Tuesday, October 7, 2025

10 साल पहले बना था अनिल अंबानी पर कार्रवाई का पाथ


जयपुर-रिंगस रोड का ठेका लेकर आर.इन्फ्रा ने सौंपा था महू की कंपनी को
बाद में पाथ के रास्ते गीत एक्जिम के खातों से दुबई तक पहुंचे थे 80 करोड़ 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
अनिल अंबानी की आर.इन्फ्रा के चक्कर में महू की पाथ इंडिया पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमार कार्रवाई की। अगस्त 2014 को पाथ पर हुई इनकम टैक्स की सर्च और आर.इन्फ्रा के खिलाफ सेबी की जांच में हुए खुलासों के आधार पर कार्रवाई हुई। बताया जा रहा है कि दोनों कंपनियों की जुगत ने तकरीबन 700 करोड़ की हेराफेरी और 100 करोड़ के अंतरराष्ट्रीय हवाले को अंजाम दिया था। 
 हिंदुस्तान मेल की छानबीन में पता चला कि पाथ और अग्रोहा इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ इनकम टैक्स ने 27 अगस्त 2014 में छापा मारा था। 1 सितंबर को दोनों कंपनियों ने संयुक्त रूप से 75 करोड़ की अघोषित आय सरेंडर की थी। 2015 की शुरूआत में इनकम टैक्स ने एक रिपोर्ट भोपाल-दिल्ली भेजी। रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2009 में आर-इन्फ्रा को मिले 53 किलोमीटर लंबे एनएच-11 (जयपुर-रींगस रोड) के ठेके का काम पाथ ने पूरा किया। मुंबई निवासी नरेश मांगीलाल दवे और सैफुद्दीन अब्बासभाई कपाड़िया की कंपनी गीत एक्जिम प्रा.लि. को पाथ ने मई और जून 2010 में अलग-अलग किश्त में 80 करोड़ का भुगतान किया। ये रकम तत्काल दुबई पहुंच गई।  
कैसे हुआ खुलासा...
पाथ के छापे में जयपुर-रींगस रोड की फाइल मिली। फाइल में आर.इन्फ्रा और गीत एक्जिम की डिटेल मिली। चूंकि पैसा पाथ से गीत के पास गया था इसीलिए आयकर की टीम ने गीत के ठिकानों पर भी सर्वे किया। जानकारी गोपनीय रखी गई। सर्वे में पता चला गीत डमी कंपनी है। कोई अस्त्वि नहीं है। जैसा पाथ ने बताया था। सर्वे के दौरान गीत के संचालकों ने कहा कि वे न पाथ को जानते हैं, न ही आर इन्फ्रा को। उन्होंने कमीश्न के लालच में अपना बैंक अकाउंट मुंबई के ही कुछ लोगों को इस्तेमाल के लिए दे दिया था। 
20 डमी कंपनियों में लगा पैसा 
इसके बाद आयकर ने आईएनजी वैश्य बैंक (जंजीरवाला चौराहा) पर शिकंजा कसा। परिणाम स्वरूप गीत जैसी 20 कंपनियां सामने आई। जिनके डेड अकाउंट इस्तेमाल करके भारतीय पैसा दुबई भेजा गया। मामले में आयकर ने बैंक अधिकारियों के बयान भी रिकार्ड किए। 
24 से 48 घंटों में चैन के रास्ते देश का पैसा बाहर 
अधिकारी यह देखकर हैरान थे कि एक जगह से दूसरी जगह चला पैसा, 24 से 48 घंटों में कैसे अलग-अलग कंपनियों के रास्ते विदेश पहुंच गया। मामले में आईएनजी वैश्य बैंक, की मुंबई शाखा की भूमिका भी संदिग्ध मिली।
यूं समझे रिलायंस की भूमिका पर उठे सवालों को...
- एनएचएआई ने जयपुर-रींगस का ठेका आर-इन्फ्रा को दिया था। आर.इन्फ्रा ने 20 अक्टूबर 2009 को विज्ञप्ती जारी करके इसकी विधिवत घोषणा कर दी। प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए आर-इन्फ्रा ने 9 दिसंबर 2009 को जयपुर रींगस टोल रोड प्रा.लि. (जेआरटीआरपीएल) कंपनी पंजीबद्ध कराई। इस कंपनी का एनएचएआई के साथ अनुबंध हुआ 19 फरवरी 2010 को।
- मार्च-अपै्रल 2010 में जेआरटीआरपीएल ने महू की पाथ इंडिया से अनुबंध किया और सड़क बनाने की जिम्मेदारी उसे सौंप दी। काम मिलते ही मई और जून में सात अलग-अलग किश्तों में पाथ ने सूरत के पते पर पंजीबद्ध गीत एक्जिम प्रा.लि. को 80 करोड़ का भुगतान कर दिया।

