
आईसीसी होगी ब्लैक लिस्टेड
विनोद शर्माSaturday, January 31, 2009 09:08 [IST]
इंदौर. कई बार चेतावनी व नोटिस दिए जाने के बावजूद काम में कोताही बरतने वाली इंडियन कंस्ट्रक्शन कंपनी (आईसीसी) को निगम प्रशासन यशवंतसागर जलावर्धन योजना से बेदखल करते हुए ब्लैक लिस्टेड करने का मन बना चुका है।
संभवत: सात दिन में कार्रवाई को अंजाम देकर निगम रिस्क एंड कास्ट पद्धति पर नए सिरे से टेंडर भी बुला लेगा। बहरहाल आयुक्त से लेकर निगम के विधि सलाहकार तक कार्रवाई की सिफारिश कर चुके हैं। इंतजार है तो सिर्फ महापौर और महापौर परिषद के सदस्यों की मंजूरी का।
तेज गति से काम करने के लिए राज्य व केंद्र सरकार की प्रशंसा पा चुकी यशवंत सागर जलावर्धन योजना पर लेटलतीफी का ग्रहण अगस्त से लगना शुरू हो गया था। काम अप्रैल 2009 तक पूरा होना था लेकिन कंपनी की हीलाहवाली के चलते काफी पिछड़ गया। ठोस कार्रवाई के बजाय निगम कारण बताओ नोटिस ही थमाता रहा। कंपनी ने गति बढ़ाना तो दूर, नोटिस के जवाब तक नहीं दिए। अंतत: निगमायुक्त सी.बी. सिंह ने महापौर को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया कि योजना की आवश्यकता और मौजूदा गति को देखते हुए कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करके रिस्क एंड कास्ट पद्धति से दोबारा टेंडर बुलाए जाना चाहिए।
कंपनी ने बढ़ाई गति
एक तरफ निगम कार्रवाई के लिए कमर कस चुका है तो दूसरी ओर कंपनी ने कार्रवाई की भनक लगते ही प्रोजेक्ट पर काम तेज कर दिया है। हालात यह है कि 60 क्यूबिक मीटर कांक्रीट करने वाली कंपनी अब 200 क्यूबिक मीटर कांक्रीट रोज कर रही है।
फैसला इसलिए
प्रोजेक्ट पर अप्रैल 2007 से काम शुरू हुआ और अप्रैल 2009 तक पूरा होना था।
अभी तक कंपनी बमुश्किल 20 प्रतिशत ही काम कर पाई।
मौजूदा गति के मान से काम पूरा करने के लिए 5 साल भी कम पड़ेंगे।
बात अनुबंध की
कंपनी ब्लैक लिस्टेड होती है तो निगम नुकसान की भरपाई के लिए योजना की कुल लागत के एक प्रतिशत भाग की प्रतिदिन के हिसाब से अर्थदंड की वसूली कर सकता है। 29.64 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में यह आंकड़ा 29 लाख रुपए प्रतिदिन होगा।
बाकी काम के लिए बुलाए गए टेंडर में तय राशि से अधिक राशि का प्रस्ताव आता है तो उस अतिरिक्त राशि की वसूली भी कंपनी से होगी। इसे रिस्क एंड कॉस्ट पद्धति कहते हैं।
वसूली के लिए निगम कंपनी की मशीनरी सहित अन्य सामग्रियों की कुर्की भी कर सकता है। कंपनी छह महीने के लिए दूसरी कंपनी को जिम्मेदारी सौंप रही थी जो नियम विरुद्ध है।
दो लाख रोज का नुकसान
अप्रैल 09 में परियोजना पूरी होने के बाद निगम अगस्त-सितंबर से आपूर्ति शुरू कर देता पर काम पूरा होने में एक साल और लगेगा। यानी योजना का लाभ अगस्त-सितंबर 2010 के बाद ही शहर को मिलेगा। यशवंत सागर से मिलने वाले अतिरिक्त पानी की पूर्ति नगर निगम को नर्मदा से ही करना होगी। यशवंत सागर के पानी की लागत करीब 9 रुपए प्रति हजार लीटर है जबकि नर्मदा का पानी 18 रुपए प्रति हजार लीटर पड़ता है।
कंपनी रो-रोकर काम कर रही है। ब्लक लिस्टेड करके काम खत्म करेंगे, दूसरा विकल्प भी नहीं। इसकी तैयारियां भी तकरीबन पूरी हो चुकी हैं।
- सी.बी.सिंह, आयुक्त
कंपनी समय पर काम नहीं करेगी तो उसका अंजाम वही होगा जो फीडर रोड-1 के काम में कोताही बरतने वाली प्रतिभा कंस्ट्रक्शन का हुआ। हालांकि निर्णय 3 फरवरी को यशवंत सागर पर होने वाली बैठक के बाद होगा।
-देवकृष्ण सांखला, प्रभारी, जलकार्य