कंपनी द्वारा 1320 मेगावॉट शहपुरा ताप विद्युत परियोजना का कोल लिंकेज/ब्लॉक का आवंटन प्राप्त न होने से एम.पी. पॉवर ट्रेडिंग कंपनी के संचालक मण्डल की बैठक में इस परियोजना को एन.टी.पी.सी./एन.एच.डी.सी. को सौंपने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में आगामी कार्यवाही भी की जा रही है।
40 हजार मेगावॉट उत्पादन के लिये 28 निजी कंपनियों से एमओयू
August 28, 2010
मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष 2013 से 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राज्य शासन ने इस लक्ष्य की पूर्ति के लिये करीब 40 हजार मेगावॉट ताप विद्युत उत्पादन के लिये लगभग 28 निजी कम्पनियों से करारनामे किये हैं। प्रदेश में बिजली उत्पादन प्रयासों को ठोस रूप देने तथा निजी क्षेत्र के निवेशकों को आकर्षित करने के लिये मध्यप्रदेश इन्वेस्टमेंट इन जनरेशन प्रोजेक्ट पालिसी 2010 भी बनाई गई है।
वर्ष 2013 तक 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य
निजी कंपनियों से 40 हजार मेगावॉट की ताप विद्युत परियोजनाओं के लिये एमओयू
निजी कंपनियों द्वारा कार्य प्रारंभ
1200 मेगावॉट की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना का कार्य शुरू
परियोजना पर इस वर्ष 292 करोड़ रुपये राशि का प्रावधान
निजी कंपनियों के माध्यम से प्रदेश की उत्पादन क्षमता बढ़ाये जाने के लिये किये गये प्रयासों में निजी क्षेत्र की कंपनियों मैसर्स बीना पॉवर सप्लाय कंपनी, बीना, मैसर्स एस्सार पॉवर, बैढन, जिला सिंगरौली, मैसर्स चितरंगी जिला सिंगरौली, मैसर्स जयप्रकाश पॉवर वेंचर्स, निगरी जिला सिंगरौली एवं मैसर्स बीएलए पॉवर जिला नरसिंहपुर द्वारा कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी द्वारा 1200 मेगावॉट की श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना का कार्य प्रारंभ हो गया है। इस परियोजना पर वर्तमान वित्तीय वर्ष में 292 करोड़ रुपये राशि के खर्चों का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार सतपुड़ा ताप विद्युतगृह सारणी में 500 मेगावॉट की विस्तार इकाईयों का कार्य भी शुरू हो गया है। एन.टी.पी.सी. की सीपत इकाई से मध्यप्रदेश को 242 मेगावॉट विद्युत प्राप्त होगी। इसी प्रकार एन.टी.पी.सी. की मौदा इकाई से 150 मेगावॉट का शेयर भी मध्यप्रदेश को प्राप्त होगा।
पश्चिम बंगाल स्थित दामोदर वैली कार्पोरेशन से 300 मेगावॉट विद्युत प्राप्ति के लिये अनुबंध किया गया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से महेश्वर जल विद्युत परियोजना का कार्य पुन: शुरू हो गया है। इससे आगामी दिसम्बर तक 400 मेगावॉट विद्युत प्राप्त होना संभावित है। विद्युत अधिनियम 2003 के अंतर्गत विद्युत प्राप्ति के लिये दीर्घावधि के अनुबंध किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस संबंध में 1200 मेगावॉट का रिलायंस तथा 150 मेगावॉट का एस्सार से अनुबंध किये जाने के प्रयास भी जारी हैं। इसके साथ ही 1600 मेगावॉट विद्युत क्षमता की ताप विद्युत परियोजना की स्थापना खण्डवा जिले में करने के लिये मैसर्स बीएचईएल के साथ मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी का संयुक्त उपक्रम अनुबंध हस्ताक्षरित किया गया है। नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन द्वारा 2640 मेगावॉट गाडरवारा जिला नरसिंहपुर में स्थापित करने के लिये गत माह नवम्बर में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए थे। इस ताप परियोजना से 80 प्रतिशत विद्युत मध्यप्रदेश राज्य को आवंटित करने के लिये भारत सरकार से आग्रह किया गया है।
नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन द्वारा खरगौन जिले में 1320 मेगावॉट की ताप विद्युत परियोजना स्थापित की जा रही है। परियोजना के लिये 1750 एकड़ भूमि एवं 55 क्यूसेक जल के संबंध में राज्य शासन द्वारा सैद्धांतिक सहमति भी प्रदान की गई है। साथ ही नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन द्वारा छतरपुर जिले में चार हजार मेगावॉट ताप विद्युत परियोजना हाथ में ली गई है। परियोजना के लिये 150 क्यूसेक जल एवं 2249.88 एकड़ भूमि की उपलब्धता के संबंध में राज्य शासन द्वारा सैद्धांतिक सहमति गत माह मार्च में दी गई है। इसके अलावा राज्य शासन द्वारा 1600 मेगावॉट क्षमता की चंदिया ताप विद्युत परियोजना, जिला कटनी में तथा बाणसागर परियोजना जिला शहडोल में 1600 मेगावॉट स्थापित करने के संबंध में प्रशासकीय अनुमोदन प्रदान किया गया है। एम.पी. पॉवर ट्रेडिंग कंपनी द्वारा 1320 मेगावॉट शहपुरा ताप विद्युत परियोजना का कोल लिंकेज/ब्लॉक का आवंटन प्राप्त न होने से एम.पी. पॉवर ट्रेडिंग कंपनी के संचालक मण्डल की बैठक में इस परियोजना को एन.टी.पी.सी./एन.एच.डी.सी. को सौंपने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में आगामी कार्यवाही भी की जा रही है।
मध्यप्रदेश में शीघ्र ही एक नई जल विद्युत नीति
जल विद्युत विकास पर निवेशकों का सम्मेलन
Sep 10,2010
मध्यप्रदेश में शीघ्र ही एक नई जल विद्युत नीति बनाई जायेगी। इसकी घोषणा मध्यप्रदेश के अक्षय ऊर्जा मंत्री श्री अजय विश्नोई ने आज यहाँ मध्यप्रदेश में जल विद्युत विकास पर आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में निवेशकों को मध्यप्रदेश में आमंत्रित करते हुए बतायी। यह सम्मेलन संयुक्त रूप से मध्यप्रदेश नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और केन्द्रीय सिंचाई तथा उर्जा बोर्ड नई दिल्ली द्वारा आयोजित और भारत सरकार अक्षय उर्जा विभाग तथा उर्जा एजेन्सी इरेडा द्वारा आयोजित किया गया।
निवेशकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मध्यप्रदेश के अक्षय उर्जा मंत्री श्री अजय विश्नोई ने कहा कि उर्जा के महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने एक नए विभाग का गठन किया है जो सिर्फ अक्षय उर्जा को देखेगा। नई नीति के लिए निवेशकों से उनकी इस संबंध में राय मांगी जा रही है और उनसे इसके लिए सुझाव भी आमंत्रित किए गए हैं। श्री विश्नोई ने निवेशकों को आमंत्रित करते हुए राज्य सरकार द्वारा पूरे सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने अक्षय उर्जा पर अपनी कटिबद्धता दोहराते हुए कहा कि अभी इसका दोहन किया जाना शेष है। उन्होंने बताया कि राज्य के पास विकसित अधोसंरचना है, अच्छी सड़कें और पर्याप्त मात्रा में उर्जा उपलब्ध है। राज्य में अभी 13 थर्मल पावर प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने नर्मदा घाटी में छोटी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिये निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया। इस सम्मेलन में भाग लेने वाली निजी कंपनियों को नर्मदा घाटी में उपलब्ध लघु जल विद्युत परियोजना निर्माण की संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्हे मध्यप्रदेश में आने के लिये प्रोत्साहित किया गया। इस आयोजन में अक्षय ऊर्जा विभाग के मंत्री श्री अजय विश्नोई और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री ओ.पी.रावत भी उपस्थित थें।
श्री रावत ने अपने संबोधन में बताया कि नर्मदा घाटी में अब तक आंकलित 3201 मेगावाट जल विद्युत संभावनाओं में से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने वृहद् जल विद्युत परियोजनाओं से अब तक 2471 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की क्षमता निर्मित कर ली है, शेष संभावनायें लघु जल विद्युत परियोजनाओं के माध्यम से दोहन किया जाना है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने लघु जल विद्युत उत्पादन की संभावना तलाशने के लिये आई.आई.टी. रूड़की से नर्मदा घाटी का अध्ययन कराया है। इस अध्ययन में आई.आई.टी. रूड़की ने 182 ऐसे स्थल चयनित किये हैं जिन पर परियोजनाओं का निर्माण कर 25 मेगावाट क्षमता तक की जल विद्युत परियोजना निर्मित की जा सकती है। राज्य की लघु जल विद्युत विकास प्रोत्साहन नीति 2006 के अनुसार छोटी जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण निजी क्षेत्र के माध्यम से कराया जाना है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री ओ.पी.रावत ने बताया कि देश में छोटी जल विद्युत संभावनाओं के दोहन से 15 हजार मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की संभावनायें है। इसमें से लगभग 400 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की संभावनायें मध्यप्रदेश में मौजूद हैं। इनका दोहन किया जाना शेष है।
सम्मेलन में केन्द्र सरकार के अक्षय उर्जा विभाग के सचिव श्री दीपक गुप्ता, इरेडा के अध्यक्ष श्री देवाशीश मजूमदार और मध्यप्रदेश उर्जा विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री नीरज मंडलोई सहित एन वी डी ए के उच्च अधिकारी उपस्थित थे। सम्मेलन में करीब 80 निवेशकों ने भाग लिया। एन वी डी ए ने दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से निवेशकों को विभिन्न रियायतें और सहूलियतों के बारे में विस्तार से बताया और साथ ही अन्य तकनीकी जानकारियाँ दीं।
जल विद्युत विकास पर निवेशकों का सम्मेलन
Sep 10,2010
मध्यप्रदेश में शीघ्र ही एक नई जल विद्युत नीति बनाई जायेगी। इसकी घोषणा मध्यप्रदेश के अक्षय ऊर्जा मंत्री श्री अजय विश्नोई ने आज यहाँ मध्यप्रदेश में जल विद्युत विकास पर आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में निवेशकों को मध्यप्रदेश में आमंत्रित करते हुए बतायी। यह सम्मेलन संयुक्त रूप से मध्यप्रदेश नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और केन्द्रीय सिंचाई तथा उर्जा बोर्ड नई दिल्ली द्वारा आयोजित और भारत सरकार अक्षय उर्जा विभाग तथा उर्जा एजेन्सी इरेडा द्वारा आयोजित किया गया।
निवेशकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए मध्यप्रदेश के अक्षय उर्जा मंत्री श्री अजय विश्नोई ने कहा कि उर्जा के महत्व को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने एक नए विभाग का गठन किया है जो सिर्फ अक्षय उर्जा को देखेगा। नई नीति के लिए निवेशकों से उनकी इस संबंध में राय मांगी जा रही है और उनसे इसके लिए सुझाव भी आमंत्रित किए गए हैं। श्री विश्नोई ने निवेशकों को आमंत्रित करते हुए राज्य सरकार द्वारा पूरे सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने अक्षय उर्जा पर अपनी कटिबद्धता दोहराते हुए कहा कि अभी इसका दोहन किया जाना शेष है। उन्होंने बताया कि राज्य के पास विकसित अधोसंरचना है, अच्छी सड़कें और पर्याप्त मात्रा में उर्जा उपलब्ध है। राज्य में अभी 13 थर्मल पावर प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने नर्मदा घाटी में छोटी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिये निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया। इस सम्मेलन में भाग लेने वाली निजी कंपनियों को नर्मदा घाटी में उपलब्ध लघु जल विद्युत परियोजना निर्माण की संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्हे मध्यप्रदेश में आने के लिये प्रोत्साहित किया गया। इस आयोजन में अक्षय ऊर्जा विभाग के मंत्री श्री अजय विश्नोई और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री ओ.पी.रावत भी उपस्थित थें।