तलावली लैक में तुलसी समर्थकों का मनमाना व्यू*

*
*2020 में कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद अस्तित्व में आया रिसोर्ट एंड रेस्ट्रो*
*तकरीबन 15 हजार वर्गफीट पर बना है जी+2 होटल*
इंदौर. विनोद शर्मा ।
जब माथे पर सरकार का हाथ हो तो किसी के भी नौ गृह बलवान हो सकते हैं। यकीन न हो तो तलावली चांदा तालाब के किनारे बने लैक व्यू रिसोर्ट एंड रेस्ट्रो को देख लें। जो भाजपा नेता राजेश पांडे और अजय उर्फ पप्पू शर्मा का है। दोनों मंत्री तुलसीराम सिलावट के लैफ्ट एंड राइट हैं। दोनों के खिलाफ जमीन पर कब्जे संबंधित कई शिकायतें कलेक्टर तक पहुंची है। 
 मामला ग्राम तलावली चांदा का है। जो 2013-14 से नगर निगम का हिस्सा है। यहां तालाब से लगी सर्वे नंबर 154 की जमीन पर लेक व्यू रिसोर्ट एंड रेस्ट्रो बना है। जो तकरीबन 15 हजार वर्गफीट से अधिक जमीन पर है। इसके अलावा अन्य 18 हजार वर्गफीट पर गार्डन और कर्मचारियों के रहने की जगह की गई है। सामने की ओर 15 हजार वर्गफीट में पार्किंग बनी है। 
 मामले की शिकायत सीएम डॉ.मोहन यादव से लेकर डीएम आशीष सिंह तक से की गई है। गुगल अर्थ से निकाली गई रिवर्स इमेज के साथ बताया गया है कि लेक व्यू का निर्माण 2021 में शुरू हुआ था। पहले 3100 वर्गफीट पर एक हिस्से का काम पूरा हुआ। 2022-23 में बगल के प्लॉट पर स्वीमिंग पुल बनाया गया। 2024-25 में स्वीमिंग पुल को कवर करते हुए तकरीबन 11 हजार वर्गफीट का भवन अलग बनाया गया। जो जी+2 है। 
 जोन क्रमांक 22 के एक अधिकारी ने बताया कि जिस जमीन पर रिसोर्ट बना है वहां नक्शा पास नहीं हो सकता। बावजूद इसके वहां होटल बनाई गई है। निर्माणकर्ता मंत्री के खास हैं इसीलिए हम कार्रवाई करें भी तो क्या? जोन क्षेत्र के दूसरे वार्डों में भी जमीन पर कब्जे की शिकायतें मिली थी लेकिन हम बेबस हैं।  
कोई अनुमति नहीं है 
आसपास के लोगों ने बताया कि तालाब के केचमेंट एरिया का हिस्सा रही जमीन पर मनमाने तरीके से निर्माण किया गया है। न टीएनसी हुई। न निगम से सक्षम स्वीकृति ली गई। लेक व्यू के कर्ताधर्ताओं का दायरा लगातार बढ़ते जा रहा है। किसी से खरीदी, किसी की कब्जाई है। 
पक्की सड़क बन गई...
पप्पू शर्मा और राजेश पांडे ने मंत्री के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मेनरोड से होटल तक तकरीबन 500 मीटर लम्बी और 15 फीट चौड़ी कांक्रीट की मजबूत रोड़ बनाई है। जबकि तलावली को बायपास से जोड़ने वाली सड़क की हालत खस्ता है। जिसका इस्तेमाल इलाके के हजारों लोग करते हैं।

कलेक्टर का भू-माफियाओं की जेब पर करारा वार रद्द होगी अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्रियां


