Monday, August 10, 2015

इंदौर दुग्ध संघ में ‘मिलावट’


- घटिया सामग्री से बन रहा है 48 करोड़ का नया सयंत्र
- नियमों को दरकिनार करके दिये ठेके, ठेकेदारों को पहुंचाया लाभ, संघ में लगाई सेंध
इंदौर. विनोद शर्मा ।

शहरवासियों को मिलावटी दूध से राहत दिलाने के लिए बना इंदौर दुग्ध संघ इन दिनों मिलावट से जुझ रहा है। मिलावट हुई है संघ परिसर में बन रहे करोड़ों रुपए के पाउडर प्लांट और एडमिनिस्टेÑटिव ब्लॉक के निर्माण में। इसका खुलासा सीईओ के.के.माहेश्वरी के खिलाफ हुई शिकायतों की प्रारंभिक जांच में के बाद हुआ। रिपोर्ट के साथ ही माहेश्वरी को थमाए गए संस्पेंशन लेटर में भी स्पष्ट लिखा है कि निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई है।
    अंतरराष्ट्रीय मानक स्तर के दूध और दूध पदार्थों  के निर्माण के साथ सुगम आपूर्ति के लिए 48 करोड़ की लागत से संघ परिसर में एक नवीन संयंत्र भी स्थापित किया जा रहा है। निर्माण कॉन्ट्रेक्टर आशुतोष शर्मा की कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है। इस कंपनी को काम देने में माहेश्वरी की अहम भूमिका रही। इसी कंपनी को तालाब का पानी खाली करने के लिए एक करोड़ का भुगतान किया गया। मनमाना ठेका दिए जाने के बाद भी निर्माण जिस गुणवत्ता का होना था, नहीं हुआ। क्योंकि निर्माण के दौरान घटिया सामग्री इस्तेमाल की गई। मप्र स्टेट को-आॅपरेटिव डेयरी फेडरेशन द्वारा जारी एक आॅर्डर में इसकी पुष्टि भी है।
    संघ में पदस्थ अन्य अधिकारी भी अब नई बिल्डिंग की गुणवत्ता पर अंगुली उठा रहे हैं। उनकी मानें तो यहां जो सामग्री इस्तेमाल की जा रही है उस पर कई बार आपत्ति ली। ऊपर से मिले ग्रीन सिग्नल के बाद वही सामग्री इस्तेमाल भी हुई। ऐसी स्थिति में किसके सामने क्या कहें? जितनी हैसियत थी उतना विरोध भी किया।
कांग्रेस नेता के बेटे को दिया बिना टेंडर ठेका
माहेश्वरी ने सीईओ रहते कांग्रेस नेता और पूर्व पार्षद प्रेम खड़ायता के बेटे अंकित खड़ायता की कंपनी परी कंस्ट्रक्शन को दो अलग-अलग काम दिए। इसमें एक काम आठ लाख का था, दूसरा करीब 4 लाख का। माहेश्वरी के साथ ही परी द्वारा किए गए काम की जांच भी की जाना है। उधर, खड़ायता का कहना है कि उसका काम चौखा है। माहेश्वरी को जितने रुपए तक के काम बिना टेंडर कराने के अधिकार थे उन्होंने उतने कराए।
कक्कड़ की कंपनी को सिक्योरिटी
इसी तरह कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के सहयोगी प्रवीण कक्कड़ की कंपनी को दुग्ध संघ की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी भी माहेश्वरी ने अपने दम पर सौंपी थी। कक्कड़ और माहेश्वरी के बीच संबंध पारिवारिक हैं।
प्रारंभिक जांच में सामने आए तथ्य
- इंदौर दुग्ध संघ द्वारा जो नया डेयरी संयत्र बनाया जा रहा है उसके सिविल वर्क में टेंडर नियमों का पालन किए बिना काम दिया गया। उच्च गुणवत्ता के दावे के साथ टेंडर दिया लेकिन निर्माण में घटिया सामग्री इस्तेमाल करके माहेश्वरी/कंपनी ने संघ को आर्थिक क्षति पहुंचाई।
- निर्माण के लिए ठेके गलत तरीके से दिए गए। बिना टेंडर प्रक्रिया के।
- डी वाटरिंग में जरूरत से कई गुना ज्यादा पैसा खर्च हुआ। जहां परिसर बन रहा है वहां तालाब नुमा गड्ढा था। इसका पानी निकालने के साथ ही बताया गया कि इसका भरवा भी हुआ। जबकि भवन निर्माण के लिए तो गड्डा खोदना ही पड़ता है। ऐसे में कंपनी ने खुदाई के पैसे बचाए और भराव का बिला पकड़ा दिया।
एक-एक बिंदु की जांच हो रही है...
फेडरेशन और संघ के आला अधिकारियों का कहना है कि निर्माण स् और माहेश्वरी से जुड़े एक-एक बिंदु की जांच हो रही है। फिर मामला घटिया सामग्री का हो या फिर बिना फेडरेशन को जानकारी दिए बिना कोल्ड स्टोर में बटर रखकर हर महीने 5 रुपए का किराया चुकाने का।