श्री रावत ने अपने संबोधन में बताया कि नर्मदा घाटी में अब तक आंकलित 3201 मेगावाट जल विद्युत संभावनाओं में से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने वृहद् जल विद्युत परियोजनाओं से अब तक 2471 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की क्षमता निर्मित कर ली है, शेष संभावनायें लघु जल विद्युत परियोजनाओं के माध्यम से दोहन किया जाना है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने लघु जल विद्युत उत्पादन की संभावना तलाशने के लिये आई.आई.टी. रूड़की से नर्मदा घाटी का अध्ययन कराया है। इस अध्ययन में आई.आई.टी. रूड़की ने 182 ऐसे स्थल चयनित किये हैं जिन पर परियोजनाओं का निर्माण कर 25 मेगावाट क्षमता तक की जल विद्युत परियोजना निर्मित की जा सकती है। राज्य की लघु जल विद्युत विकास प्रोत्साहन नीति 2006 के अनुसार छोटी जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण निजी क्षेत्र के माध्यम से कराया जाना है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री ओ.पी.रावत ने बताया कि देश में छोटी जल विद्युत संभावनाओं के दोहन से 15 हजार मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की संभावनायें है। इसमें से लगभग 400 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की संभावनायें मध्यप्रदेश में मौजूद हैं। इनका दोहन किया जाना शेष है।
सम्मेलन में केन्द्र सरकार के अक्षय उर्जा विभाग के सचिव श्री दीपक गुप्ता, इरेडा के अध्यक्ष श्री देवाशीश मजूमदार और मध्यप्रदेश उर्जा विकास निगम के प्रबंध संचालक श्री नीरज मंडलोई सहित एन वी डी ए के उच्च अधिकारी उपस्थित थे। सम्मेलन में करीब 80 निवेशकों ने भाग लिया। एन वी डी ए ने दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से निवेशकों को विभिन्न रियायतें और सहूलियतों के बारे में विस्तार से बताया और साथ ही अन्य तकनीकी जानकारियाँ दीं।
देवास से ग्वालियर सौ किमी की रफ्तार
शुक्रवार,27 अगस्त, 2010 को 01:20 तक के समाचार
Home >> Madhya Pradesh >> Rajgarh Zila >> Biyawara
देवास से ग्वालियर तक एबी रोड के करीब 400 किमी के हिस्से को फोरलेन करने की तैयरियां अंतिम चरण में हैं। तकरीबन 2200 करोड़ के इस प्रोजेक्ट पर दिल्ली में मंत्रालय की बैठक भी हो चुकी है। फोरलेन की सुगबुगाहट के साथ ही एनएच के दोनों ओर की जमीन के अधिग्रहण को लेकर भी अटकलें लगाई जाने लगी हैं। जमीनों के मालिक फोरलेन निर्माण के दौरान कितनी भूमि अधिहग्रहण की जाएगी, इसका वे सही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं। इससे ना तो लोग अपनी जमीन बेच पा रहे हैं वहीं खरीददार भी असमंजस की स्थिति मेंं है।
एक अधिकारी के मुताबिक फिलहाल हाईवे ३० मीटर चौड़ा है। इसे फोरलेन में तब्दील करने के लिए ३० मीटर जगह की और जरूरत होगी। यानी कुल २१० फीट चौड़ा फोरलेन बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के बाद जमीन की कीमत बढ़ेगी, लेकिन अधिग्रहित भूमि के बदले में कितना मुआवजा मिलेगा इसे लेकर किसान अभी से सजग हो चुके हैं।
फोरलेन के दौरान ग्वालियर शिवपुरी, गुना, ब्यावरा, पचोर, सारंगपुर, शाजापुर, मक्सी व देवास शहर से एक एक किमी दूर से फोरलेन के बीच विद्युत व्यवस्था की जाएगी। इससे गुजरने वाले वाहन चालकों को रात के सफर के दौरान सामने आ रहे वाहनों की लाइटें सीधे आंखों पर नहीं पड़ेगी। विशेष प्रकार की लगाई जाने वाली इन लाइटों की वजह से दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
फिलहाल एबी रोड पर ५० से ६० किमी प्रति घंटा की रफ्तार से वाहन चलते हैं, लेकिन फोर लेन के बाद यह १०० किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ेंगे। इसके बावजूद हादसों की तादाद वर्तमान के मुकाबले नगण्य रह जाएगी। जानकारों के मुताबिक आने-जाने वाले वाहनों के लिए अलग-अलग लेन होने की वजह से आमने-सामने की टक्कर होने की आशंका खत्म हो जाएगी। सबसे ज्यादा मौतें इसी तरह के हादसों में होती हैं। इसके अलावा दूरियां भी जल्द तय होंगी। ब्यावरा से इंदौर की दूरी करीब २०० किमी है, जिसे तय करने के लिए वाहन चालकों को साढ़े चार घंटे का समय लग जाता है। जो बाद में महज सवा दो घंटे का सफर हो जाएगा। इस हाईवे पर बढ़ते ट्रैफिक से कई स्थानों पर जाम लग जाता है। निर्माण से हजारों वाहन चालकों की मुश्किलें कम हो सकेंगी।
शुक्रवार,27 अगस्त, 2010 को 01:20 तक के समाचार
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देवास से ग्वालियर तक एबी रोड के करीब 400 किमी के हिस्से को फोरलेन करने की तैयरियां अंतिम चरण में हैं। तकरीबन 2200 करोड़ के इस प्रोजेक्ट पर दिल्ली में मंत्रालय की बैठक भी हो चुकी है। फोरलेन की सुगबुगाहट के साथ ही एनएच के दोनों ओर की जमीन के अधिग्रहण को लेकर भी अटकलें लगाई जाने लगी हैं। जमीनों के मालिक फोरलेन निर्माण के दौरान कितनी भूमि अधिहग्रहण की जाएगी, इसका वे सही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं। इससे ना तो लोग अपनी जमीन बेच पा रहे हैं वहीं खरीददार भी असमंजस की स्थिति मेंं है।