नई शुरुआत, अवैध कॉलोनियों के गढ़ बनी बिचौली हप्सी तहसील से 
इंदौर. विनोद शर्मा ।
इंदौर में अवैध कॉलोनियों पर लगाम कसने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने बुधवार को कड़ा निर्णय लिया। तय किया जिन अवैध कॉलोनियों को लेकर पिछले दिनों प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई की है उन कॉलोनियों की रजिस्ट्रियां भी रद्द होगी। इसकी शुरुआत बिचौली हप्सी तहसील से होगी। जिसे अफसरों की जुगलबंदी और भू-माफियाओं की जोड़ी ने अवैध कॉलोनी का गढ़ बना दिया है। 
 बिचौली हप्सी तहसील में देवगुराड़िया, दुधिया, बिचौली मर्दाना, सनावदिया, बिहाड़िया, जामनिया खुर्द जैसे गांव आते हैं। जहां वैध कॉलोनियों के नक्शे कदम पर अवैध कॉलोनियां कट रही है। 1100 से 2100 रुपए वर्गफीट में लोगों को प्लॉट बेचे जा रहे हैं। इन कॉलोनियों में सड़क हैं, बगीचे हैं, सीवरेज है। बस अनुमति नहीं है। पिछले डेढ़ साल में कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर क्षेत्र के एक दर्जन भू-माफियाओं पर एफआईआर हुुई लेकिन कॉलोनियों में रजिस्ट्री होती रही। प्लॉट बिकते रहे। मकान बनते रहे।
 इस मामले में हिंदुस्तान मेल लगातार आवाज और सवाल उठाता रहा कि क्या केस दर्ज करके भू-माफियाओं को रजिस्ट्री करने की छूट दे दी है। इसीलिए मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर सिंह ने अब यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जिन अवैध कॉलोनियों को लेकर पूर्व में भू-माफियाओं पर केस दर्ज कराए जा चुके हैं या कराए जा रहे हैं, उन कॉलोनियों की रजिस्ट्री शुन्य कराई जाएगी। इसकी शुरुआत बिचौली हप्सी तहसील से ही होगी। 
कमाई पर चोट जरूरी... 
इंदौर में अब तक जितनी अवैध कॉलोनियों के मामले में कानूनी कार्रवाई हुई उनमें से एक भी ऐसी नहीं है जिसे प्रशासन बसने से रोक पाया हो। 
यहां प्रकरण दर्ज होने, जेल जाने और जमानत पर छूटने को ही भू-माफिया अवैध कॉलोनी काटने का सरकारी लाइसेंस मान लेते हैं। 
जमीन निजी हो...। भू-उपयोग ग्रीन बेल्ट हो या कृषि या एअरपोर्ट ही अवैध कॉलोनियों में प्लॉटों की बिक्री प्रतिबंधित कभी नहीं हुई। इसीलिए भू-माफिया के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद भी कॉलोनियां बसती रही।  
सिंह का नया सिस्टम... 
यह पहला मौका है जब कलेक्टर आशीष सिंह ने नई पहल करते हुए भू-माफियाओं की कमाई पर चोट की है। क्योंकि यदि रजिस्ट्री ही रद्द होने लगेगी तो खरीदार भी अवैध कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने से बचेंगे। जब प्लॉट ही नहीं बिकेंगे तो भू-माफियाओं की कमाई कैसे होगी?
फिर भी सावधानी जरूरी... 
रजिस्ट्री रद्द कराकर भी प्रशासन अवैध कॉलोनियों पर अंकुश तब तक नहीं लगा सकता जब तक जमीन की सेटेलाइट मैपिंग करके रिकार्ड उन सभी विभागों में साझा नहीं होगा, जिनकी कॉलोनी में जरूरत होती है। जैसे नगर निगम, बिजली कंपनी, नर्मदा परियोजना, पंचायत। सेटेलाइट मैपिंग से प्रशासन भी हिसाब रख सकेगा कि केस दर्ज कराने तक कॉलोनी कितनी जमीन पर विकसित थी, कितने मकान बने हुए थे। ऐसा होगा तब ही भू-माफिया नोटरी भी नहीं कर पाएंगे। 
इन कॉलोनाइजरों पर हुई एफआईआर 
गांव भू-माफिया प्लॉट बेचे
सनावदिया अतुल अग्रवाल 27
सनावदिया शुभम सोनकर 35
जामनिया खुर्द अनिल पिता श्याम 33
जामनिया खुर्द राकेश यादव 40 
मोरोद आशीष वर्मा 17
मोरोद इंदर सिंह 20
बिहाड़िया वासुदेव भागीरथ 17
उमरिया रामनारायण 16
तिल्लौर खुर्द सचिन पाटीदार 20
अतुल अग्रवाल बड़ा खिलाड़ी 
सनावदिया में अतुल अग्रवाल ने खदान रोड पर दो कॉलोनी और बिहाड़िया रोड पर कैंब्रिज स्कूल के पास बड़ी कॉलोनी काट रखी है। जिसका नक्शा फार्म हाउस के नाम पर पास हुआ था। दो-तीन बार एफआइआर हो चुकी है लेकिन अतुल की वाटिकाओं में प्लॉटों की बिक्री जारी है। बढ़ियाकीमा में शिव वाटिका पर काम जारी है। इसी क्रम में विकास सोनकर भी है, जो भी बिहाड़िया में दो-तीन अवैध कॉलोनी काट चुका है।