Tuesday, August 4, 2015

जूम के पैसे से मिली बोलस्टर को जमीन


इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
मंदी की आड़ में बैंकों से लिया 2650 करोड़ का कर्ज हजम करने वाली जूम डेवलपर्स प्रा.लि. ने अदायगी के नाम पर स्वयं दिवालिया बता दिया लेकिन दूसरी कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदती रही। हाल में अटैच हुई बोलस्टर इन्फ्रा डेवलपर्स प्रा.लि. की मुंबई स्थित जमीन इसका बड़ा उदाहरण है। इस जमीन की पूरी कीमत जूम ने चुकाई लेकिन नाम कर दी बोलस्टर के।
    इसका खुलासा ईडी की जांच के बाद हुआ। खुलासे के बाद जमीन अटैच की गई। छानबीन के दौरान पता चला कि बोलस्टर इन्फ्रा डेवलपर्स प्रा.लि. फरवरी 2006 में पंजीबद्ध हुई थी। इस कंपनी के कर्ताधर्ता अनिल कुमार जयप्रसाद और शरद काबरा है जो कि ईडी की पूछताछ के बादसे ही सलाखों के पीछे हैं। काबरा की कंपनियों के नाम और काम की तलाश के बाद ईडी उसकी अंधेरी स्थित 61 हजार वर्गफीट जमीन  तक पहुंचा। जमीन के पंजीयन पत्र मांगे गये संबंधित विभाग से। पता चला 22 से 25 जुलाई 2008 को हुई तीन अलग-अलग सेल डीड में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि जमीन की कीमत के बदले बोलस्टर ने कितना पैसा कब-कब दिया। न ही कंपनी के संचालक जो कि जूम डेवलपर्स के कारिंदे ही हैं उन्होंने इस संबंध में कोई जानकारी दी।
    बाद में ईडी ने जब बारीकी से जांच की तो पता चला कि बोलस्टर ने जो जमीन खरीदी थी उसका पैसा तकरीबन 4.42 करोड़  जूम ने दिया है। इसके बाद ईडी ने जमीन के अटैचमेंट की तैयारी शुरू कर दी।  भूगतान यूनियन बैंक आॅफ इंडिया और आंध्रा बैंक के खातों से हुआ।
बोलस्टर के संचालक भी मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी
चूंकि काली कमाई का पैसा जमीनों में लगाया वह भी दूसरे किसी के नाम से इसीलिए प्रीवेंशन आॅफ मनी लॉन्ड्रिग एक्ट (पीएमएलए) का केस बोलस्टर के संचालकों के खिलाफ भी बनेगा।
यह है जमीन
प्रॉपर्टी (खसरा)     क्षेत्रफल     कीमत    सेल डीड
9ए, 630,630/1,126    4126     3.21 करोड़    8281/2008
112, 112/1, 2        167.5    13 लाख     8666/2008
100,100/1, 31        1388    1.08 करोड़     8667/2008
(ग्राम चकाला,बामनवाड़ा अंधेरी। क्षेत्रफल हेक्टेयर में। )
       