एक अधिकारी के मुताबिक फिलहाल हाईवे ३० मीटर चौड़ा है। इसे फोरलेन में तब्दील करने के लिए ३० मीटर जगह की और जरूरत होगी। यानी कुल २१० फीट चौड़ा फोरलेन बनाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के बाद जमीन की कीमत बढ़ेगी, लेकिन अधिग्रहित भूमि के बदले में कितना मुआवजा मिलेगा इसे लेकर किसान अभी से सजग हो चुके हैं।
फोरलेन के दौरान ग्वालियर शिवपुरी, गुना, ब्यावरा, पचोर, सारंगपुर, शाजापुर, मक्सी व देवास शहर से एक एक किमी दूर से फोरलेन के बीच विद्युत व्यवस्था की जाएगी। इससे गुजरने वाले वाहन चालकों को रात के सफर के दौरान सामने आ रहे वाहनों की लाइटें सीधे आंखों पर नहीं पड़ेगी। विशेष प्रकार की लगाई जाने वाली इन लाइटों की वजह से दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।
फिलहाल एबी रोड पर ५० से ६० किमी प्रति घंटा की रफ्तार से वाहन चलते हैं, लेकिन फोर लेन के बाद यह १०० किमी प्रति घंटा की गति से दौड़ेंगे। इसके बावजूद हादसों की तादाद वर्तमान के मुकाबले नगण्य रह जाएगी। जानकारों के मुताबिक आने-जाने वाले वाहनों के लिए अलग-अलग लेन होने की वजह से आमने-सामने की टक्कर होने की आशंका खत्म हो जाएगी। सबसे ज्यादा मौतें इसी तरह के हादसों में होती हैं। इसके अलावा दूरियां भी जल्द तय होंगी। ब्यावरा से इंदौर की दूरी करीब २०० किमी है, जिसे तय करने के लिए वाहन चालकों को साढ़े चार घंटे का समय लग जाता है। जो बाद में महज सवा दो घंटे का सफर हो जाएगा। इस हाईवे पर बढ़ते ट्रैफिक से कई स्थानों पर जाम लग जाता है। निर्माण से हजारों वाहन चालकों की मुश्किलें कम हो सकेंगी।
Monday, September 20, 2010

बिजली मीटर बने शोपीस
विनोद शर्मा
इंदौर । एनर्जी ऑडिट के नाम पर लगाए गए मीटर शोपीस की तरह ट्रांसफार्मरों की शोभा बढ़ाने से ज्यादा काम नहीं आ रहे हैं। एकलेरेटेड पॉवर डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म प्रोग्राम (एपीडीआरपी) के तहत लगाए गए सैकड़ों मीटर बंद पड़े हैं।
बंद मीटरों से बेखबर शतप्रतिशत मॉनिटरिंग का दावा करके कंपनी बिजली कंपनी के साथ उपभोक्ताओं की आंखों में भी धूल झोंक रही है। कंपनी की मनमानी से बिजली कंपनी प्रबंधन भी वाकिफ है। हालांकि भाजपा के राष्ट्रीय नेता से ताल्लुक रखने वाली इस कंपनी की मनमानियों पर लगाम कसने की हिम्मत जुटाने वाला कोई नहीं।
एपीडीआरपी के तहत मप्र की तीनों वितरण कंपनियों (पूर्व, पश्चिम और मध्य क्षेत्र) के तकरीबन 25 हजार ट्रांसफार्मरों पर मीटर लगना थे। इनमें 15 हजार मीटर ओमनी एगेट सिस्टम प्रा.लि. को लगाना थे।
बिजली के जानकारों की मानें तो एपीडीआरपी की समयसीमा खत्म हो चुकी है लेकिन कंपनी 65 प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं कर पाई। लगाए गए 15 प्रतिशत मीटर बंद हैं। ट्रांसफार्मरों की मॉनिटरिंग करके बिजली की आपूर्ति और खपत का आंकलन हो इसके लिए ये मीटर लगाए गए थे। अब यदि 15 प्रतिशत मीटर बंद है तो कंपनी शतप्रतिशत मॉनिटरिंग का दावा कैसे कर सकती है? इसका संतोषजनक जवाब देने वाला कोई नहीं।
इसलिए मेहरबान
ओमनी एगेट सिस्टम प्रा.लि. मुलत: चैन्नई की कंपनी है। कंपनी को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पारिवारिक संपत्ति बताया जाता है। मप्रपक्षेविविकं के अधिकारियों की मानें तो कंपनी हमेशा राजनीतिक दबाव बनाकर काम कराती है। रोक चुके हैं 70 लाख का पेमेंट
कंपनी द्वारा लगाए कई मीटर बंद है।
ऎसे मप्रपक्षेविविकं के अधिकारी भी मानते हैं कि कंपनी का काम सिर्फ मीटर लगाना नहीं था। बल्कि मीटर लगाकर उनकी मॉनिटरिंग करना और ऑब्जरवेशन रिपोर्ट देना था। अब तक कंपनी ने मीटर लगाने और मॉनिटरिंग करने दोनों ही क्षेत्र में निराश किया है। इसके लिए कंपनी को नोटिस देकर 70 लाख का पेमेंट भी रोका जा चुका है।
मॉडेम का बहाना
मनमानी को नकारने वाली कंपनी का रिलायंस से विवाद हुआ। बकाया भुगतान न होने पर रिलायंस ने कंपनी को दी सिमें बंद कर दी थी। अब कंपनी कहती है मॉडेम में खराबी से मॉनिटरिंग में दिक्कत आ रही है।
असेम्बल किए मीटर
अनुबंध के अनुसार कंपनी ब्रांडेड मीटर लगाने के बजाय यहां-वहां से सामान जुटाकर असेम्बल किए हुए मीटर लगा रही है। कारण टैक्स चोरी। इसका खुलासा 18 फरवरी 2010 को कंपनी के क्षेत्रीय कार्यालय पर हुई छापामार कार्रवाई में भी हो चुका है।
अभी तो एक्सपेरिमेंटल स्टेज है
अभी मामला एक्सपेरिमेंटल स्टेज पर है। मॉडम के माध्यम से डाटा कलेक्शन करने का काम चल रहा है। कंपनी द्वारा लगाए गए मीटरों का भौतिक सत्यापन हमारा मैदानी अमला कर रहा है। कहीं 30 प्रतिशत तो कहीं 70 प्रतिशत तक हुआ है। काम अभी जारी है।
संजय शुक्ला, सीएमडी मप्रमक्षेविविकं
इंदौर से 400 करोड़ का हवाला

मुंबई से लौटकर विनोद शर्मा
इंदौर । इंदौर के एक रियल एस्टेट समूह सैटेलाइट से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ हवाला का बड़ा मामला पकड़ में आया है। विदेश से रकम के अवैध लेनदेन का यह आंकड़ा शुरूआती जांच में ही करीब 400 करोड़ रूपए का बताया जा रहा है। मुंबई से प्रवर्तन निदेशालय ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत सैटेलाइट के कर्ताधर्ताओं समेत इंदौर के 13 लोगों को इस मामले में नोटिस थमाए हैं। शहर में कई कॉलोनियां काटने वाले सैटेलाइट समूह के कर्ताधर्ता इंदौर के अजमेरा बंधु व अन्य हैं।