केम्को पर 28 करोड़ का इनकम टैक्स बाकी


जेसवानी का कागजों से किनारा, फसे डायरेक्टर, जो असल में नौकर हैं 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
जीआरवी बिस्किट प्रा.लि. नाम की कन्फेक्शनरी कंपनी हड़पने के आरोपों से घिरे संजय जेसवानी की केम्को च्यू फुड्स प्रा.लि. और उसकी सहयोगी कंपनियों पर इनकम टैक्स ने लगाम कसना शुरू कर दी है। इनकम टैक्स से प्राप्त जानकारी के अनुसार केम्को समूह पर तकरीबन 28 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स बाकी है। विभागीय हिदायत के बावजूद कंपनी टैक्स चुका नहीं रही है। इसीलिए इनकम टैक्स ने अब नोटिस जारी करना शुरू कर दिए हैं। 
 कन्फेक्शनरी के धंधे में अच्छे-अच्छे को "चॉकलेट" चखा चुके जेसवानी अब किसी कंपनी में डायरेक्टर नहीं है। अब केम्को च्यू फुड्स प्रा.लि. में करतार सिंह और गिरीश वाधवानी डायरेक्टर है। इसी साल अंशु डेम्बला इस्तिफा दे चुकी हैं। कंपनी पर 2017 से 2024 तक तक इनकम टैक्स और इंट्रेस्टस्ट मिलाकर कुल 23.55 करोड़ रुपए टैक्स बकाया है। 

 इसी तरह समूह की दूसरी कंपनी केम्को मार्ट है। इस कंपनी से भी जेसवानी परिवार बाहर हो चुका है। अब नितिन जीवनानी और दिनेश मनवानी डायरेक्टर हैं। कंपनी पर 2024 का 21.07 लाख टैक्स और 1.47 लाख ब्याज बाकी है। तीसरी कंपनी है खालसा न्यूट्रिशियन प्रा.लि.। 103/4/2/1, 103/4/2/2 अमलीखेड़ा उज्जैन रोड के पते पर रजिस्टर्ड इस कंपनी पर इनकम टैक्स का 2.94 करोड़ बकाया है। कंपनी में दिनेश मनवानी के साथ संजय का भाई विजय जेसवानी डायरेक्टर है। 
 चौथी कंपनी है सुपरनेस फुड्स प्रा.लि। 67/2/2, SK-1 कम्पाउंड लसूडिया का पता। 1.20 करोड़ की अथॉराइज्ड कैपिटल और 1.11 करोड़ की पेडअप केपिटल वाली इस कंपनी पर 1 करोड़ 22 लाख 77 हजार 094 रुपए का इनकम टैक्स बाकी है। इस कंपनी में भी दिनेश मनवानी और गिरीश वाधवानी डायरेक्टर है।  
डायरेक्टरों की संपत्ति कुर्क करेगा आईटी... 
बैंकों की तरह इनकम टैक्स भी कंपनियों में क्रेडिटर रहता है। कंपनियों का एक्जिस्टेंस नहीं होता। कंपनी संबंधित निर्णय डायरेक्टर और बोर्ड लेते हैं। ऐसे में इनकम टैक्स अपनी रकम वसूल करने के लिए कंपनी के डायरेक्टरों व उन बोर्ड मैम्बरों की संपत्तियों को भी राजसात करता है जो उन फाइनेशियल ईअर में कंपनी के कर्ताधर्ता रहें हैं जबसे इनकम टैक्स बकाया है। 
यहां तो सब नौकर हैं.... 
दिनेश मनवानी, गिरीश वाधवानी, करतार सिंह, नितिन जीवनानी, इरफान अली सयैद और सम्मन अफरोज खान जैसे नौकर जिन्हें जेसवानी ने अपनी कॉलर बचाने के लिए डायरेक्टर बना रखा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन लोगों से यदि इनकम टैक्स ने टैक्स वसूली शुरू की तो इनके तो बर्तन बिक जाएंगे, फिर भी कर्ज अदा नहीं होगा। वहीं जेसवानी मजे में रहेगा क्योंकि वह कागज पर नहीं है। ये बात अलग है कि इन्हें दुल्हा बनाकर मलाई वही खा रहा है।