मुश्ताक पर पुलिस मेहरबान

सहकारिता विभाग/नगर निगम की शिकायतें छोटे से लेकर बड़े अफसर तक हुई दरकिनार

- 2012 से मिल रही शिकायतों के बाद भी नहीं की कार्रवाई

इंदौर. विनोद शर्मा ।

छोटे-मोटे अपराधियों को खिलाफ सख्ती करके ‘सिंघम’ कहलाने वाली इंदौर पुलिस कुख्यात भू-माफिया शेख मुश्ताक के प्रति सहानुभूति रखती है। शायद यही वजह है कि नगर निगम और सहकारिता विभाग जैसे सरकारी महकमों की शिकायतों के बावजूद मुश्ताक के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई। खजराना और कनाड़िया दो थानों की पुलिस दोनों महकमों को कार्रवाई के नाम पर आज दिन तक टाले ही देती आ रही है।
    पहला मामला सहकारिता विभाग का है। डायमंड गृह निर्माण सहकारी संस्था की जांच के बाद वरिष्ठ सहकारिता निरीक्षक एवं परिसमापक एम.सी.पालीवाल ने 4 मार्च 2015 को कनाड़िया थाने से लेकर आईजी आॅफिस तक पत्र लिखकर शेख मुश्ताक, मो.इब्राहिम पिता चांद खान और चांद खान पिता रज्जाक खान के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा की थी। पालीवाल ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया था कि 1987 में पंजीबद्ध हुई डायमंड के खिलाफ परिसमापन (12/3675) की कार्रवाई करते हुए परिसमापक नियुक्त कर दिया था। संस्था के सभी अधिकार परिसमापक को सौंपे गए। अवैध कॉलोनी काटने के कारण संस्था का रिकार्ड पहले ही पलासिया पुलिस जब्त करके विशेष न्यायालय के सुपुर्द कर चुकी है। हमने कोर्ट से डॉक्यूमेंट की कॉपी मांगी है। इधर, पता चला कि शेख इब्राहिम (निवासी 30 कादर कॉलोनी, यह शेख मुश्ताक का पता है।) स्वयं को संस्था का प्रबंधक बताकर काम कर रहा है।
    उन्होंने चौदवें अतिरिक्त जिला न्यायालय में संस्था की तरफ से मनमाना वाद (44-ए/2012) दायर कर दिया। इतना ही नहीं डायमंड पैलेस कॉलोनी कनाड़िया रोड तर्फे डायमंड गृह निर्माण सहकारी संस्था (पुराना पता-653 आजादनगर, नया-हाजिल मंजिल 30 कादर कॉलोनी) शेख मुश्ताक भी स्वयं को कॉलोनाइजर बता रहा है। दोनों के ही काम  आईपीसी की धारा 420 और 464 के तहत अपराध है। ये दोनों 15 अपै्रल 2014 को सहकारिता विभाग में भी बतौर प्रबंधक-कॉलोनाइजर दस्तावेज पेश कर चुके हैं जो फर्जी है। श्री पालवाल ने कहा कि मैंने परिसमापक के नाते अब तक किसी भी व्यक्ति को प्रबंधक या कॉलोनाइजर नियुक्त नहीं किया है। ये दोनों फर्जी दस्तावेजों से सरकारी विभागों की आंखों में धूल झौंक रहे हैं।
हाजी मंजिल में ही बन जाते हैं वकील से लेकर सांसद
ृृ1 जनवरी 2012 से लेकर 28 अगस्त 2012 तक नगर निगम की कॉलोनी सेल ने लगातार वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर खजराना और एमजी रोड थाने तक को शिकायत की और प्रकरण दर्ज करने की मांग की। कॉलोनी सेल उपायुक्त ने शिकायत में लिखा कि सांसद वीरेंद्र कुमार जैन और चरणदास महंत के लेटर हेड पर लगातार सेल को विक्रय कर अल्प आय गृह निर्माण सहकारी संस्था की शिकायतें मिलती रही। शंका होने पर जब सांसदद्वय से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्हें शिकायत की जानकारी ही नहीं है। उन्होंने अपने नाम से जारी लेटरहेड भी फर्जी बताए। इसके अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता एम.एल.शर्मा और एम.आई.खान के नाम से लेटरहेड और सील लगे शिकायती पत्र भी मिलते रहे। इनकी भी जांच की गई। पता चला दोनों वकील न बार काउंसिल इंदौर के मेम्बर हैं और न ही किसी वकील ने उन्हें कभी देखा। शिकायती पत्रों पर दोनों के पते हाजी मंजिल 30 कादर कॉलोनी है जो कि शेख मुश्ताक के घर का पता है। निगम द्वारा बुलाये जाने के बाद भी दोनों उपस्थित नहीं हुए।
मुश्ताक का दामाद बड़ा शिकायती
सांसद और वकीलों के लेटरहेड के साथ अधिकांश शिकायतें 27 मेजेस्टिक कॉलोनी आदिल पालवाला और मोहम्मद अतीक पिता अब्दुल लतीफ निवासी 255 मदीनानगर(आजादनगर) की हैं। सांसद और वकीलों के कुटरचित दस्तावेज बनाकर उन्हें इस्तेमाल करके इन्होंने सरकारी महकमों की आंखों में धूल झौंकी है। उन्हें गुमराह किया है। इसीलिए इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
कब-कब की शिकायत...
1 फरवरी 2012     पत्र क्र . 2558/कॉ-सेल : एसएसपी
27 फरवरी 2012     पत्र क्र. 2710/कॉ-सेल : एमजी रोड थाना
16 मार्च 2012     पत्र क्र. 2847/कॉ-सेल : एमजी रोड थाना
28 अगस्त 2012    पत्र क्र.  2908/कॉ-सेल : खजराना थाना