छापे में मिले थे सुराग
नवंबर 2009 में आयकर विभाग ने सैटेलाइट, चिराग रियल एस्टेट, मयूरी हिना हर्बल और फिनिक्स ग्रुप के इंदौर-उज्जैन व मुंबई स्थित ठिकानों पर छापा मारा था। इसी में हवाला के सुराग मिले।सैटेलाइट समूह का मुख्यालय मुंबई में है। इसके बाद मुंबई स्थित प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों ने छानबीन की और फेमा के तहत जांच शुरू की। पहले चरण में सैटेलाइट गु्रप और उसकी सहयोगी कंपनियों से ताल्लुक रखने वाले 13 लोगों को नोटिस जारी हुए हैं।
घेरे में कई बड़े नाम
आरोपियों में सैटेलाइट समूह के कर्ताधर्ता रितेश अजमेरा उर्फ चंपू, उसका भाई निलेश अजमेरा, दीपक जैन (दिलीप सिसौदिया), हैप्पी धवन, अरूण डागरिया, चिराग शाह, वीरेंद्र चौधरी, विनोद गुप्ता, मोहन चुघ, अतुल सुराना के अलावा जमीन के बड़े खिलाड़ी शरद डोसी व अन्य हैं। एक बड़ा नाम मुंबई के ब्रजेश शाह का भी है।
इंदौर में चार टाउनशिप
अजमेरा बंधुओं और उनके सहयोगियों ने 23 फर्म बना रखी है। इनमें वे अलग-अलग डायरेक्टर हैं। इन्हीं कंपनियों में से एक है सैटेलाइट ग्रुप। इंदौर में इसकी चार टाउनशिप है। सैटेलाइट जंक्शन (पंचवटी), सैटेलाइट टाउनशिप (बिजलपुर क्षेत्र), सैटेलाइट हिल्स (बायपास) और सैटेलाइट सिटी (खंडवा रोड)। गु्रप का कारोबार 20 शहरों में फैला है।
भोपाल में कई एकड़ जमीन नकद खरीदे जाने के बाद से आयकर विभाग की निगाह इस समूह पर थी।
आयकर विभाग ने छापे में 25 करोड़ की प्रॉपर्टी के दस्तावेज, 20 लाख रूपए नकद और 80 लाख के जेवर बरामद किए थे। 13 खाते सील किए गए थे। इसके बाद ग्रुप ने 25 करोड़ रूपए सरेंडर किए।
मंदी ने ध्वस्त किए सारे मंसूबे
हवाला के इस पूरे कांड की कड़ी दुबई से जुड़ी है। अजमेरा बंधु और उनके सहयोगी दुबई में कॉलोनी काटना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने दिसंबर 2007 से जनवरी 2008 के बीच डेढ़ से दोगुना रूपए लौटाने का प्रस्ताव देकर इंदौर के नामी-गिरामी लोगों से करोड़ों रूपए जुटाए।
रूपया देने वालों में पीडीपीएल के डायरेक्टर विनोद गुप्ता सहित कई लोग शामिल हैं। पैसा इकटा होते ही अजमेरा बंधुओं ने दुबई में जमीन खरीदी और आधा पैसा चुका दिया। आधे के भुगतान के लिए चेक दिए गए। सौदे के बाद जब मंदी के कारण जमीन की कीमत में 80 फीसदी तक की गिरावट आई तो इनकी योजना ध्वस्त हो गई।
चेक बाउंस काभी आरोपी है चंपू अजमेरा
वादे के मुताबिक तय समय में जब अजमेरा बंधुओं ने पैसा नहीं दिया तो लेनदारों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। दबाव से तंग बंधुओं ने आनन-फानन में उन्हें चेक थमा दिए जो बाद में बाउंस हो गए। नाराज लेनदारों ने अजमेरा बंधुओं के खिलाफ धारा 138 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया। 70 फीसदी रकम निकालने वाले कुछ लेनदार ऎसे भी हैं जो वसूली के लिए अजमेरा पर पिस्तौल तान चुके हैं।
पैसा देकर पछता रहे विनोद गुप्ता ने भी अजमेरा बंधुओं के खिलाफ मुकदमा ठोंक रखा है। "पत्रिका" को गुप्ता ने बताया, जनवरी 2008 को चेक से 2.5 करोड़ रूपए रितेश-निलेश को दिए थे। उन्होंने दो महीने में पैसा लौटाने को कहा, लेकिन आज तक नहीं लौटाया। पैसा सामान्य कर्ज के रूप में दिया था। पैसे का उन्होंने क्या किया? इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
कहां से आई इतनी रकम?
हवाला कारोबार की रकम चार सौ करोड़ रूपए बताई जा रही है। ऎसे में सवाल यह है कि एक दशक पहले तक मेहंदी का कारोबार करने वाले अजमेरा बंधुओं की अरबों रूपए की हैसियत कैसे हो गई? ऎसे ही सवालों के जवाब तलाशने के लिए प्रवर्तन निदेशालय कडियां तलाश रहा है। किस-किसने उन्हें पैसा उपलब्ध कराया? और क्यों? उनका निजी हित क्या था?

मुंबई से लौटकर विनोद शर्मा
इंदौर । इंदौर के एक रियल एस्टेट समूह सैटेलाइट से जुड़े कुछ लोगों के खिलाफ हवाला का बड़ा मामला पकड़ में आया है। विदेश से रकम के अवैध लेनदेन का यह आंकड़ा शुरूआती जांच में ही करीब 400 करोड़ रूपए का बताया जा रहा है। मुंबई से प्रवर्तन निदेशालय ने फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत सैटेलाइट के कर्ताधर्ताओं समेत इंदौर के 13 लोगों को इस मामले में नोटिस थमाए हैं। शहर में कई कॉलोनियां काटने वाले सैटेलाइट समूह के कर्ताधर्ता इंदौर के अजमेरा बंधु व अन्य हैं।
छापे में मिले थे सुराग
नवंबर 2009 में आयकर विभाग ने सैटेलाइट, चिराग रियल एस्टेट, मयूरी हिना हर्बल और फिनिक्स ग्रुप के इंदौर-उज्जैन व मुंबई स्थित ठिकानों पर छापा मारा था। इसी में हवाला के सुराग मिले।सैटेलाइट समूह का मुख्यालय मुंबई में है। इसके बाद मुंबई स्थित प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों ने छानबीन की और फेमा के तहत जांच शुरू की। पहले चरण में सैटेलाइट गु्रप और उसकी सहयोगी कंपनियों से ताल्लुक रखने वाले 13 लोगों को नोटिस जारी हुए हैं।
घेरे में कई बड़े नाम