निगम की मेहरबानी से नहीं टूट रहा प्रतिभा का ड्रीम


339 दिन,पांच नोटिस, हर नोटिस में 7 से 30 दिन की मोहलत
नक्शे को कोने में रखकर किया मनमाना काम, जनवरी से जारी है दिखावे की तोड़फोड़
अवैध निर्माण वहीं का वहीं   
इंदौर. विनोद शर्मा । 
स्कीम-134 में नगर निगम की मंजूरी के विपरीत अपने ड्रीम को आकार दे रहे बिल्डरों पर ले-देकर अफसर मेहरबान हैं। इतने कि 339 दिन में एक के बाद एक पांच नोटिस थमाएं। हर नोटिस में अवैध निर्माण पर नाराजी जताई। तोड़ने की मोहलत दी लेकिन आज तक नगर निगम का अमला बिल्डिंग तोड़ने नहीं पहुंचा। यह बात अलग है कि नुकसानी से बचने और शिकायकर्ताओं की आंख में धूल झौंकने के मकसद से निर्माणकर्ता स्वयं अपने निर्माण पर दिखावटी हथौड़े बरसा रहे हैं।  
   प्रतिभा सिन्टेक्स लिमिटेड व अन्य मिलकर कैसे स्कीम-134 के प्लाट नंबर 19आरसी पर कैसे नगर निगम द्वारा 2 फरवरी 2024 को स्वीकृत नक्शे के विपरीत मनमाना निर्माण किया जा रहा है? इसका खुलासा हिंदुस्तान मेल ने किया था। इसके बाद बिल्डर ने बिल्डिंग बचाने के लिए इंदौर से लेकर भोपाल तक मेहनत की। जो बेनतीजा रहा। अंतत: नगर निगम ने नोटिस जारी करके स्पष्ट कर दिया कि बिल्डिंग तो टूटेगी। इसके बाद बिल्डर ने आखिरी कोशिश करते हुए अपने स्तर पर ही बिल्डिंग में तोड़फाेड़ शुरू कर दी है ताकि नुकसान कम हो। 
अब भी निगम की आंख में धूल... 
स्वीकृत भवन अनुज्ञा के अनुसार सामने 25 फीट, पीछे 20 फीट, एक तरफ 20 फीट, दूसरी तरफ 20 फीट जमीन खूली छोड़ना थी ताकि उसका उपयोग सार्वजनिक हित में हो सके। नीमा ने चारों तरफ कब्जा कर लिया। बिल्डिंग की प्लींथ तीन तरफ सड़कों से मिला दी वहीं पश्चिम की ओर बनी बिल्डिंग तरफ 5-6 फीट जमीन छोड़ी। ऐसा करके नीमा ने ग्राउंड कवरेज (प्लींथ) बढ़ा लिया ताकि उस पर मंजूरी से ढ़ाई-तीन गुना अधिक निर्माण करके मनमाना मुनाफा कमाया जा सके। अब नुकसानी से बचने या किसी के यह समझाए जाने "िक थोड़ा अपने हाथ से तोड़ लो, मामला ठंडा हो जाएगा, फिर चाहे जैसी बना लेना', के बाद उसने स्वयं निर्माण तोड़ना शुरू कर दिया। हालांकि तोड़फोड़ सामने के हिस्से में हो रही है। 
तीन तरफ के एमओएस पर कोई कार्रवाई नहीं। तोड़फोड़ दिखावा है क्योंकि बिल्डर ने प्लींथ ही मनमानी रखी है, उसी के ऊपर दो मंजिला निर्माण कर चुका है जो पड़ौस की चार मंजिला इमारत से आगे की तरफ ही बनी है। ऐसे में फ्रंट का रैंम्प तोड़कर ही बिल्डर बिल्डिंग का वैध नहीं कर सकता। बिल्डिंग में अभी नगर निगम की नपती के अनुसार टूटना बाकि है। 
ये नोटिस दे रहे थे या टाइम पास कर रहे थे....
25 अक्टूबर 2024 : इसमें लिखा है आपको एक तलघर की मंजूरी दी थी, आपने दो बना दिए। एमअोएस में रैंप बनाया। 7 दिन में तोड़े। 
20 दिसंबर 2024 : 7 दिन की मोहलत खत्म होने के 49 दिन बाद दिया नोटिस। लिखा है तलघर का विस्तार 6 मीटर फ्रंट एमओएस में कर दिया, जो गलत है। 15 दिन में हटाने को कहा। 
27 फरवरी 2025 : 15 दिन की मोहलत खत्म होने के 54 दिन बाद जारी नोटिस। इस बीच स्लैब काटने की कार्रवाई शुरू की थी लेकिन चलताऊ। नोटिस में निगम ने नाराजी जताई। कहा काम बंद करके पहले अवैध हिस्से हटाएं।  
6 जून 2025 : इसमें नाराजगी जताते हुए कहा कि आपको एक महीने में अवैध निर्माण हटाना था। आपने फ्रंट एमओएस से स्लैब हटाए, कॉलम नहीं हटाए। अतिरिक्त निर्माण भी यथावत है। 10 जून को जोनल अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर प्रगति बताएं।  
8 सितंबर 2025 : नाराजी जताते हुए कहा कि 10 जून को आपको जोनल अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होना था लेकिन न आप आए, न आपका कोई प्रतिनिधि। न कोई जवाब दिया।  
एक नजर में नीमा का ड्रीम
प्लॉट मालिक : प्रतिभा सिंटेक्स, तर्फे डायरेक्टर शिवकुमार चौधरी व अन्य 
स्वीकृत नक्शा : (PMT/IND/0152/296/2024) 
स्वीकृति दिनांक : 2 फरवरी 2024 
प्लॉट एरिया : 16951.32 वर्गफीट 
एफएआर : 1.3 
ग्राउंड कवरेज : 26.52 प्रतिशत 
कुल निर्माण अनुमति : 21949.44 वर्गफीट (व्यावसायिक 3862.73 वर्गफीट, 18086.70 वर्गफीट निर्माण आवासीय)
अवैध निर्माण : जिस ग्राउंड कवरेज के साथ बिल्डिंग बन रही है उसमें 81 हजार वर्गफीट से अधिक निर्माण होना है। जो मंजूरी से 59416.89 वर्गफीट अधिक है।