लीज निरस्ती से 18 साल पहले ही बेच दी जमीन

विक्रय कर अल्प आय गृह निर्माण सहकारी संस्था में मुश्ताक मंडली का कारनामा
- जून 2015 में अपर कलेक्टर ने कर दी लीज निरस्त, सौदा हुआ था 1997 में
इंदौर. विनोद शर्मा ।

शर्तों के उल्लंघन पर जिस मप्र विक्रय कर अल्प आय कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था की जमीन की लीज प्रशासन ने जून में निरस्त की है उसका सौदा 1997-98 में ही हो चुका है। कुख्यात भू-माफिया शेख मुश्ताक और संस्था में अध्यक्ष रहे गुलाम नबी ने फर्जी अनुबंधों से सौदों को अंजाम दिया। इन अनुबंधों की जानकारी न सहकारिता विभाग को है। न ही जिला पंजीयक को। 2002 में मुश्ताक के खिलाफ छापेमारी करने वाले आयकर विभाग के पास इसके दस्तावेजी प्रमाण हैं जो वह कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है।
     सोसायटी को खजराना में वर्ष 1996 में करीब 5 एकड़ शासकीय जमीन इस शर्त पर मिली थी कि वह तीन साल में अपने सदस्यों को भूखंड देकर आवासों का निर्माण कर ले। मुश्ताक और विक्रय कर संस्था के अध्यक्ष गुलाम नबी ने संगमनत होकर 1996 से 2001 के बीच संस्था की 1,94,500 वर्गफीट (4.465 एकड़) जमीन 2 करोड़ 93 लाख 63 हजार 500 रुपए में बेच दी थी। एक और चौकाने वाला तथ्य यह है कि जिन 250 अनुबंधों से जमीन बेचना बताया गया है वे सभी 5 जून 2002 को आयकर के छापे के दौरान मुश्ताक के मयूरनगर स्थित अड्डे से जब्त किये किए गए थे। उधर, 2005 में जब अनुबंधों की प्रमाणिकता के संबंध में विभागों से जानकारी मांगी गई तो पता चला इसकी जानकारी सहकारिता विभाग को नहीं है। न ही जिला पंजीयक कार्यालय को जहां से स्टॉम्प जारी किये जाते हैं। 
लंबे अर्से तक क्यों दबा रहा मामला...
19 नवंबर 2011 को अंतरिम आॅडिट हुआ। इस दौरान संस्था के मौजूदा अध्यक्ष सोबरन सिंह गौड़ ने बताया कि 23 मार्च 1998 को संस्था का रिकार्ड चोरी हो चुका। खजराना थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी भी सहकारिता विभाग को दी। 2002 में आयकर ने छापा मारा तब रिकार्ड मुश्ताक के घर से मिले। 2013 में आयकर ने कोर्ट में दस्तावेज दिए।
तत्कालीन अध्यक्ष व अन्य पर आयकर बकाया होने के कारण आयकर विभाग ने संस्था का रिकॉर्ड जब्त किया था। उससे रिकॉर्ड लेकर 14 वर्ष का आॅडिट कराया जा रहा है। उसके बाद रिकॉर्ड का मिलान कर 2014-15 में हुआ।
इसीलिए अवैध है सौदा
- बिना टीएनसी, डायवर्शन, डेवलपमेंट के कर दी लीज।
- संस्थाएं आवंटन-कब्जा लेटर के बाद प्लॉट की रजिस्ट्री करती है तो यहां लीज अनुबंध क्यों? अनुबंध सहकारिता कानून में मान्य ही नहीं। इसीलिए विभाग की अनुमति नहीं ली।
- अनुबंध हुए थे तो उनकी कॉपी सदस्यों के पास होना थी न कि मुश्ताक के महल में।
- 15 साल हो चुके हैं अनुबंध हुए अब तक एक भी दावेदार क्यों नहीं आया?
पंजीयक तक नहीं पहुंचा पंजीयन ‘शुल्क’
लीज डॉक्यूमेंट का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। अनुबंध 11 महीने से लेकर 30 साल तक का होता है। यदि लीज 2,93,64,500 रुपए में हुई थी तो 5.25 प्रतिशत के हिसाब से 15,41,583 रुपए के स्टॉम्प और कुल स्टॉम्प शुल्क का 75 प्रतिशत यानी 11,56,387 फीस लगती। यानी मुश्ताक मंडली ने 26,97,870 रुपए की सेंधमारी की।
ऐसे बेचे प्लॉट
प्लॉट का आकार     संख्या     कीमत
3000 वर्गफीट         34    1,53,00,000
1000 वर्गफीट         89    1,33,50,000
3500 वर्गफीट         01    5,25,000