आरोपियों में सैटेलाइट समूह के कर्ताधर्ता रितेश अजमेरा उर्फ चंपू, उसका भाई निलेश अजमेरा, दीपक जैन (दिलीप सिसौदिया), हैप्पी धवन, अरूण डागरिया, चिराग शाह, वीरेंद्र चौधरी, विनोद गुप्ता, मोहन चुघ, अतुल सुराना के अलावा जमीन के बड़े खिलाड़ी शरद डोसी व अन्य हैं। एक बड़ा नाम मुंबई के ब्रजेश शाह का भी है।
इंदौर में चार टाउनशिप
अजमेरा बंधुओं और उनके सहयोगियों ने 23 फर्म बना रखी है। इनमें वे अलग-अलग डायरेक्टर हैं। इन्हीं कंपनियों में से एक है सैटेलाइट ग्रुप। इंदौर में इसकी चार टाउनशिप है। सैटेलाइट जंक्शन (पंचवटी), सैटेलाइट टाउनशिप (बिजलपुर क्षेत्र), सैटेलाइट हिल्स (बायपास) और सैटेलाइट सिटी (खंडवा रोड)। गु्रप का कारोबार 20 शहरों में फैला है।
भोपाल में कई एकड़ जमीन नकद खरीदे जाने के बाद से आयकर विभाग की निगाह इस समूह पर थी।
आयकर विभाग ने छापे में 25 करोड़ की प्रॉपर्टी के दस्तावेज, 20 लाख रूपए नकद और 80 लाख के जेवर बरामद किए थे। 13 खाते सील किए गए थे। इसके बाद ग्रुप ने 25 करोड़ रूपए सरेंडर किए।
मंदी ने ध्वस्त किए सारे मंसूबे
हवाला के इस पूरे कांड की कड़ी दुबई से जुड़ी है। अजमेरा बंधु और उनके सहयोगी दुबई में कॉलोनी काटना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने दिसंबर 2007 से जनवरी 2008 के बीच डेढ़ से दोगुना रूपए लौटाने का प्रस्ताव देकर इंदौर के नामी-गिरामी लोगों से करोड़ों रूपए जुटाए।
रूपया देने वालों में पीडीपीएल के डायरेक्टर विनोद गुप्ता सहित कई लोग शामिल हैं। पैसा इकटा होते ही अजमेरा बंधुओं ने दुबई में जमीन खरीदी और आधा पैसा चुका दिया। आधे के भुगतान के लिए चेक दिए गए। सौदे के बाद जब मंदी के कारण जमीन की कीमत में 80 फीसदी तक की गिरावट आई तो इनकी योजना ध्वस्त हो गई।
चेक बाउंस काभी आरोपी है चंपू अजमेरा
वादे के मुताबिक तय समय में जब अजमेरा बंधुओं ने पैसा नहीं दिया तो लेनदारों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया। दबाव से तंग बंधुओं ने आनन-फानन में उन्हें चेक थमा दिए जो बाद में बाउंस हो गए। नाराज लेनदारों ने अजमेरा बंधुओं के खिलाफ धारा 138 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया। 70 फीसदी रकम निकालने वाले कुछ लेनदार ऎसे भी हैं जो वसूली के लिए अजमेरा पर पिस्तौल तान चुके हैं।
पैसा देकर पछता रहे विनोद गुप्ता ने भी अजमेरा बंधुओं के खिलाफ मुकदमा ठोंक रखा है। "पत्रिका" को गुप्ता ने बताया, जनवरी 2008 को चेक से 2.5 करोड़ रूपए रितेश-निलेश को दिए थे। उन्होंने दो महीने में पैसा लौटाने को कहा, लेकिन आज तक नहीं लौटाया। पैसा सामान्य कर्ज के रूप में दिया था। पैसे का उन्होंने क्या किया? इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
कहां से आई इतनी रकम?
हवाला कारोबार की रकम चार सौ करोड़ रूपए बताई जा रही है। ऎसे में सवाल यह है कि एक दशक पहले तक मेहंदी का कारोबार करने वाले अजमेरा बंधुओं की अरबों रूपए की हैसियत कैसे हो गई? ऎसे ही सवालों के जवाब तलाशने के लिए प्रवर्तन निदेशालय कडियां तलाश रहा है। किस-किसने उन्हें पैसा उपलब्ध कराया? और क्यों? उनका निजी हित क्या था?
मुसीबत के हाईवे

विनोद शर्मा
इंदौर। एक फीट से गहरे गड्ढों का जख्म...। डामर के इंतजार में बिखरती गिट्टी-चूरी...। यह व्यथा है इंदौर को धार-झाबुआ-रतलाम, मंदसौर, नीमच ही नहीं, गुजरात-राजस्थान से जोड़ने वाले एनएच-59 (इंदौर-लेबड़) की। एक तरफ औद्योगिक क्षेत्रों का हवाला देकर सरकार निवेशकों को पीले चावल दे रही है, वहीं इन्हें जोड़ने वाली यह रोड खत्म हो चुकी है।
तीन दिन पहले यहां लगे जाम का कारण तलाशने पहुंचे तो हकीकत यही नजर आई। लोगों ने बताया पांच किमी पार करने में एक घंटा भी कम पड़ता है। दुर्दशा दूर करने की बात करते ही अधिकारी इंदौर-अहमदाबाद रोड की निर्माणाधीन योजना का हवाला देने बैठ जाते हैं। ऎसे में सवाल यह उठता है कि क्या नई सड़क नहीं बनेगी, तब तक लोग यूं ही परेशान होते रहेंगे।
दिया एक और विकल्प
एनएच-59 के निर्माणाधीन विस्तार और दो दिन पहले लगे जाम से सबक लेते हुए अब एबी रोड जाने वाली गाडियों को नागदा से स्टेट हाइवे (एसएच)-31 (नागदा, धार-मांडव रोड होते हुए गुजरी) पर छोड़ा जा रहा है। ट्रक ड्राइवर मो. सईद और शहजाद खान ने बताया इस रूट से एबी रोड पहुंचने के लिए 40 किलोमीटर से ज्यादा का अतिरिक्त सफर तय करना होगा। रूट वैसे तो पुराना है लेकिन इसकी दुर्दशा ने ही लोगों को नागदा, लेबड़, घाटा बिल्लौद, पीथमपुर होते हुए एनएच-3 पहुंचने का ये नया रास्ता दिखाया था।
उनकी दिक्कत, इनका धंधा
- गाडियों की दुर्दशा ने बढ़ाए क्षेत्र में गैरेज।
- पंक्चर गाडियों की संख्या के साथ पंक्चर जोड़ने वाले भी बढ़े।
- जेक भी मिलते हैं भाड़े पर।
- लेबड़ और घाटा बिल्लौद में के्रन भी मिलती है तैयार।
कहां खराब
घाटा बिल्लौद से लेबड़ पांच किमी पूरी तरह उखड़ा। नेशनल स्टील्स के सामने सड़क उखड़कर नाला बन गई। दिनभर पानी बहता है।
चंबल पर बना पुल उखड़ने लगा।
घाटा बिल्लौद माता मंदिर के सामने एक-डेढ़ फीट गहरे गड्ढे।
भारी यातायात
पीथमपुर, स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) और नए-नवेले इंदौर-खलघाट रोड के कारण घाटा बिल्लौद से एक घंटे में 700 से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। इनमें 50 फीसदी भारी वाहन हैं। पीथमपुर-महू रोड की हालत धार रोड से बेहतर होने से 60 प्रश यातायात पीथमपुर फाटा से पीथमपुर मुड़ जाता है। बाकी 40 प्रतिशत इंदौर की ओर।
नई सड़क बनने तक ऎसे ही होंगे परेशान?