Sunday, August 24, 2025

कारोबारी कलह में घर में घुसकर चिराग जैन की हत्या, पार्टनर पर आरोप

 



बेटे ने की शिनाख्त, बोला विवेक अंकल आए थे घर में 

विवेक ने वीडियो जारी करके कहा चिराग ने मुझे धोखा दिया

शनिवार सुबह व्यापारी चिराग जैन की उनके पूर्व साझेदार विवेक जैन ने चाकू मारकर हत्या कर दी। कनाडिया थाना क्षेत्र स्थित मिलन हाइट्स बिल्डिंग में हुई इस वारदात को मृतक के बेटे ने अपनी आंखों से देखा।आरोपी की पहचान की। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। फरार आरोपी की तलाश में टीमें गठित कर दी। शुरुआती जांच में कारोबारी विवाद को वजह माना गया है। 

जानकारी के मुताबिक, चिराग जैन और आरोपी विवेक जैन बिजनेस पार्टनर थे। दोनों के बीच लंबे समय से व्यापार को लेकर विवाद चल रहा था। चिराग स्कीम-140 के पास स्थित मिलन हाइट्स में रहते थे। विवेक जैन मौके प पहुंचा। दोनों के बीच कहासुनी हुई। विवाद इतना बढ़ा कि विवेक ने घर में रखा चाकू उठाकर चिराग पर कई वार कर दिए। चिराग की मौके पर ही मौत हो गई। वारदात को अंजाम देने के बाद विवेक मौके से भाग निकला। 

कुछ देर बाद आसपास के लोगों ने देखा कि घर का गेट खुला हुआ है। अंदर खून फैला हुआ है। फौरन पुलिस को सूचना दी। घटना के वक्त चिराग की पत्नी पूनम जिम गई हुई थी। जब लौटी, तो देखा पति खून से लथपथ जमीन पर पड़ा था। परिवार में हड़कंप मच गया। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। 