बिना चौराहे का होगा इंदौर-देवास सिक्सेल

प्रदेश का बिना चौराहे वाला हाईवे
इंदौर-देवास फोरलेन बनेगा
- व्हीकल अंडर पास की संख्या 4 से छह होगी, बिचौली र्मदाना पर काम जारी

इंदौर. विनोद शर्मा ।
सवा तीन सौ करोड़ के निर्माणाधीन इंदौर-देवास सिक्सलेन पर बिचौली मर्दाना व्हीकल अंडर पास का काम शुरू हो चुका है। इस अंडर पास के बनने के बाद यह प्रदेश की पहली ऐसी सड़क होगी जहां एक भी चौराहा नहीं होगा। यानी इंदौर से देवास के बीच 45.50 किलोमीटर लंबी सड़क पर एक गति से वाहन चल सकेंगे। इससे न सिर्फ हादसों की संख्या कम होगी बल्कि इंदौर से देवास के बीच आवाजाही का वक्त भी कम होगा।
    प्रोजेक्ट में पहले पैदल चलने वालों के लिए 11 पेडस्ट्रियन अंडर पास (आईयूपी) और वाहनों के लिए चार व्हीकल अंडरपास (वीयूपी) बनाने की योजना थी। बाद में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अधिकारियों से बिचौली मदार्ना जंक्शन पर वाहनों के दबाव को देखते हुए एक अतिरिक्त वीयूपी बनाने को कहा था। इस अंडर पास पर काम शुरू हो चुका है। सड़क बनाने वाली कंपनी आईडीटीएल का दावा है कि अंडर पास दीवाली तक पूरा हो जाएगा। इस अंडर पास के बनते ही राऊ जंक्शन से रसलपुर चौराहे तक 45.50 किलोमीटर लंबी इस रोड पर एक भी चौराहा नहीं बचा है जहां वाहन सड़क क्रॉस करें।
करीब 50 किलोमीटर लंबी हो जाएगी सर्विस रोड
पुराने प्रोजेक्ट में करीब 37 किलोमीटर लंबी सर्विस रोड थी। एनएचएआई ने बिचौली मदार्ना और एमआर-10 अंडरपास के साथ  बायपास के दोनों ओर करीब आठ किमी लंबी सर्विस रोड बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया।  इन कामों पर लगभग 50 करोड़ खर्च होंगे।
सिर्फ बिचौली ही था चौराहा
निर्बाध यातायात के लिए अंडर पास और फ्लायओवर बनाए गए हैं। सिर्फ बिचौली र्मदाना चौराहा ही ऐसा था जहां वाहन क्रॉस होते थे और आने-जाने वालो को बे्रक लगाने की जरूरत पड़ती थी। अब अंडर पास बनने के बाद यह चौराहा भी खत्म हो जाएगा। 
12 मीटर चौड़ा और पांच मीटर ऊंचा होगा
बिचौली मदार्ना जंक्शन पर बनने वाला अंडरपास 12 मीटर चौड़ा और पांच मीटर ऊंचा होगा। इसके बनने से पीपल्याहाना रोड से बायपास या बिचौली मदार्ना की ओर जाने वाले वाहनों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी ऐसे वाहनों को बायपास के तेज ट्रैफिक के बीच बड़ी मुश्किल से आने-जाने की जगह मिलती है। अंडरपास बनने से ये वाहन ब्रिज के नीचे से सुरक्षित ढंग से निकल जाएंगे और बायपास का ट्रैफिक भी अव्यवस्थित नहीं होगा
एमआर-10 पर भी बनेगा वीयूपी
डीपीएस के पास वाले अंडर पास के नीचे वाहनों का दबाव ज्यादा है जबकि अंडर पास की ऊंचाई कम है। बड़े वाहनों को कनाड़िया अंडर पास के नीचे से निकलना पड़ता है। एमआर-10 के महत्व और यातायात के दबाव को देखते हुए इस अंडर पास को मंजूरी मिली है। प्रोजेक्ट में बनने वाला यह छठा व्हीकल अंडर पास होगा। डीपीएस-एमआर-10-कनाड़िया रोड-बिचौली हप्सी-बिचौली मर्दाना-नेमावर रोड-मुंडला नायता के बीच अंडर पास पास-पास है इसीलिए यहां सड़क मेलों में नजर आने वाले रोलरकोस्टर झूले की तरह नजर आएगी।
फायदे....
-- सड़क पर करना आसान होगा।
-- हादसों की संभावना कम होगी।
-- वाहनों को गति मिलेगी।
-- आने-जाने का वक्त कम होगा।
    यहां बने पेडेस्टियन अंडर पास (पीयूपी)
किलोमीटर  579        लोहारपीपल्या
किलोमीटर 586        अर्जुन बरोदा
किलोमीटर 588        लसूडिया परमार
किलोमीटर 592        मांगलिया
किलोमीटर 594         डीएलएफ
किलोमीटर 596        इन्फोसिटी
किलोमीटर 596        ओमेक्स
किलोमीटर 599        वॉटर लिली
किलोमीटर 604        बिचौली हप्सी
किलोमीटर 607         पत्थर मुंडला
किलोमीटर 612         एस्टल कॉलेज
यहां व्हीकल अंडर पास (वीयूपी)
किलोमीटर 580         शिप्रा
किलोमीटर 581        बरलाई चौराहा
किलोमीटर 587        डकाच्या
किलोमीटर 602        कनाड़िया
अब यहां.... भी
किलोमीटर 605        बिचौली मर्दाना
किलोमीटर 600        एमआर-10 जंक्शन
फ्लायओवर
किलोमीटर 590        मांगलिया
किलोमीटर 605        नेमावर रोड
किलोमीटर 610        खंडवा रोड
किलोमीटर 617        राऊ जंक्शन