एनएच-59 (इंदौर-लेबड़)
आखिरी बार बनी : 2007-08 में
लागत : 8 करोड़ रूपए।
16 हजार से ज्यादा वाहन रोज
इंदौर से चलती हैं 200 बसें।
15 हजार से ज्यादा यात्री
इंदौर-भोपाल : 185 किलोमीटर का सफर 3 से साढ़े तीन घंटे।
इंदौर-लेबड़ : 40 किलोमीटर और सफर दो घंटे का?
इन्हें जोड़ता है रोड
एनएच-59 : धार, झाबुआ, अहमदाबाद
एनएच-79 : नागदा, नीमच, मंदसौर, कोटा
एसएच-31 : नागदा, धार, गुजरी

विनोद शर्मा
इंदौर। एक फीट से गहरे गड्ढों का जख्म...। डामर के इंतजार में बिखरती गिट्टी-चूरी...। यह व्यथा है इंदौर को धार-झाबुआ-रतलाम, मंदसौर, नीमच ही नहीं, गुजरात-राजस्थान से जोड़ने वाले एनएच-59 (इंदौर-लेबड़) की। एक तरफ औद्योगिक क्षेत्रों का हवाला देकर सरकार निवेशकों को पीले चावल दे रही है, वहीं इन्हें जोड़ने वाली यह रोड खत्म हो चुकी है।
तीन दिन पहले यहां लगे जाम का कारण तलाशने पहुंचे तो हकीकत यही नजर आई। लोगों ने बताया पांच किमी पार करने में एक घंटा भी कम पड़ता है। दुर्दशा दूर करने की बात करते ही अधिकारी इंदौर-अहमदाबाद रोड की निर्माणाधीन योजना का हवाला देने बैठ जाते हैं। ऎसे में सवाल यह उठता है कि क्या नई सड़क नहीं बनेगी, तब तक लोग यूं ही परेशान होते रहेंगे।
दिया एक और विकल्प
एनएच-59 के निर्माणाधीन विस्तार और दो दिन पहले लगे जाम से सबक लेते हुए अब एबी रोड जाने वाली गाडियों को नागदा से स्टेट हाइवे (एसएच)-31 (नागदा, धार-मांडव रोड होते हुए गुजरी) पर छोड़ा जा रहा है। ट्रक ड्राइवर मो. सईद और शहजाद खान ने बताया इस रूट से एबी रोड पहुंचने के लिए 40 किलोमीटर से ज्यादा का अतिरिक्त सफर तय करना होगा। रूट वैसे तो पुराना है लेकिन इसकी दुर्दशा ने ही लोगों को नागदा, लेबड़, घाटा बिल्लौद, पीथमपुर होते हुए एनएच-3 पहुंचने का ये नया रास्ता दिखाया था।
उनकी दिक्कत, इनका धंधा
- गाडियों की दुर्दशा ने बढ़ाए क्षेत्र में गैरेज।
- पंक्चर गाडियों की संख्या के साथ पंक्चर जोड़ने वाले भी बढ़े।
- जेक भी मिलते हैं भाड़े पर।
- लेबड़ और घाटा बिल्लौद में के्रन भी मिलती है तैयार।
कहां खराब
घाटा बिल्लौद से लेबड़ पांच किमी पूरी तरह उखड़ा। नेशनल स्टील्स के सामने सड़क उखड़कर नाला बन गई। दिनभर पानी बहता है।
चंबल पर बना पुल उखड़ने लगा।
घाटा बिल्लौद माता मंदिर के सामने एक-डेढ़ फीट गहरे गड्ढे।
भारी यातायात
पीथमपुर, स्पेशल इकोनॉमिक जोन (सेज) और नए-नवेले इंदौर-खलघाट रोड के कारण घाटा बिल्लौद से एक घंटे में 700 से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। इनमें 50 फीसदी भारी वाहन हैं। पीथमपुर-महू रोड की हालत धार रोड से बेहतर होने से 60 प्रश यातायात पीथमपुर फाटा से पीथमपुर मुड़ जाता है। बाकी 40 प्रतिशत इंदौर की ओर।
नई सड़क बनने तक ऎसे ही होंगे परेशान?
एनएच-59 (इंदौर-लेबड़)
आखिरी बार बनी : 2007-08 में
लागत : 8 करोड़ रूपए।
16 हजार से ज्यादा वाहन रोज
इंदौर से चलती हैं 200 बसें।
15 हजार से ज्यादा यात्री
इंदौर-भोपाल : 185 किलोमीटर का सफर 3 से साढ़े तीन घंटे।
इंदौर-लेबड़ : 40 किलोमीटर और सफर दो घंटे का?
इन्हें जोड़ता है रोड
एनएच-59 : धार, झाबुआ, अहमदाबाद
एनएच-79 : नागदा, नीमच, मंदसौर, कोटा
एसएच-31 : नागदा, धार, गुजरी
सौ करोड़ में संवरेगा इंदौर-बैतूल मार्ग

इंदौर। हादसों का हाईवे बन चुके इंदौर-बैतूल रोड (एनएच-59 "ए") पर 2013 तक खंडवा रोड की तरह गाडियां दौड़ती नजर आएंगी। पूरी तरह उधड़ चुके इस रोड की दशा सुधारने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी (एनएचएआई) ने करीब सौ करोड़ की तीन योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। पहले चरण में 35 करोड़ के टेंडर निकालने के बाद एनएचएआई ने इंदौर-डबल चौकी मार्ग के लिए 35 करोड़ और रपटों को पुल में तब्दील करने के लिए करीब 30 करोड़ की योजनाओं का खाका बनाना शुरू कर दिया है।
दस साल पहले नेशनल हाईवे का दर्जा पाने एनएच-59"ए" को लेकर एनएचएआई अब गंभीर है। वह अब तक 288 किमी लंबी इस सड़क के 37 किलोमीटर लंबे हिस्से में टू-लेन निर्माण के लिए 35 करोड़ के टेंडर निकाल चुका है। निर्माण किलोमीटर 42 (चापड़ा) से 77 (कलवार) के बीच 35 किमी और किलोमीटर 124 से 126 के बीच 2 किमी पर होना है।
इससे पहले कलवार से कन्नौद किमी 77 से 123 तक दो-लेन रोड बनाई जा चुकी है, हालांकि उसकी हालत अभी से बिगड़ने लगी है। अब बारी है इंदौर से डबल चौकी (किमी 0 से 30 किमी) रोड की। इसका सर्वे हो चुका है। प्रस्ताव बनाया जा रहा है। लागत 35 करोड़ आंकी जा रही है। अधिकारियों की मानें तो केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ की मंशानुरूप मंत्रालय से अनुमोदित हुई इस रोड के निर्माण की तमाम कवायदें दिल्ली से चल रही हैं। सर्वे से लेकर वर्कऑर्डर तक सभी वहीं के अधिकारियों की निगरानी में होगा।
टोल-फ्री होगी सड़क