घटना के समय चिराग का 10 साल का बेटा घर पर मौजूद था। जिसने पूरे मामले को देखा। बाद में पुलिस को बताया कि पापा के बिजनेस पार्टनर विवेक अंकल ही घर में आए थे। बच्चे की गवाही के बाद पुलिस ने विवेक को मुख्य आरोपी मानते हुए केस दर्ज कर लिया। पुलिस ने चिराग के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी। घटनास्थल से कुछ अहम सबूत भी बरामद किए गए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। 

लम्बे समय से अनबन थी चिराग-विवेक में 

एडिशनल डीसीपी अमरेंद्र सिंह के मुताबिक, चिराग जैन अपने परिवार के साथ रहते थे। उनकी सांवेर रोड पर पाइप की फैक्ट्री है। तिलक नगर में रहने वाले बिजनेस पार्टनर विवेक जैन से पिछले कुछ समय से चिराग का विवाद चल रहा था। शनिवार सुबह विवेक बात करने के बहाने चिराग के घर पहुंचा था।

आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाल रहे

कनाडिया टीआई सहर्ष यादव ने बताया कि घटना सुबह करीब 6:30 से 7 बजे के बीच की है। दोनों के बीच किस बात को लेकर विवाद हुआ, ये जांच के बाद ही पता चलेगा। आरोपी बिजनेस पार्टनर फरार है। 

दोस्त ने कहा- गले-पेट पर चाकू के 10-12 घाव

चिराग के दोस्त दीपक जैन ने बताया कि जब हम पहुंचे तो चिराग खून से लथपथ थे। उनके गले और पेट पर 10-12 चाकू के निशान थे। चिराग- विवेक दोनों भिंड के रहने वाले थे। कारोबार के लिए इंदौर आए थे। कारोबार के लिए लोन लिया था। प्रॉपर्टी गिरवी रखी थी। जिसे  विवेक फ्री कराना चाहता था। चिराग ने मना कर दिया था। सांवेर रोड पर कारखाना है। चिराग ने वहां विवेक का आनाजाना प्रतिबंधित कर दिया था।  

चिराग ने दिया धोखा 

आरोपी विवेक जैन ने एक वीडियो जारी की। जिसमें बताया कि मैं 12 साल से अरियन सेल्स में चिराग के साथ पार्टनर हूं। 50% हिस्सेदारी है। मेरी संपत्ति भी लगी है। जिसका  निपटारा नहीं हुआ। चिराग ने मेरे साथ बेईमानी की। कई बार समझाया। नहीं समझा। मुझे कंपनी से ही बाहर कर दिया। हिसाब-किताब की बात करता हूं तो जवाब नहीं देता। 


Saturday, August 23, 2025

महेंद्र जैन और अरूण डागरिया की प्रिंसेसे एस्टेट को वैध का तमगा

 कॉलोनी सेल का कमाल, देने जा रहे हैं

2023 में इसी सेल ने हीना पैलेस वैध कर दी थी, फिर अवैध छोड़ना पड़ा 

इंदौर. विनोद शर्मा । 

नगर निगम की कॉलोनी सेल अवैध कॉलोनियों को वैध करने के नाम पर "कमाल' कर रही है। 2023-24 में कलेक्टर द्वारा सरकारी घोषित की गई जमीन पर प्रस्तावित हीना पैलेस को नियमित करने की नाकाम कोशिश की गई। अब उसी अंदाज में लसूड़िया की सबसे विवादित कॉलोनी प्रिंसेस एस्टेट काॅलोनी को बालेबाले वैध किया जा रहा है। ये कॉलोनी कुख्यात भू-माफिया महेंद्र जैन और उनके साले अरूण डागरिया की है। जिनके खिलाफ प्लॉट के नाम पर धोखाधड़ी के एक दर्जन केस लसूड़िया थाने में लम्बित है। 