7 करोड़ का प्लॉट 1.5 करोड़ में ही बेच डाला

नगर निगम कर्मचारी गृह निर्माण संस्था में संचालकों के खेल की शिकायत लोकायुक्त को
अध्यक्ष ने बयाने के एक लाख बैंक में जमा नहीं किए, सहकारिता विभाग ने भी पाया दोषी
इंदौर. 
स्कीम 59 में 173 नंबर आवंटित 13774.79 वर्गफीट का प्लॉट नगर निगम कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था ने मन ज्योति गृह निर्माण सहकारी संस्था को बाले-बाले ओनेपोने दाम पर बेच डाला। सौदा 2014 में 1.5 करोड़ में हुआ जबकि उस वक्त प्लॉट की बाजार कीमत तकरीबन 9 करोड़ थी। इसका खुलासा नगर निगम कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था के ही पूर्व उपाध्यक्ष राजेंद्र यादव और प्रबंधक केदार यादव द्वारा लोकायुक्त को की गई शिकायत के बाद हुआ। दोनों का आरोप है कि सहकारिता विभाग के अधिकारी ले-देकर गबनबाजों को बचा रहे हैं।
    नगरनिगम कर्मचारी गृह निर्माण संस्था के पूर्व अध्यक्ष रामलाल यादव और वर्तमान अध्यक्ष महेश राही पर आरोप है कि है कि उन्होंने अचानक दूसरी संस्था को प्लॉट बेचने का ठहराव-प्रस्ताव पास करवा लिया। सदस्यों को इसकी भी भनक तक नहीं लगने दी। सहकारिता विभाग की एनओसी के आधार पर आईडीए ने भी प्लॉट अन्य संस्था को बेचने और नामांतरण करने की सशर्त मंजूरी दे दी। इस सबके बीच संस्था के कर्ताधर्ता सदस्यों को प्लॉट पर कब्जा देने का आश्वासन देते रहे।
    दोनों पदाधिकारियों के साथ संस्था के सदस्यों का कहना है कि नियमानुसार तीन अखबारों में जाहिर सूचना प्रकाशित करना होती है लेकिन एक ही अखबार में प्रकाशित कराई गई और मात्र एक ही निविदा मनज्योति की प्राप्त की गई और प्लॉट का सौदा कर दिया गया। इससे पूर्व 11 मई 2010 को प्लॉट पेटे एक लाख रुपए का बयाना लिया गया लेकिन ये राशि न तो संस्था के स्टेट बैंक निगम परिसर शाखा के अकाउंट नंबर 53003158675 में जमा कराई गई और न संस्था की केश बुक में इसकी इंट्री है।
यूं किया पैसा हजम
सौदा 12 जून 2014 को उक्त प्लॉट मन ज्योति गृह निर्माण सहकारी संस्था को 1 करोड़ 40 लाख 76 हजार 920 रुपए में हुआ। उस वक्त क्षेत्र में गाइडलाइन वेल्यू 26000 रुपए प्रति वर्गफीट  थी। इस हिसाब से भी प्लॉट तकरीबन 3 करोड़ 32 लाख 46 हजार 720 रुपए की कीमत रखता था। बाजार कीमत 5 हजार रुपए वर्गफीट है जिससे कुल बाजार कीमत तकरीबन 7 करोड़ होती है।