सड़क की लागत 90-95 लाख रूपए प्रति किमी आएगी। उधर, केंद्रीय सड़क-परिवहन मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार उन सड़कों पर टोल नहीं लगेगा, जिनकी लागत एक करोड़ रूपए प्रति किलोमीटर से कम हैं। हालांकि मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस रोड के निर्माण की गुणवत्ता टोल वाली सड़कों से उन्नीसी नहीं होगी।
इसलिए जरूरी है निर्माण
- 1200 करोड़ की लागत से इंदौर-अहमदाबाद मार्ग के साथ यह रोड बनती है तो यह तीन राज्यों (गुजरात, मप्र और महाराष्ट्र) को जोड़ेगी।
- बैतूल, होशंगाबाद और इटारसी से आने वाले वाहनों को भोपाल होकर इंदौर नहीं आना पड़ेगा। उनका 150 किमी से ज्यादा चक्कर बचेगा।
- इंदौर से आष्टा-कन्नौद होते हुए नेमावर जाकर 40 किमी लंबा चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- रोड बनने के बाद इंदौर आसपास के हर शहर से दोलेन और चारलेन से जुड़ेगा। सिंगल ट्रैक खत्म होगी।
रपटें होंगी खत्म, बनेंगे पुल
खातेगांव में हुए बागदी बस हादसे और एक दशक में सड़क पर हुए ऎसे अन्य हादसों से सबक लेते हुए एनएचएआई ने तमाम रपटों को पुल में तब्दील करने का मन भी बनाया है। दुधिया नाला, शिप्रा नदी, कालापाठा नाला, सतखालिया, उमरिया खाल, कालीसिंध नदी, करनावत नाला और बागदी नदी सहित रोड पर दर्जनभर से ज्यादा नदी-नालों पर मौजूदा रपटें तोड़कर ऊंचे-व्यवस्थित पुल बनाए जाना है। बागदी बस हादसे के बाद "पत्रिका" ने नेमावर रोड की रपटों और उनकी दुर्दशाओं के साथ वहां हुए हादसों की तस्वीर बयां की थी। पुल बनाने की तैयारियां उसके बाद ही शुरू हुई।
विनोद शर्मा
इंदौर। हादसों का हाईवे बन चुके इंदौर-बैतूल रोड (एनएच-59 "ए") पर 2013 तक खंडवा रोड की तरह गाडियां दौड़ती नजर आएंगी। पूरी तरह उधड़ चुके इस रोड की दशा सुधारने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी (एनएचएआई) ने करीब सौ करोड़ की तीन योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। पहले चरण में 35 करोड़ के टेंडर निकालने के बाद एनएचएआई ने इंदौर-डबल चौकी मार्ग के लिए 35 करोड़ और रपटों को पुल में तब्दील करने के लिए करीब 30 करोड़ की योजनाओं का खाका बनाना शुरू कर दिया है।
दस साल पहले नेशनल हाईवे का दर्जा पाने एनएच-59"ए" को लेकर एनएचएआई अब गंभीर है। वह अब तक 288 किमी लंबी इस सड़क के 37 किलोमीटर लंबे हिस्से में टू-लेन निर्माण के लिए 35 करोड़ के टेंडर निकाल चुका है। निर्माण किलोमीटर 42 (चापड़ा) से 77 (कलवार) के बीच 35 किमी और किलोमीटर 124 से 126 के बीच 2 किमी पर होना है।
इससे पहले कलवार से कन्नौद किमी 77 से 123 तक दो-लेन रोड बनाई जा चुकी है, हालांकि उसकी हालत अभी से बिगड़ने लगी है। अब बारी है इंदौर से डबल चौकी (किमी 0 से 30 किमी) रोड की। इसका सर्वे हो चुका है। प्रस्ताव बनाया जा रहा है। लागत 35 करोड़ आंकी जा रही है। अधिकारियों की मानें तो केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ की मंशानुरूप मंत्रालय से अनुमोदित हुई इस रोड के निर्माण की तमाम कवायदें दिल्ली से चल रही हैं। सर्वे से लेकर वर्कऑर्डर तक सभी वहीं के अधिकारियों की निगरानी में होगा।
टोल-फ्री होगी सड़क
सड़क की लागत 90-95 लाख रूपए प्रति किमी आएगी। उधर, केंद्रीय सड़क-परिवहन मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार उन सड़कों पर टोल नहीं लगेगा, जिनकी लागत एक करोड़ रूपए प्रति किलोमीटर से कम हैं। हालांकि मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस रोड के निर्माण की गुणवत्ता टोल वाली सड़कों से उन्नीसी नहीं होगी।
इसलिए जरूरी है निर्माण
- 1200 करोड़ की लागत से इंदौर-अहमदाबाद मार्ग के साथ यह रोड बनती है तो यह तीन राज्यों (गुजरात, मप्र और महाराष्ट्र) को जोड़ेगी।
- बैतूल, होशंगाबाद और इटारसी से आने वाले वाहनों को भोपाल होकर इंदौर नहीं आना पड़ेगा। उनका 150 किमी से ज्यादा चक्कर बचेगा।
- इंदौर से आष्टा-कन्नौद होते हुए नेमावर जाकर 40 किमी लंबा चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- रोड बनने के बाद इंदौर आसपास के हर शहर से दोलेन और चारलेन से जुड़ेगा। सिंगल ट्रैक खत्म होगी।
रपटें होंगी खत्म, बनेंगे पुल
खातेगांव में हुए बागदी बस हादसे और एक दशक में सड़क पर हुए ऎसे अन्य हादसों से सबक लेते हुए एनएचएआई ने तमाम रपटों को पुल में तब्दील करने का मन भी बनाया है। दुधिया नाला, शिप्रा नदी, कालापाठा नाला, सतखालिया, उमरिया खाल, कालीसिंध नदी, करनावत नाला और बागदी नदी सहित रोड पर दर्जनभर से ज्यादा नदी-नालों पर मौजूदा रपटें तोड़कर ऊंचे-व्यवस्थित पुल बनाए जाना है। बागदी बस हादसे के बाद "पत्रिका" ने नेमावर रोड की रपटों और उनकी दुर्दशाओं के साथ वहां हुए हादसों की तस्वीर बयां की थी। पुल बनाने की तैयारियां उसके बाद ही शुरू हुई।
विनोद शर्मा
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