नगर निगम के "गांधीवादी' अफसरों ने भ्रष्टाचार को दो हिस्सों में बांट दिया है। एक सीधे-सीधे करना पड़ता है। दूसरा करना नहीं पड़ता, हो जाता है। इसका बड़ा उदाहरण है कॉलोन सेल। जब से अवैध कॉलोनियों के नियमीतिकरण की प्रक्रिया शुरू हुई है, कॉलोनी सेल ने एक के बाद एक ऐसे जादू दिखा दिए, जिससे सब हैरान हैं। इस कड़ी में  19 अगस्त 2025 को अखबारों में जाहिर सूचना प्रकाशित कराई गई। इसमें सर्वे क्रमांक 257पार्ट, 258पार्ट, 259पार्ट, 260पार्ट, 261 पार्ट, 262पार्ट, 263पार्ट, 264/1पार्ट, 268 पार्ट, 269 पार्ट, 324पार्ट, 325पार्ट, 326पार्ट, 328पार्ट, 329 पार्ट, 330 पार्ट पर कटी प्रिंसेस एस्टेट कॉलोनी का ही जिक्र है।  

सूचना के माध्यम से कॉलोनी के प्लॉटधारकों को सूचित करते हुए कहा गया है कि वे विकास शुल्क की राशि अनुसार अनिवार्य रूप से जमा कराएं। इसमें नगरीय प्रशासन एवं आवास  विभाग द्वारा 18 जुलाई 2023 को जाी पत्र (2915/1452905/2023/18-3)  का हवाला देते हुए कहा गया है कि 150 रुपए/वर्गफीट की दर से विकास शुल्क जमा कराने वालों की कॉलोनी वैध की जाएगी। हालांकि नियमानुसार कॉलोनी में मकान होना भी जरूरी है लेकिन इस कॉलोनी में मकान नहीं बने हैं। न रहवासी है। न रहवासी संघ। बावजूद इसके  कुख्यात भू-माफियाओं ने कॉलोनी को वैध करने का आवेदन लगा दिया। जिसे ले-देकर कॉलोनी सेल के कर्ताधर्ताओं ने स्वीकार भी कर लिया।

इससे पहले हीना पैलेस में हुआ था खेल

अगस्त 2023 में ही नगर निगम ने श्रीराम गृह निर्माण की अशरफ नगर को वैध करने की तैयारी की थी। इमसें खजराना के सर्वे नंबर 106, 1018, 1019/2, 1020, 1023/1, 1024, 1027, 1030 सहित 1028, 1437, 1015 1435, 1004, 1527 सहित अन्य खसरों की कुल 8.861 हेक्टेयर यानी 20 एकड़ से अधिक जमीन शामिल की गई है। इनमें से अधिकांश खसरे हीना पैलेस के थे। जिसकी जमीन कलेक्टर मनीष सिंह सरकारी घोषित कर चुके थे।  

कॉलोनी सेल कई जादू सफलता पूर्वक दिखा चुका...

लोकायुक्त तक पहुंची एक शिकायत के अनुसार बिजलपुर की सनसाइन कॉलोनी और सिरपुर गांव की श्रीहरि विहार कॉलोनी भी वैध की गई। सनसाइन फार्म हाउस प्रोजेक्ट था जहां सिंधी समुदाय की अधिकांश हवेलियां बिना नक्शे या निगम से स्वीकृत नक्शे के विपरीत बनी है। इसी तरह श्रीहरि विहार में प्लॉटधारकों के पास न रजिस्ट्री है, न नोटरी। फिर भी कॉलोनी वैध हो गई। 

अक्षरधाम भी वैध करने की तैयारी 

इसी तरह 19 अगस्त 2025 को ग्राम मुसाखेड़ी के सर्वे नंबर 456/1, 456/2, 459, 460, 461, 461/1, 461/2, 463/5/4, 465/1, 465/3 की जमीन पर कटी अक्षरधाम कॉलोनी को वैध करने की तैयारी की गई। कॉलोनी से 1614 रुपए/वर्गमीटर पैसा विकास शुल्क मांगा गया। इसमें  1036 रुपए/वर्गमीटर आतंरिक विकास पर खर्च होगा और  578 रुपए/वर्गमीटर बाह्य विकास पर। तीन साल पहले कॉलोनी की शिकायतों के बाद अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने जांच कराई थी। अमृता, मेघना और गणपति तीन सहकारी समितियों को मिलाकर करीब 90 एकड़ जमीन पर कुलभूषण मित्तल, अरविंद बागड़ी, रमेश जैन, जगदीश, राम ऐरन, किशोर गोयल, जगदीश टाइगर पर हेरफेर के आरोप लगे थे।