ठहराव-प्रस्तावमें की मनमानी
संस्थाके पूर्व अध्यक्ष ने प्लॉट बेचने के लिए मप्र सहकारी समिति प्रावधान 1960 की धारा 38 को हथियार बनाया। इस नियम के अनुसार  यदि संस्था के पास भूखंड पर भवन निर्माण करने के लिए जरूरी धन नहीं है तो वह अन्य संस्था को भूखंड बेच सकती है। इसी आधार पर उन्होंने 15 जून 2008 को ठहराव-प्रस्ताव पास करवा लिया। इसमें अध्यक्ष के अलावा अन्य किसी सदस्य के हस्ताक्षर नहीं है। हवाला सर्वसम्मति का दिया गया।
खेल यह भी...
जो पैसा आया उसमें से उन 9 लोगों को 5-5 लाख रुपए दे दिए गए जिन्होंने प्लॉट या फ्लैट-मकान के लिए राशि जमा की थी। ये राशि  5 हजार से 40 हजार रुपए तक थी लेकिन 5 लाख रुपए देकर उनका मुंह बंद कर दिया गया।
प्लॉट पेटे बयाने के एक लाख रुपए मिले जो संस्था के खाते में जमा नहीं किए गए। बाकी पैसा अध्यक्ष ने अपने पास रख लिया जो कि संस्था के खाते में जमा नहीं हुआ।
साथ दे रहे हैं सहकारिता अधिकारी
सहकारिता विभाग के अंकेक्षण अधिकारी डीएस चौहान ने जब मामले की जांच की तो वर्तमान अध्यक्ष महेश राही समेत पूर्व अध्यक्ष रामलाल यादव और अन्य पदाधिकारियों को दोषी पाया। कार्रवाई की सिफारिश की। इसके बाद मामला मामला संतोष जोशी और उनके बाद मोनिका सिंह को सौंपा गया लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।
 ये है वर्तमान संचालक मंडल-
अध्यक्ष महेश राही, उपाध्यक्ष श्रीमती रजनी केसरिया, संचालक रामलाल यादव (पूर्व अध्यक्ष), आदर्श यादव, विजय कुशवाह, अशोक व्यास, स्वर्णसिंह धारीवाल, पुरुषोत्तम यादव, उमेश मंगेश आरस, द्रोपदीबाई रामबाबू। कैलाशचंद्र गेहलोत का निधन हो चुका है।
 5 लाख देकर इनका मुंह कर दिया बंद
पूर्व अध्यक्ष रामलाल यादव (5 हजार रुपए जमा किए थे और 5 लाख लिये।)
महेश गुप्ता
कृपाशंकर शुक्ला (मैनेजर)
सुरेंद्र कुशवाह
नंदलाल जैन
अरुण धाईगुड़े
सुनील व्यास
(दो अन्य हैं। इनके 5 से 40 हजार तक जमा थे।)
दो ने आपत्ति लगी और छह अब तक यादव-राही की  राह पर नही ंचले।

Saturday, August 1, 2015

प्रदेश का बिना चौराहे वाला हाईवे


इंदौर-देवास फोरलेन बनेगा बिना चौराहे का होगा इंदौर-देवास सिक्सेल - व्हीकल अंडर पास की संख्या 4 से छह होगी, बिचौली र्मदाना पर काम जारी इंदौर. विनोद शर्मा । सवा तीन सौ करोड़ के निर्माणाधीन इंदौर-देवास सि
क्सलेन पर बिचौली मर्दाना व्हीकल अंडर पास का काम शुरू हो चुका है। इस अंडर पास के बनने के बाद यह प्रदेश की पहली ऐसी सड़क होगी जहां एक भी चौराहा नहीं होगा। यानी इंदौर से देवास के बीच 45.50 किलोमीटर लंबी सड़क पर एक गति से वाहन चल सकेंगे। इससे न सिर्फ हादसों की संख्या कम होगी बल्कि इंदौर से देवास के बीच आवाजाही का वक्त भी कम होगा। प्रोजेक्ट में पहले पैदल चलने वालों के लिए 11 पेडस्ट्रियन अंडर पास (आईयूपी) और वाहनों के लिए चार व्हीकल अंडरपास (वीयूपी) बनाने की योजना थी। बाद में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अधिकारियों से बिचौली मदार्ना जंक्शन पर वाहनों के दबाव को देखते हुए एक अतिरिक्त वीयूपी बनाने को कहा था। इस अंडर पास पर काम शुरू हो चुका है। सड़क बनाने वाली कंपनी आईडीटीएल का दावा है कि अंडर पास दीवाली तक पूरा हो जाएगा। इस अंडर पास के बनते ही राऊ जंक्शन से रसलपुर चौराहे तक 45.50 किलोमीटर लंबी इस रोड पर एक भी चौराहा नहीं बचा है जहां वाहन सड़क क्रॉस करें। करीब 50 किलोमीटर लंबी हो जाएगी सर्विस रोड पुराने प्रोजेक्ट में करीब 37 किलोमीटर लंबी सर्विस रोड थी। एनएचएआई ने बिचौली मदार्ना और एमआर-10 अंडरपास के साथ बायपास के दोनों ओर करीब आठ किमी लंबी सर्विस रोड बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया। इन कामों पर लगभग 50 करोड़ खर्च होंगे। सिर्फ बिचौली ही था चौराहा निर्बाध यातायात के लिए अंडर पास और फ्लायओवर बनाए गए हैं। सिर्फ बिचौली र्मदाना चौराहा ही ऐसा था जहां वाहन क्रॉस होते थे और आने-जाने वालो को बे्रक लगाने की जरूरत पड़ती थी। अब अंडर पास बनने के बाद यह चौराहा भी खत्म हो जाएगा। 12 मीटर चौड़ा और पांच मीटर ऊंचा होगा बिचौली मदार्ना जंक्शन पर बनने वाला अंडरपास 12 मीटर चौड़ा और पांच मीटर ऊंचा होगा। इसके बनने से पीपल्याहाना रोड से बायपास या बिचौली मदार्ना की ओर जाने वाले वाहनों को बड़ी राहत मिलेगी। अभी ऐसे वाहनों को बायपास के तेज ट्रैफिक के बीच बड़ी मुश्किल से आने-जाने की जगह मिलती है। अंडरपास बनने से ये वाहन ब्रिज के नीचे से सुरक्षित ढंग से निकल जाएंगे और बायपास का ट्रैफिक भी अव्यवस्थित नहीं होगा एमआर-10 पर भी बनेगा वीयूपी डीपीएस के पास वाले अंडर पास के नीचे वाहनों का दबाव ज्यादा है जबकि अंडर पास की ऊंचाई कम है। बड़े वाहनों को कनाड़िया अंडर पास के नीचे से निकलना पड़ता है। एमआर-10 के महत्व और यातायात के दबाव को देखते हुए इस अंडर पास को मंजूरी मिली है। प्रोजेक्ट में बनने वाला यह छठा व्हीकल अंडर पास होगा। डीपीएस-एमआर-10-कनाड़िया रोड-बिचौली हप्सी-बिचौली मर्दाना-नेमावर रोड-मुंडला नायता के बीच अंडर पास पास-पास है इसीलिए यहां सड़क मेलों में नजर आने वाले रोलरकोस्टर झूले की तरह नजर आएगी। फायदे.... -- सड़क पर करना आसान होगा। -- हादसों की संभावना कम होगी। -- वाहनों को गति मिलेगी। -- आने-जाने का वक्त कम होगा। यहां बने पेडेस्टियन अंडर पास (पीयूपी) किलोमीटर 579 लोहारपीपल्या किलोमीटर 586 अर्जुन बरोदा किलोमीटर 588 लसूडिया परमार किलोमीटर 592 मांगलिया किलोमीटर 594 डीएलएफ किलोमीटर 596 इन्फोसिटी किलोमीटर 596 ओमेक्स किलोमीटर 599 वॉटर लिली किलोमीटर 604 बिचौली हप्सी किलोमीटर 607 पत्थर मुंडला किलोमीटर 612 एस्टल कॉलेज यहां व्हीकल अंडर पास (वीयूपी) किलोमीटर 580 शिप्रा किलोमीटर 581 बरलाई चौराहा किलोमीटर 587 डकाच्या किलोमीटर 602 कनाड़िया अब यहां.... भी किलोमीटर 605 बिचौली मर्दाना किलोमीटर 600 एमआर-10 जंक्शन फ्लायओवर किलोमीटर 590 मांगलिया किलोमीटर 605 नेमावर रोड किलोमीटर 610 खंडवा रोड किलोमीटर 617 राऊ जंक्शन